कृषि विज्ञान केंद्र में व्यावसायिक प्रशिक्षण का आयोजन
पंचकूला, 26 नवंबर- चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला में स्प्रे तकनीक विषय पर पांच दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में जिले के 60 किसानों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विज्ञान केंद्र की इंचार्ज श्री देवी तल्लाप्रगड़ा ने की जबकि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी जगदीशचंद्र कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला की संयोजिका ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा हर साल आयोजित किए जाते हैं जिनका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति व जनजाति के युवक-युवतियों को प्रशिक्षित करते उनके जीवन यापन के आर्थिक स्तर को बढ़ाना है। इस तरह के प्रशिक्षण हासिल कर बेरोजगार युवक-युवतियां छोटे स्तर पर अपना कोई भी व्यवसाय शुरू कर सकती हैं।
प्रशिक्षण को समय की मांग बताते हुए उन्होंने कहा कि फसलों में खाद, बीज व बीमारियों की रोकथाम के लिए स्प्रे करते समय सावधानियां, कीटनाशकों का सही चयन, घोल बनाना, स्पे्रे उपरांत सावधानियां इत्यादि महत्वपूर्ण बातें साझा करना भी इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जगदीश चंद्र ने कहा कि कृषि में सही तरीके से खाद दवाई का इस्तेमाल करके हम वातावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक दवाई जिसका पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता उसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। प्रशिक्षण में प्रदेश भर के अनुभवी वैज्ञानिकों ने अलग-अलग विषयों पर अपने विचार साझा किए।
कृषि व कृषि से संबंधित सभी विभागों द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी के बारे में भी अवगत कराया गया। कृषि अनुसंधान केंद्र करनाल की वैज्ञानिकों ने रसायनों के सही समय व उचित मात्रा में प्रयोग करने की जानकारी दी और साथ ही इस्तेमाल की जाने वाली नोजल के बारे में भी बताया। कृषि उत्पादों में बढ़ते रसायन अवशेषों पर मंथन करते हुए ऑर्गेनिक खेती को एक महत्वपूर्ण विकल्प बताया गया। कृषि अर्थशास्त्री डॉ. गुरनाम सिंह ने फसल लागत को कम करने के तौर-तरीकों का जिक्र किया और किसानों से अपनी फसल का पूरा लेखा-जोखा रखने की अपील की। बागवानी विशेषज्ञ डॉ. राजेश लाठर ने फसल विविधीकरण को समय की जरूरत बताया और परंपरागत खेती व तौर-तरीकों में बदलाव करने की सलाह दी। बागवानी फसलों में स्पे्र की समय सारणी और सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया गया।
डॉ. बलवान सिंह ने प्राकृतिक खेती करने पर जोर देते हुए बताया कि कृषि में कीड़े-बीमारियां इत्यादि मौसम और प्रकृति के हिसाब से अपनी गतिविधियां घटाते व बढ़ाते हैं। किसान इनके नियंत्रण के लिए काफी खर्चा करता है, जिसे उचित सावधानी व जानकारी से बचाया जा सकता है। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।