एच एस वी पी के सहयोग से आयोजित विमर्श मंे हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती केशनी आंनद अरोड़ा ने मुख्य अतिथि के रूप में की शिरकत
जल संवाद-जल पत्रकारिता विषय पर बोले जल पुरूष राजेन्द्र सिंह
भारतीय परंपरा में नीर, नारी और नदी को नारायण माना जाता था-राजेन्द्र सिंह
जल के डीस्चार्ज और रिचार्ज में बनाना होगा संतुलन-राजेन्द्र सिंह
पंचकूला, 7 दिसंबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की परिकल्पना और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक श्री अजीत बालाजी जोशी की पहल पर आज जिम खाना क्लब सैक्टर-6 के सेमीनार हॉल में ‘‘जल संवाद-जल पत्रकारिता’’ विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की अध्यक्षा श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि निश्चित ही इस तरह के विचार विमर्श से नयी-नयी बाते सामने आती है जिन्हें हम बेहतर तरीके से जमीनी स्तर पर लागू कर सकते हैं। उन्होेंने कहा कि इस कार्यशाला का जो भी सार है वह उसे जल संरक्षण में लागू करने के लिए हर संभव कदम उठायेंगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा जल संसाधन प्राधिरण ने प्रदेश में जल संरक्षण की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। खण्ड स्तर पर एक्शन प्लाॅन बनाने वाला हरियाणा देश का पहला प्रदेश है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण मे सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए शीघ्र ही पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने प्रदेश में जल के समूचित उपयोग और उसे व्यर्थ होने से रोकने के लिए जन जागरण अभियान चलाया है और इसे आने वाले समय में और तेज किया जाएगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक श्री अजीत बालाजी जोशी ने कहा कि तकनीक का इस्तेमाल सामाजिक कार्यो में कैसे किया जाय यह इस कार्यशाला में सीखने और समझने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि एच एस वी पी ने स्वयं तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 2 करोड़ लीटर भूजल बचाया है। पानी के साथ-साथ बिजली की बचत भी हुई है। पंचकूला जैसे शहर में यह प्रयोग बेहद सफल हुआ है और आने वाले समय में एच एस वी पी द्वारा इसे पूरे हरियाणा में लागू किया जाएगा। उन्होंने अध्यक्ष, हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा से आग्रह किया कि इस तरह का मॉडल कृषि और उद्योगों में भी उपयोग में लाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार प्रफुल्ल केलकर ने कहा जल संरक्षण के लिए पंचायतांे के साथ मिलकर सामुदायिक जागरूकता के लिए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए जन-जन को जागरूक करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत करते हुए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह ने जल संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में नीर, नारी और नदी को नारायण माना जाता था, जल पंचभूतों में से एक था। परन्तु आज हम अपनी परंपरा को भूलते जा रहे हैं जिससे कारण भूजल स्तर गिरता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण तभी संभव हो सकेगा जब डीस्चार्ज एवं रिचार्ज में संतुलन बनेगा। उन्होंने कहा पूरी दुनिया की सभी सभ्यताओं का विकास नदियांे के किनारे ही हुआ है उन्होंने कहा कि भारत ही ऐसा देश है जहां के लोगों में ज्ञान और विज्ञान दोनों की समझ है, जरूरत है उसे सही दिशा में उपयोग करने की।
उन्होंने कहा कि अब लोगों को जल साक्षरता की जरूरत है और यह काम सरकार और प्रशासन के साथ-साथ सामूहिक भागीदारी के साथ ही संभव हो सकता है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल, विश्वविद्यालय और गांव स्तर पर छोटी-छोटी सभाओं के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाई जा सकती है।
अपने स्वागतीय भाषण में एच एस वी पी के प्रशासक श्री धर्मवीर सिह ने कहा कि पानी पंचभूतों में से एक है, इसलिए हमें पानी के संरक्षण के लिए इस तरह के विमर्श का आयोजन करते रहना चाहिए।
इस अवसर पर गांधी पीस फॉउन्डेशन ने ‘‘नदी धीरे बहो’’ कविता की संगीतात्मक प्रस्तुति के माध्यम से अपने विचार प्रकट किये।
इस अवसर पर मुख्य अभियंता हरिदत्त शर्मा एवं संजीव चोपड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। विमर्श में एच एस वी पी के इंजीनियर सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।