संस्कार भारती द्वारा की गई चित्रकला कार्यशाला में कलाकारों ने चित्रों में सजीव की भारतीय संस्कृति
संस्कार भारती, पंचकूला इकाई व कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा तथा स्काईवर्ल्ड स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की चित्रकला कार्यशाला मे चित्रकारो द्वारा बनाई गई एक से एक क्रर्तियो को प्रत्येक दर्शक ने विशेष सराहना की।
इसमें विभिन्न प्रदेशों से आए प्रतिष्ठित एवं उभरते हुए कलाकार ने अपनी चित्रकला के माध्यम से भारतीय संस्कृति के विषयों जैसे हरियाणा की ओढ़नी, माथे की बिंदिया, फूलों का गुच्छा, बांसुरी बेचता बांसुरी वाला, मां सरस्वती का शिल्पकार चित्र, मनुष्य के अंदर मंदिर, पारंपरिक गांव का दृश्य, इत्यादि सर्जनात्मक चित्रों द्वारा विचारों का प्रदर्शन किया
आज के समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी (वाइस चेयरमैन- हरियाणा साहित्य और संस्कृतअकादमी) ने संस्कार भारती के अद्भुत प्रयासों व कला को नई दिशा देने की कोशिश का में व आज विशेष जिक्र किया तथा आज की दशा मे बदलाव को भारतीय दिशा में लाने का प्रयास कर रही है। चित्रकला कार्यशाला के बारे में बताते हुए प्रशंसा करते हुए कहा कि ” नए कलाकारों को अपनी प्रतिभा के माध्यम से भारतीय संस्कारों को दर्शाने के मौके देने का कदम भी काफी सराहनीय है। “
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ एम एस कंबोज (प्रेसिडेंट- आर एस डब्लू) व श्री दीपक राणा जी (डायरेक्टर- एनआईएफटी, पंचकूला) भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
स्काई वर्ल्ड स्कूल के बच्चों के गीतों व नर्तयो की सामूहिक प्रस्तुतियां ने वातावरण को भारतीय कर दिया ।
चित्रकला प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ चित्रकलाओं को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
सभी अतिथियों व कलाकारों को भी संस्कार भारती व स्काईवर्ल्ड स्कूल के अधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया।
समाज के विभिन्न वर्गों में कला के द्वारा राष्ट्रभक्ति एवं योग्य संस्कार जगाने, विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण व नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहन देकर इनके माध्यम से सांस्कृतिक प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से संस्कार भारती कार्य कर रही है। इसी दिशा में यह कार्यक्रम चित्रकला विद्या के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है।
कलाकारों से मिलने व उनकी चित्रकारी देखने के लिए क्षेत्र के लोगों का तांता दिन भर लग रहा।
सभी चित्रकारों ने अपने मन की गहराइयों से अपने विचारों को व्यक्त किया जैसे “युवाओं और बच्चों के के लगन व इच्छा को देखकर मन प्रसन्न हो गया”, “भारतीय संस्कारों को चित्रकला के माध्यम से उतारना हमारे लिए यह एक विशेष अनुभव रहा”, ” विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों से अपनी चित्रकला के विषय में तथा उनसे उनकी चित्रकला के विषय में जानकारी प्राप्त करके बहुत कुछ सीखने को मिला”
दर्शकों ने सम्पूर्ण कार्यक्रम की जम कर सराहना की।