प्रियंका गांधी का यूपी दौरा

प्रियंका गांधी वाड्रा आज सोमवार को चार दिन के दौरे पर पहली बार लखनऊ आ रही हैं। इस दौरान वह हर रोज 13 घंटे तक काम करेंगी। लखनऊ आने के तुरंत बाद प्रियंका अपने भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मिलकर लोकसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति बनाने का काम शुरू कर देंगी।

प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एयरपोर्ट से प्रदेश मुख्यालय तक रोड शो करेंगे। एयरपोर्ट से प्रदेश कांग्रेस कार्यालय तक पूरे रास्ते में करीब तीन दर्जन जगहों पर उनका स्वागत होगा। इसी दौरान उनका लालबाग चौराहे पर संबोधन भी होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने रविवार को यहां दावा किया कि प्रियंका गांधी का स्वागत ऐतिहासिक होगा। 

12 फरवरी को प्रियंका गांधी मोहनलालगंज और दोपहर बाद उन्नाव के पार्टी कार्यकतार्ओं से मिलेंगी। दोपहर के भोजन के बाद प्रियंका वाराणसी, गोरखपुर, कौशांबी, फूलपुर, इलाहाबाद, चंदौली, गाजीपुर, धौरहरा, फतेहपुर और लखनऊ के कार्यकतार्ओं के साथ बैठक करेंगी।

13 फरवरी को वह बाराबंकी, कैसरगंज, बहराइच, बांसगांव, देवरिया, डुमरियागंज, कुशीनगर, संत कबीरनगर, महाराजगंज, फैजाबाद, श्रावस्ती, गोण्डा और बस्ती के नेताओं और कार्यकतार्ओं से मिलेंगी।

14 फरवरी को प्रियंका की मुलाकात सीतापुर, सलेमपुर, घोसी, आजमगढ़, लालगंज, मछलीशहर, जौनपुर, रॉबट्र्सगंज, मीरजापुर, भदोही, अंबेडकर नगर, बलिया और मिश्रिख के कार्यकतार्ओं से होगी।

पुलिस के वाहन जलाए,हिंसक हुआ गुर्जर आंदोलन



राजस्थान: पांच फीसद आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में गुर्जरों का आंदोलन तीसरे दिन रविवार को हिंसक हो गया। धौलपुर में महापंचायत के बाद गुर्जर प्रदर्शनकारियों ने एनएच-3 पर मचकुंड चौराहे पर जाम लगा दिया। जाम खुलवाने आए पुलिसकर्मियों पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव कर दिया। यही नहीं प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के तीन वाहनों को आग के हवाले करते हुए हवाई फायरिंग कर दी। आग के हवाले किए गए वाहनों में एक गाड़ी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की भी थी।

हिंसक प्रदर्शनकारियों की भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने पहले तो आंसू गैस के गोले छोड़े और फिर हवा में फायरिंग की। इस दौरान आधा दर्जन पुलिसकर्मी और कुछ आंदोलनकारी घायल हो गए। करीब डेढ़ घंटे तक हाइवे जाम रहा। हालांकि, पुलिस ने बाद में जाम खुलवाकर वाहनों की आवाजाही शुरू कराई। पुलिस ने क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी है। पुलिस अधीक्षक अजय सिंह का कहना है कि अब शांति बहाल हो गई है। वाहनों का आवागमन भी हो रहा है। वहीं, बूंदी जिले के नैनवा में गुर्जरों ने महापंचायत करने के बाद हाइवे पर जाम लगा दिया।

दौसा जिले के गुर्जरों ने रविवार को महापंचायत कर सोमवार को सुबह 11 बजे सिकंदरा चौराहे पर नेशनल हाइवे-21 जाम करने की घोषणा की है। महापंचायत के दौरान उग्र युवक रविवार से ही जाम लगाना चाहते थे, लेकिन समाज के वरिष्ठ लोगों ने बंसत पंचमी पर काफी संख्या में होने वाले शादी-विवाह को देखते हुए सोमवार से आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया। गुर्जरों ने मंगलवार से दौसा जिले के अरनिया में जयपुर-दिल्ली रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी दी है।

आंदोलन के चलते रविवार को 20 ट्रेनें प्रभावित हुई। इनमें से कुछ को रद किया गया तो कुछ का मार्ग बदला गया। वहीं गुर्जर बहुल इलाकों में अघोषित रूप से रोडवेज और निजी बसों का आवागमन बंद हो गया है। इस कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। रेलवे सूत्रों के अनुसार, आंदोलन के कारण करीब 17 हजार लोगों ने अपना टिकट रद कराया है।

आरक्षण की मांग को लेकर पिछले तीन दिन से सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर में दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर महापड़ाव डाले बैठे गुर्जर अब ‘टॉक ऑन ट्रैक’ पर अड़ गए हैं। रेलवे ट्रैक पर कब्जा जमाए बैठे आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी ¨सह बैंसला और प्रवक्ता शैलेन्द्र ¨सह का कहना है कि अब बातचीत रेल ट्रैक पर ही होगी। गुर्जर समाज अपनी मांग पूरी होने के बाद ही यहां से वापस जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की मंशा हो तो उन्हें तत्काल आरक्षण मिल सकता है। ट्रेन प्रभावित होने और धौलपुर की घटना पर अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन को हल्के में नहीं ले।

PM Modi : आंध्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में रैलियां

मिशन 2019′ की तैयारी में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के अलग-अलग इलाकों में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। नॉर्थ-ईस्ट के बाद पीएम की नजर अब दक्षिण भारत पर है और रविवार को वह आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में रैलियां करने वाले हैं। इससे दक्षिण भारत का सियासी पारा गरमा गया है। इस बीच आंध्र प्रदेश के कई शहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से पहले मोदी विरोधी पोस्टरों से पटे हुए हैं। 

वे डरे हुए हैं, उन्हें नींद नहीं आती है। परेशानी से जूझ रहे हैं। यहां के मुख्यमंत्री को तकलीफ है कि आपका यह चौकीदार… मेरी सरकार उनसे हिसाब मांगती है। पहले उन्हें दिल्ली के गलियारों में कभी भी हिसाब नहीं देना पड़ता था। अब मोदी पूछता है कि आंध्र के विकास के लिए, जो पैसा दिया गया, उसकी पाई-पाई का हिसाब दीजिए। यहीं उन्हें अखरता है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंध्र प्रदेश के गुंटुर में एक रैली को संबोधित करेंगे। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने कार्यकर्ताओं को शनिवार को कॉल करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान गांधीवादी प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। एक टेलिकॉन्फ्रेंस के जरिए नायडू ने अपने पार्टी नेताओं से बात करते हुए कहा, ‘यह काला दिन है। पीएम मोदी यह देखने आ रहे हैं कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के साथ क्या अन्याय किया है। मोदी राज्यों और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं। पीएमओ का राफेल में दखलअंदाजी करना देश का अपमान करना है। हम पीली और काली टीशर्ट और गुब्बारों के साथ शांतिपूर्वक गांधीवादी प्रदर्शन करेंगे।

आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने के समझौते से केंद्र सरकार के इनकार के बाद टीडीपी, बीजेपी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार से अलग हो गई। चंद्रबाबू ने मोदी द्वारा विपक्षी गठबंधन को महामिलावट कहने पर कड़ी आपत्ति जाहिर की। नायडू बीजेपी विरोधी मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे हैं।

बीजेपी की तमिलनाडु यूनिट भी तिरुपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के लिए तैयार है। इस वर्ष अंतरिम बजट पेश किए जाने के बाद यह मोदी की राज्य की पहली यात्रा होगी। चर्चा है कि बीजेपी-एआईडीएमके के बीच संभावित गठबंधन पर भी मुहर लग सकती है। तमिलनाडु में ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष एसके खरवेंटन ने, ‘एक सरकारी समारोह में भाग लेने के बाद, मोदी एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करेंगे, जिसमें 150,000 लोगों के शामिल होने की संभावना है। वह सात लोकसभा क्षेत्रों- ऊटी, कोयंबटूर, पोलाची, इरोड, करूर, तिरुपुर और सालेम स्थित पार्टी के सदस्यों और अन्य लोगों को संबोधित करेंगे।’ 

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भाजपा और टीडीपी के बीच तनातनी बनी हुई है। इसी मांग को लेकर टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने अपनी पार्टी को एनडीए से अलग कर लिया था। इसके बाद से लगातार नायडू भाजपा पर हमला करते देखे गए। वहीं, सदन में भी टीडीपी सांसद लगातार अपनी इस मांग को जोर-शोर से उठा रहे हैं।

सरस्वती पूजा : 2019 : वसंत पंचमी

देश में वसंत पंचमी  का त्योहार मनाया जा रहा है। पंचमी तिथि शनिवार 9 फरवरी को दिन में 8 बजकर 55 मिनट से लग रही है, जो रविवार 10 फरवरी को दिन में 9 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि ग्राह्य होने से 10 फरवरी को ही वसंत पंचमी मनाई जाएगी।

इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष दिन माना जाता है और मां सरस्वती ही बुद्धि और विद्या की देवी हैं। मान्यता है कि जिस छात्र पर मां सरस्वती की कृपा हो उसकी बुद्धि बाकी छात्रों से अलग और बहुत ही प्रखर होती है। 

मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार हो और आसपास से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी। 

प्रात:काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें. मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें तत्पश्चात क्लश स्थापित कर भगवान गणेश और नवग्रह की विधिवत पूजा करें. फिर मां सरस्वती की पूजा करें. मां की पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन और स्नान कराएं. फिर माता का श्रृंगार कराएं. माता श्वेत वस्त्र धारण करती हैं इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं. प्रसाद के रुप में खीर अथवा दूध से बनी मिठाईयां अर्पित करें. श्वेत फूल माता को अर्पण करें !




TRAI: महीने में 2% से ज्यादा ड्रॉप पर कपंनियों पर भारी जुर्माना देना पड़ सकता

टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) अगले महीने से देश भर के कॉल ड्रॉप और नेटवर्क में कमजोरी वाले इलाकों में विशेष अभियान शुरू करेगा। मार्च के आखिर तक अलग-अलग जगहों के आंकड़ों को जुटाकर उनकी समीक्षा की जाएगी। समीक्षा में बाद कमी पाए जाने पर उनके सुधार के लिए जरूरी उपाय किए जाएंगे।अब देश के करोड़ों मोबाइल यूजर को 1 अक्टूबर से नए पैरामीटर के अनुसार मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों को सुविधाएं देनी होंगी, नहीं तो उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। मालूम हो कि पिछले दिनों कॉल ड्रॉप पर बहुत विवाद हुआ था और इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज हुई थी, जिसके बाद इसे सुधारने की दिशा में सरकार की ओर से पहल की गई थी। 

कुछ और टेस्ट के बाद उन नतीजों की गहन समीक्षा की जाएगी। जरूरत पड़ने पर नए नियम भी बनाए जाएंगे ताकि लोगों को कॉल ड्रॉप से मुक्ति मिले। उन्होंने कहा कि मोबाइल सिग्नल के लिए गैर कानूनी तरीके से लगाए गए सिग्नल बूस्टर भी मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। वे कॉल ड्रॉप के साथ साथ इंटरनेट स्पीड को प्रभावित कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कई बार कंपनियां नेटवर्क को मुद्दा बनाकर कॉल ड्रॉप से मुकर जाती हैं। अब ऐसा नहीं होगा। बात करने में आने वाली किसी तरह की दिक्कत को कॉल ड्रॉप की कैटिगरी में डाल दिया गया है। इसकी परिभाषा में 2010 के बाद पहली बार बदलाव किया गया है। इसके साथ ही ट्राई कॉल ड्रॉप पर नजर रखने के लिए अलग सिस्टम भी तैयार कर रहा है। यूजर इस बारे में रियल टाइम शिकायत कर सकेंगे।

 हर मोबाइल टावर से जुड़े नेटवर्क की हर दिन की सर्विस का मिलान होगा। 2 फीसदी से ज्यादा कॉल ड्रॉप होने पर कंपनियों को 5 लाख का जुर्माना देना होगा। 

डेटा ड्रॉप पर भी अंकुश लगाने की पहल ट्राई ने की है। इसके अनुसार महीने के प्लान में डाउनलोड में उपभोक्ता को कम से कम 90 फीसदी समय तय स्पीड के तहत सर्विस मिले। साथ ही महीने के प्लान में नेट ड्रॉप रेट अधिकतम 3 फीसदी हो। 

गुर्जर पटरियों से हटने को तैयार नहीं

जयपुर: पांच फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में दो दिन से किए जा रहे गुर्जर आंदोलन की वजह से रेलवे ने शनिवार को 14 ट्रेनें रद्द कर दीं। चार के मार्ग बदले गए हैं। शुक्रवार को भी 25 ट्रेनों पर असर पड़ा था। सवाईमाधोपुर के मलारना स्टेशन और नीमोदा रेलवे स्टेशन के बीच गुर्जरों ने ट्रैक पर ही तंबू लगा लिया है और अलाव जलाकर बैठे हैं। इससे दिल्ली और मुंबई के बीच ट्रेनों का आवागमन बंद हो गया।कर्नल बैंसला के आह्वान के बाद भरतपुर, कोटा और सवाई माधोपुर के साथ कई अन्य स्थानों पर भी ट्रेनें रोकी गई हैं. आंदोलन के आह्वान के साथ ही गुर्जरों ने सवाई माधोपुर में अवध एक्सप्रेस और भरतपुर के बयाना में चंडीगढ़ कोच्चि ट्रेन रोक दी।

गुर्जर समाज के पंचों के बीच यह फैसला लेते हुए कर्नल बैंसला ने रेलवे ट्रैक की ओर कूच कर दिया था. बैंसला ने कहा है कि  यह आंदोलन शान्तिपूर्ण होगा लेकिन गुर्जर समाज तब तक पटरी पर बैठेगा जब तक आरक्षण की मांग पूरी नहीं होगी. उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुर्जर समाज से शांति बनाए रखने की अपील की है. साथी सरकार ने तीन मंत्रियों की एक कमेटी का गठन भी कर दिया है.

मंत्री विश्वेंद्र सिंह और वरिष्ठ आइएएस अधिकारी नीरज के. पवन वार्ता का न्योता लेकर शनिवार शाम धरनास्थल पहुंचे। विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि गुर्जर समाज का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को जयपुर या ट्रैक के आसपास ही बातचीत के लिए आ जाए। इसके जवाब में बैंसला ने साफ कहा कि उनका कोई प्रतिनिधिमंडल कहीं नहीं जाएगा। जब केंद्र सरकार सात दिन में आर्थिक पिछड़ों को दस प्रतिशत आरक्षण दे सकती है तो हमें 14 साल से क्यों परेशान किया जा रहा है। सरकार से यहीं बात होगी। इसके बाद विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि इस मसले पर वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात करेंगे। सरकार मामले में कानूनी राय भी ले रही है। हम अपना प्रस्ताव लेकर यहां आ जाएंगे।

इस बीच राजस्थान भाजपा ने कहा है कि सरकार मामले का जल्द हल निकाले, क्योंकि आंदोलन से जनता को परेशानी हो रही है। भाजपा सरकार में मंत्री रहे अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि हमारी सरकार ने गुर्जर आरक्षण के लिए काफी गंभीर प्रयास किए थे, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया।

पश्चिम बंगाल में ममता के साथ नहीं करेगी गठबंधन : कांग्रेस

कोलकाता : लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी। पश्चिम बंगाल कांग्रेस नेतृत्व का यह सुझाव आलाकमान ने भी मान लिया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने को लेकर शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान व राज्य के अन्य वरिष्ठ पार्टी नेता मौजूद थे।मगर ममता बनर्जी की इस रैली से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी का अलग रहना, अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहे हैं. मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन की कवायद हकीकत का जामा पहनेगा या फिर यह फसाना बनकर रह जाएगा यह तो खैर वक्त बताएगा, मगर कई राज्यों में जिस तरह से कांग्रेस से क्षेत्रीय पार्टियां दूरी बनाती दिख रही हैं, उससे यह अब एक बार फिर से चर्चा होने लगी है कि क्या सच में विपक्ष एकजुट है? ऐसे सवाल मन में इसलिए भी कौंध रहे हैं क्योंकि ममता के मंच पर करीब 20 राजनैतिक दलों के नेता मौजूद दिखे, जिनमें से कुछ का कांग्रेस के साथ गठबंधन है और कुछ ऐसे हैं जो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बगैर लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. कोलकाता में विपक्षी नेताओं के जमावड़े से यह स्पष्ट होता है कि भले ही उनके बीच गठबंधन न हो, मगर वह लोगों को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह मोदी सरकार के खिलाफ एक हैं.

सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से अलग-अलग चर्चा की। इस कड़ी में मित्रा व मन्नान से भी उन्होंने चुनावी रणनीति के संदर्भ में चर्चा की।

दरअसल, शनिवार को ममता बनर्जी द्वारा आहुत ‘संयुक्त भारत रैली’ में करीब 20 से 22 दलों के 20 नेता एक मंच पर साथ आए. ये नेता एक मंच पर एक साथ तो जरूर आ गए, मगर इनमें से कई ऐसे हैं जो पहले ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग जाने का फैसला ले चुके हैं. अगर एक मंच पर विपक्षी दलों के नेता एक साथ नजर आ भी जाते हैं तो अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी को हराने के लिए एक साथ चुनावी मैदान में भी उतरेंगे? इसका जवाब शायद ज्यादातर ना ही होगा. कयोंकि हाल ही में उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव ने सपा-बसपा के गठबंधन का ऐलान कर इस बात की तस्दीक कर दी कि यूपी में कांग्रेस अकेली हो गई है. यानी यूपी में अब कांग्रेस को बीजेपी से तो लड़ना है ही, साथ ही उसे बसपा और सपा से भी लड़ना है. इस तरह से विपक्षी पार्टियों के पास विजन स्पष्ट है कि केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार को हराना है, मगर कैसे हटाना है यह तरीका नहीं पता है. 

बैठक से बाहर निकलने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मित्रा ने कहा-‘हमने अपनी बात आलाकमान के समक्ष रखी है। हमने राहुल गांधी से कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल हमारी पार्टी को नुकसान पहुंचाने की हर कोशिश कर रही है। ऐसे में यदि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-तृणमूल गठबंधन होता है तो यह पार्टी के हित में नहीं होगा।

शेयर मार्केट : निफ्टी 11,000 के नीचे

हफ्ते का आखिरी कारोबारी दिन शेयर बाजार के लिए बेहद बुरा रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स जहां 424.61 अंक टूटकर 36,546.48 पर बंद हुआ वहीं, निफ्टी 125.80 अंकों की गिरावट के साथ 11000 के नीचे 10,943.60 पर बंद हुआ। निफ्टी ने पिछले कारोबारी सेशन में 11000 के ऊपर क्लोजिंग दी थी। सेंसेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट टाटा मोटर्स, वेदांता, टाटा स्टील, एनटीपीसी और ओएनजीसी के शेयरों में रही। जबकि सबसे ज्यादा मजबूती कोटक बैंक भारती एयरटेल, एचसीएलटेक, बजाज फाइनेंस, हीरो मोटर के शेयरों में आई। निफ्टी के 9 शेयर हरे निशान और 41 लाल निशान पर कारोबार कर बंद हुए।

राहुल गांधी : दो महीने में प्रियंका से चमत्कार की उम्मीद नहीं कर सकते

नई दिल्ली: पार्टी मुख्यालय 24 अकबर रोड पर पूर्वी उत्तर प्रदेश की कांग्रेस महासचिव पार्टी के राज्य प्रभारी और महासचिवों के साथ बैठक कर रही थी।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि दो महीने में प्रियंका गांधी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पार्टी महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया से चमत्कार की उम्मीद नहीं करते हैं। राहुल ने कहा कि इन दोनों को आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कोई दबाव महसूस नहीं करना चाहिए। उन्होंने प्रियंका और ज्योतिरादित्य से उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी का आधार मजबूत करने की दिशा में काम करने की बात कही है।

47 वर्षीय प्रियंका गांधी ने कहा कि वह नई है और उन्हें अनुभव नहीं है लेकिन वह अपने बेहतर देंगी। महासचिव नियुक्त किए जाने के बाद पहली बार प्रियंका गांधी कांग्रेस की बैठक में शामिल होने पहुंची थी। राहुल गांधी ने बताया कि मीटिंग में चुनावी रणनीति, गठबंधन और उम्मीदवारों को लेकर बात हुई। सभी राज्यों के चुनाव प्रभारियों और महासचिवों ने अपने-अपने विचारों को पार्टी की बैठक में रखा। सभी को निर्देश दिया गया है कि उम्मीदवारों का चयन इस महीने (फरवरी) के आखिर तक फाइनल कर लिया जाए।

अखिलेश-मायावती के गठबंधन के बावजूद, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार

उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव की बढ़ती सरगर्मी के बीच सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर हैं। करीब 23 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं। जाहिर तौर पर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा और विपक्षी महागठबंधन, दोनों के लिए ‘जय या क्षय’ तय करने वाला राज्य है। भाजपा से बढ़ रही नाराजगी के बावजूद राज्य में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कायम है। जबकि चुनाव पूर्ण गठबंधन से बसपा-सपा खासा उत्साहित हैं। प्रियंका गांधी के राजनीति में औपचारिक रूप से आने के बाद कांग्रेस भी काफी उत्साह से भरी है। हालांकि फिलहाल कोई भी भविष्यवाणी करना कठिन होगा।

2014 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से 71 पर जीत हासिल की थी। जबकि उसके गठबंधन सहयोगी अपना दल को दो अन्य सीटें मिली थीं। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा को जितनी सीटें हासिल हुई थीं उसका 25 फीसदी उत्तर प्रदेश से ही था। लेकिन 2019 के आम चुनाव में भाजपा के सामने उत्तर प्रदेश में अपनी पिछली कामयाबी दोहराने की बड़ी चुनौती होगी। अगर वह अपना पिछला आंकड़ा हासिल नहीं करेगी तो उसे बहुमत हासिल करने के लिए संघर्ष करना होगा। 

भाजपा को उम्मीद है कि वह पूर्वोत्तर समेत उन स्थानों पर नई सीटें जीतेगी, जहां वह हाल में एक खिलाड़ी के रूप में उभरी है। इसके बावजूद अगर उत्तर प्रदेश में सीटों का नुकसान होता है तो उसकी भरपाई करना असंभव भले न हो, मुश्किल होगा। राज्य में बसपा और सपा ने चुनावी गठबंधन बना लिया है, जो बीते दो दशक से राज्य की सत्ता के लिए आपस में तीखा संघर्ष करती हैं। भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उन दोनों को हरा दिया था, लेकिन मार्च 2018 में बसपा और सपा की करीबी ने रंग दिखाया, जब उन्होंने उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर की संसदीय सीटें भाजपा से छीन लीं।

एकतरफ भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने इन चुनावों को पानीपत की तीसरी लड़ाई जैसा बताया तो दूसरी तरफ सपा और बसपा के बीच रिश्तों में दशकों पुराने खटास की खाई खत्म होती नजर आई। यह गठबंधन यूपी की सियासत में विपरीत पाटों पर खड़े दो ऐसे दलों का गठबंधन है, इसके पहले 1990 के दशक में ही यह संयोग बना था जब यूपी की राजनीति में सपा-बसपा एकदूसरे के करीब आए थे। लेकिन लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड ने इन दोनों दलों के बीच खाई इतनी चौड़ी कर दी कि इसे भर पाना असंभव नजर आने लगा था।

2019 में बसपा और सपा 38-38 सीट पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने दो सीट कांग्रेस के लिए और दो सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ी है। हालांकि अभी कोई भविष्यवाणी करना कठिन है, जानकारों का अनुमान है कि बसपा-सपा महागठबंधन भाजपा की आधी सीटें झटक सकता है। कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि वह उत्तर प्रदेश में अपने बूते चुनाव लड़ेगी। उसने प्रियंका गांधी को महसचिव बनाकर अपने इरादे और स्पष्ट कर दिए हैं। प्रियंका का आना निश्चय ही यह एक अहम कारक रहेगा। तीसरी चीज यह है कि भाजपा से नाराजगी के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी कायम है।

इस बार चुनाव में तीन मसले अहम होंगे : मतदाताओं का रुझान, हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण और अर्थव्यवस्था को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेचैनी। 2014 में भाजपा ने यह समीकरण बखूबी साधा था। 

उत्साह बढ़ाए रखने की जरूरत
2019 में भाजपा की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि वह अपने समर्थकों को प्रेरित कर पाती है या नहीं और कितने मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचते हैं। देखा गया है कि जिन क्षेत्रों में अधिक मतदान हुए, खासकर महिला मतदाताएं वोट देने निकलीं वहां भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा। युवा मतदाताओं से भी उसे काफी मदद मिली।

ग्रामीणों की बदहाली 
उत्तर प्रदेश की 78 फीसदी आबादी ग्रामीण है। यह भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। जानकारों की मानें तो यह किसानों की नाराजगी ही थी जिसके कारण राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता से भाजपा को बेदखल होना पड़ा। यह मसला उत्तर प्रदेश में भी अहम है।