परिषद् द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ
देश में पहली बार शैक्षणिक नेतृत्व पर कार्यशाला का आयोजन
कार्यशाला में प्रदेश के सभी शासकीय विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और अधिष्ठाता शामिल
हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् द्वारा आयोजित ‘शैक्षणिक नेतृत्व: विमर्श’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हो गया। कार्यशाला के पहले परिषद् के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला एवं मुख्य वक्ता के रूप में देश के प्रसिद्ध शिक्षाविद् मुकुल कानिटकर ने प्रदेश के 15 विश्वविद्यालयों शीर्ष अधिकारियों को संबोधित किया। कार्यशाला में अतिथियों का स्वागत करते हुए परिषद् के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि प्रदेश में विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव और अधिष्ठाता ही उच्च शिक्षा में नेतृत्वकर्ता है। उच्च शिक्षा संस्थानों में शैक्षिक रूपरेखा, वातावरण एवं बेहतरी के लिए इन्हीं लोगों की टोली सक्रियता के साथ कार्य करती है। प्रो. कुठियाला ने कहा कि उच्च शिक्षा के संस्थानों में युवाओं के सर्वांगिक विकास के लिए वातावरण बनाना जा रहा है। इस संदर्भ में हरियाणा का क्रम अन्य राज्यों के मुकाबले काफी बेहतर है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा से संबंधित बुद्धिधर्मी व्यक्तियों के अनुभव को एक –दूसरे से साक्षा करने के लिए हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् एक प्लेटफार्म के रूप में कार्य कर रहा है। इस तरह का कार्य देश में पहली बार हरियाणा में परिषद् द्वारा किया जा रहा है। प्रो. कुठियाला ने कहा कि समाज ने व्यक्ति के अनुभवों, सांगठनिक प्रतिबद्धता और नेतृत्व कौशल को ध्यान में रखते हुए उच्च शिक्षा में बेहतर कार्य करने का दायित्व दिया है। यह दायित्व सामुहिक भाव के साथ कार्य करने के लिए होती है। प्रो. कुठियाला ने कार्यशाला आयोजन की पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए कहा कि जब सामुहिक चेतना सामुहिक दृष्टि में बदलती है तो साकारात्मकता के साथ कार्य करने करने का भाव बनने लगता है या बनाने की प्रक्रिया आरंभ होती है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के मंथन से प्राप्त नवनीत को शैक्षणिक नेतृत्व की दिशा में पॉलिसी डाक्यूमेंट बनाने की कोशिश की जायेगी। प्रो. कुठियाला ने बताया कि कार्यशाला के दूसरे दिन प्रदेश के सभी शासकीय विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ प्राध्यापक, वित्त अधिकारी एवं परीक्षा नियंत्रक शामिल होंगे।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में देश के प्रसिद्ध शिक्षाविद् मुकुल कानिटकर ने कहा कि हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् द्वारा आयोजित इस कार्यशाला का विषय कर्तव्यबोध एवं कार्य विभाजन उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए प्रासंगिक एवं अनिवार्य हो गया है। श्री कानिटकर ने कहा कि स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता विमर्श के भाग होते है। वर्तमान का शैक्षणिक नेतृत्व स्वायत्तता दे रही हैं लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं है। स्वायत्तता अधिकार के साथ आती है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक नेतृत्वकर्ताओं को अपना आदर्श प्रस्तुत करना होगा। आज समाज परिवर्तन के लिए तैयार है। शिक्षा का बीज परिवर्तन के इस दौर में समय से विद्यार्थियों के अंदर डाल दिया जाये जो उनका अंकुरन ठीक से होगा जिससे शिक्षा में बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है। उच्च शिक्षा के नेतृत्वकर्ता कुलपति, कुलसचिव और अधिष्ठाता इस परिवर्तन के वाहक होंगे। श्री कानिटकर ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नेह, आत्मियता और मातृत्व भाव से कार्य करने की आवश्यकता है।
कार्यशाला में गेम प्ले का आयोजन
हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् द्वारा शैक्षणिक नेतृत्व विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में तीन गेम प्ले भी सहभागियों के बीच आयोजित किया गया। पहले गेम का विषय मेरा ही, मेरा भी, मेरा नहीं था। इस गेम में सभी सहभागियों को विश्वविद्यालय के अनुसार तीन –तीन के पैनेल में कुलपति, कुलसचिव और समूह बनाये गए थे। सभी समूहों के समक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, दिल्ली विश्वविद्यालय और परिषद् से प्राप्त एक काल्पनिक प्रतिवेदन के आधार पर कार्यवाही का प्रारूप प्रस्तुत किया गया और प्रत्येक समूह से प्रारूप में उल्लेखित परिस्थिति के आधार पर दस विंदु प्रस्तुत करने को कहा गया। सभी प्रतिभागियों ने प्रशन्ता के साथ भाग लिया । दूसरे गेम का विषय ‘मैं कौन’ था। इस गेम में सभी सहभागियों को तीन समूह बनाये गए थे। सभी समूह में 15-15 सदस्य थे। सभी समूहों से कार्य दायित्व पर मंथन कर 5 विंदु प्रस्तुत करने को कहा था। गेम प्ले सत्र का संचालन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने किया। अंत में सभी सहभागियों से गेम प्ले के आधार पर समस्या से समाधान प्राप्त करने के विषय पर चर्चा भी की गई। कार्यशाला में सभी सहभागियों का स्वागत परिषद् के उपाध्यक्ष प्रो. कैलाशचंद्र शर्मा और उद्घाटन सत्र का संचालन परिषद् के परामर्शदाता के.के. अग्निहोत्री ने किया।