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किसान बागवानी में ‘स्टैकिंग विधिÓ का प्रयोग कर कमाए अच्छा मुनाफा : उपायुक्त अनीश यादव

– हरियाणा सरकार सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर दे रही 50 से 90 प्रतिशत तक अनुदान


सिरसा, 17 जनवरी।

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उपायुक्त अनीश यादव ने किसानों का आह्वान किया है कि किसान बागवानी में ‘स्टैकिंग विधिÓ को प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीकों का आविष्कार किया जा रहा है, सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंगÓ ऐसी विधि है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। हरियाणा सरकार द्वारा सब्जियों में बांस स्टैकिंग व लोहे स्टैकिंग को प्रयोग करने के लिए किसानों को 50 से 90 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को बागवानी पोर्टल होर्टीहरियाणास्कीमसडॉटइन (https://hortharyanaschemes.in) पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।


उपायुक्त ने बताया कि आधुनिक युग में खेती में नई-नई तकनीके उभरकर सामने आ रही हैं। इससे किसानों को ढेरों फायदे पहुंच रहे हैं। सब्जियों की खेती में ‘स्टैंकिंगÓ ऐसी ही एक विधि का नाम है, जिसे अपनाकर किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नई-नई तकनीकों से खेती करने का सबसे बड़ा फायदा होता है कि इससे ढेर सारी जानकारियां मिलती हैं और दूसरी इनसे मुनाफा और फसलों की पैदावार भी अधिक होती है।

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बांस व लौह स्टैकिंग पर दिया जाता है अलग-अलग अनुदान :


उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा बांस स्टैकिंग की लागत 62 हजार 500 रुपए प्रति एकड़ पर 31 हजार 250 से लेकर 56 हजार 250 रुपए तथा लोहा स्टैकिंग लागत एक लाख 41 हजार रुपए प्रति एकड़ पर 70 हजार 500 से लेकर एक लाख 26 हजार रुपए अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बांस स्टैकिंग व लौह स्टैकिंग पर अधिकतम अनुदान क्षेत्र 1 से 2.5 एकड़ है। इस बारे में अधिक जानकारी वेबसाईट व दूरभाष नंबर 0172-2582322 पर प्राप्त की जा सकती है।


आसान है ‘स्टैकिंगÓ तकनीक :


किसान पहले पुरानी तकनीक से ही सब्जियों और फलों की खेती करते थे। लेकिन अब किसान स्कैटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं क्योंकि यह तकनीक बहुत ही आसान है। इस तकनीक में बहुत ही कम सामान का प्रयोग होता है। स्टैकिंग बांस व लौहे के सहारे तार और रस्सी का जाल बनाया जाता है।


‘स्टैकिंग विधिÓ से सब्जियों में नहीं होती सडऩ :
‘स्टैकिंग विधिÓ से खेती करने पर सब्जियों की फसल में सडऩ नहीं होती, क्योंकि वो जमीन पर रहने की बजाए ऊपर लटकी रहती हैं। करेला, टमाटर एवं लौकी जैसी फसलों को सडऩे से बचाने के लिए उनको इस तकनीक से सहारा देना कारगर साबित होता है। पारंपरिक खेती में कई बार टमाटर की फसल जमीन के संपर्क में आने की वजह से सडऩे लगती है, लेकिन स्टैकिंग तकनीक में ऐसी दिक्कत नहीं होती।

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मुख्यमंत्री भावंतर भरपाई योजना किसानों के लिए लाभकारी : उपायुक्त अनीश यादव

– उपायुक्त ने किसानों से बागवानी से जुड़ी योजनाओं का लाभ उठाने का किया आह्वान


सिरसा, 17 जनवरी।

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किसानों की आय को दोगुना करने व फसल विविधीकरण के तहत लगाई गई बागवानी फसलों में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री भावंतर भरपाई योजना व बागवानी बीमा योजना का लाभ दिया जा रहा है। इस योजना के माध्यम से बागवानी खेती करने वाले किसान फसल की खेती के दौरान व उसके उत्पादन के बाद होने वाले जोखिमों को कम कर सकते है।


उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा शुरू की गई भावांतर भरपाई योजना व बागवानी बीमा योजना बागवानी किसानों के लिए एक लाभकारी योजना है। यह योजना किसानों को सब्जियों व फलों के भाव से जोखिम मुक्त कर उन्हें फसल का उचित दाम दिलाने में कारगर साबित हो रही है। उन्होंने बताया की कई बार यह देखने मे आया है कि किसान जब अपनी बागवानी की फसल मंडी में बेचने जाता है तो उसको फसल का सही दाम नहीं मिल पाता, जिससे किसान हतोत्साहित होकर फिर से पारंपरिक खेती करने का विचार करता है। ऐसे किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार फसल में लगने वाले घाटे (नुकसान) को कम करने के लिए भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत मुआवजा व मूल्य के रूप में प्रोत्साहन धनराशि प्रदान करेगी।


दूसरी ओर बागवानी विकास अधिकारी सीमा ने बताया कि इस योजना के तहत निम्नलिखित फसलों आलू, फूल गोभी, गाजर, मटर, टमाटर, प्याज, शिमला मिर्च, बैंगन, भिंडी, मिर्च, करेला, बंदगोभी, मूली, किन्नू, अमरूद, चीकू, आडू, आलूबुखारा, आम, नाशपाती, लीची, आंवला, बेर, लहसुन व हल्दी आदि को सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने बताया कि उपरोक्त सभी फसलों के संरक्षित मूल्य सरकार द्वारा पहले से निर्धारित किए गए है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा निर्धारित संरक्षित मूल्यों से कम बिक्री होने पर जो नुकसान होगा उसकी भरपाई प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को की जाएगी। उन्होंने बताया उत्पादन से पूर्व होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत उत्पादक किसान उपरोक्त फसलों का बीमा भी करवा सकते है।

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इस योजना के अंतर्गत सब्जियों व मसालों पर तीस हजार रुपये प्रति एकड़ का बीमा किया जाएगा जिसके लिए किसान को 750 रुपये प्रति एकड़ भुगतान करना होगा। वहीं फलों की खेती पर एक हजार प्रति एकड़ का प्रीमियम देखकर किसान चालीस हजार  प्रति एकड़ का बीमा करवा सकता है। उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ लेने के लिए उत्पादक का मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर रजिस्ट्रेशन होने अनिवार्य है। इस  योजना का लाभ उठाने के इच्छुक किसान और अधिक जानकारी के लिए किसी भी कार्यदिवस में जिला बागवानी विकास अधिकारी के कार्यालय में संपर्क कर सकते है।