ब्लैक फंगस को न करें नजरअंदाज, लक्षण दिखने पर तुरंत लें उपचार – सिविल सर्जन डा. जसजीत कौर
पंचकूला 25 मई। सिविल सर्जन डा. जसजीत कौर ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक फंगल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित लोगों की पर्यावरणीय रोगाणुओं से लडने की क्षमता को कम कर देता है। यह नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। दूसरे चरण में यह आंख को प्रभावित करता है और फिर यह दिमाग पर हमला करता है। इलाज के लिए चार से छह सप्ताह तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं और गंभीर मामलों में तीन महीने तक इलाज चलता है।
उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस वातावरण में मौजूद है, खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है। स्वस्थ और मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर यह अटैक नहीं कर पाता है, लेकिन गंभीर बीमारी, डायबीटीज के मरीज, कैंसर के उपचाराधीन मरीज और ट्रांसप्लांट करवाने वाले व्यक्तियों को ब्लैक फंगस से संक्रमित होने का खतरा रहता है। स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से इम्यूनिटी कमजोर होने या अधिक समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीज भी फंगल इंफेक्शन के लिए संवेदनशील होते हैं। ब्लैक फंगस अर्थात म्यूकोरमाइकोसिस सेे ग्रस्त लोगों के आंख या नाक के पास लाल निशान देख सकते हैं या दर्द हो सकता है। इसके अलावा बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खून की उल्टी और मानसिक संतुलन में बदलाव जैसे लक्षण हो सकते हैं।
सिविल सर्जन डा. जसजीत कौर ने बताया कि सांस लेने में परेशानी, सिरदर्द होना, चेहरे के एक हिस्से में दर्द महसूस होना या सूजन आना, चेहरा सुन्न पडना, चेहरे का रंग बदलना, पलकों पर सूजन तथा दांत हिलना, अगर किसी व्यक्ति को ये लक्षण दिखे तो उसे तुरंत चिकित्सक से ब्लैक फंगस की जांच करवानी चाहिए और परामर्श अनुसार अपना उपचार लेना चाहिए। अगर ब्लैक फंगस ने आपके फेफड़े पर आक्रमण कर दिया है तो आपको बुखार, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, खांसी मेें खून आना, सीने में दर्द व धुंधला दिखाई पडना शुरू हो जाता है।
उन्हांेने बताया कि हाइपरग्लाइकेमिया को नियंत्रण में रखें। डायबिटीज से ग्रस्त लोग यदि कोविड संक्रमित होते हैं तो वह डिस्चार्ज होने के बाद ब्लड ग्लूकोज स्तर पर नजर रखें। स्टेरॉयड का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाए। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ और स्टेराइल वाटर का इस्तेमाल किया जाए। एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से किया जाए। लोगों को सलाह दी गई है कि लक्षणों को नजरअंदाज न करें। नाक बंद होने के सभी मामलों को बैक्टीरियल संक्रमण के संकेत न समझें, विशेषकर कोरोना मरीजों में। जांच कराने से न हिचकें और इसके इलाज में देरी न करें।
सिविल सर्जन ने नागरिकों से आह्वड्ढान किया कि ब्लैक फंगस को लेकर किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। घबराएं नहीं बल्कि बचाव नियमों का पालन करते हुए सावधानी बरतें और ब्लैक फंगस से संबंधित लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से मिलकर उपचार लें।