श्रीमाता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, पंचकूला में संस्कृत प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन
संस्कृत भाषाओं की जननी- कुलदीपचंद अग्निहोत्री
पंचकूला 3 अप्रैल- हरियाणा साहित्य एवं संस्कृत अकादमी तथा श्री माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पंचकूला के संयुक्त तत्वावधान में राज्य स्तरीय संस्कृत गीत गायन, श्लोकोच्चारण, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन हुआ । कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष डॉ० कुलदीपचंद अग्निहोत्री ने पदार्पण किया संस्कृत प्रकोष्ठ के निर्देशक डॉ. चितरंजन सिंह दयाल कौशल जी ने विशिष्ट अतिथि के पद को सुशोभित किया । निर्णायक मंडल को अलंकृत करने के लिए डॉ. विक्रम कुमार विवेकी, डॉ. अनिल कुमार, डॉ० कृष्णचंद, श्री रामदिया शास्त्री, डॉ. देवी सिंह जी उपस्थित रहे ।
माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय की प्राचार्या श्रीमती रीटा गुप्ता ने सादर आमंत्रित सम्माननीय अतिथि गणों का अभिवादन किया ।
उन्होंने अपने संबोधन में डाॅ अग्निहोत्री ने कहा- संस्कृत प्राचीन काल से ही अंतरिक्ष की भाषा रही है और वर्तमान में भी अपने ज्ञान विज्ञान से हमें पोषित कर रही है । यह विश्व की एकमात्र ऐसी अमर-भाषा है जो मनुष्य का और देवता का संबंध आध्यामिक, भावनात्मक तत्व से जोड़ती है । प्राचार्या ने सभी विजेता प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी । कार्यक्रम में उपस्थित मुख्यातिथि महोदय ने अपने उद्बोधन द्वारा सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आजीवन तक हमारी धरा तत्व ऋषि-मुनियों की ऋणी है जिन्होंने हमें संस्कृत में समाहित ज्ञान दिया । संस्कृत पढ़ने वाला विद्यार्थी समाज का अनुशासन दर्पण है, भारतीय संस्कृति पद्धति से अध्ययन कर वह स्वयं को तो ज्ञानवान बनाता ही है साथ में समाज का भी कल्याण करता है । जो बच्चा कर्मठ होकर शिक्षा का अध्ययन करता है अवश्य ही लक्ष्य को प्राप्त भी करता है । आज का विद्यार्थी संस्कृत अध्ययन करके विदेशों में भी अपनी प्रतिष्ठा स्थापित कर सकता है ।
डॉ० चितरंजन सिंह दयाल ने संस्कृत कार्यक्रमों पर जोर देते हुए आमजन को भी संस्कृत भाषा से जोड़ने की बात कही । संस्कृत आयोजनों से संस्कृत भाषा का प्रचार- प्रसार तो होता ही है साथ में समाज भी इस भाषा की महिमा से अवगत होता हैं । सर्वदा संस्कृत के हित के लिए हमें निःस्वार्थ भावनाओं से एक साथ खड़ा होना चाहिए । उन्होंने वर्तमान सरकार की प्रशंसा करते हुए त्रिभाषा सूत्र को संस्कृत के लिए उचित पग बताया ।
इस कार्यक्रम में हरियाणा प्राप्त के गुरुकुलों महाविद्यालयों व संस्कृत विद्यापीठों से प्रतिभागियों ने भाग लिया । संस्कृत गीत व श्लोकोच्चारणों से महाविद्यालय प्रांगण गुंजायमान रहा। संस्कृत श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान नम्रता आईटीटीआर कुरुक्षेत्र का, द्वितीय स्थान श्याम प्रकाश श्री दि. कृ. कि. सनातन धर्म आदर्श संस्कृत महाविद्यालय अम्बाला छावनी का तथा तृतीय स्थान गोविन्द श्री माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पंचकूला का रहा व सांत्वना पुरस्कार से साहिल सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय सै.-23, चण्डीगढ़को सम्मानित किया गया ।
इसी क्रम में संस्कृत गीत गायन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान भूपेन्द्र कुमारिया श्री माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पंचकूला का, द्वितीय स्थान कविता श्री माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पंचकूला का तथा तृतीय स्थान तनिष्क सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय सै.-23, चण्डीगढ़ का रहा व सांत्वना पुरस्कार से नम्रता को सम्मानित किया गया ।
इसी भांति संस्कृत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर टीम भूपेन्द्र कुमारिया व अंजलि श्री माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पंचकूला, द्वितीय स्थान पर टीम सचित व योगेश सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय सै.-23, चण्डीगढ़ का तथा तृतीय स्थान टीम आशु व गोविन्द श्री माता मनसा देवी राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पंचकूला का रहा व सांत्वना पुरस्कार से टीम श्याम प्रकाश व नीरज श्री दि. कृ. कि. सनातन धर्म आदर्श संस्कृत महाविद्यालय अम्बाला छावनी को सम्मानित किया गया। विजेता प्रतिभागिओं को हरियाणा संस्कृत अकादमी की तरफ से नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र द्वारा सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम में मंच संचालन व संयोजक का दायित्व डॉ. राजबीर शास्त्री द्वारा संपन्न किया गया। सभी निर्णायकों को प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय से डॉ० रेणूका ध्यानी, डॉ० सुनील, मिस यामिनी, डॉ. सारिका, डॉ. पुष्पा, डॉ० कमलेश, डॉ० जितेन्द्र कुमार आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे। हरियाणा साहित्य एवं संस्कृत अकादमी से कार्यकारी मण्डल तथा सम्मानीय अतिथिगण उपस्थित रहे।