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कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला द्वारा गाँव कोट में गाजर घास जागरूकता अभियान के तहत एक दिवसीय शिविर आयोजित

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– गाजर घास को कचरा प्रबधन के तहत वर्मीकम्पोस्ट में बदला कर छोटे स्तर पर व्यवसाय शुरू किया जा सकता है – डॉक्टर श्रीदेवी

पंचकूला 18 अगस्त- चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला द्वारा आज गाँव कोट ब्लॉक बरवाला में गाजर घास जागरूकता अभियान के तहत कृषि विभाग के सहयोग से एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया।


 इस मौके पर  हरियाणा कृषि विश्विद्यालय हिसार से कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर सतबीर सिंह और डॉक्टर टोडरमल मुख्य वक्ता के तौर पर पहुंचे।


इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला की समन्यवक डॉक्टर श्रीदेवी ने अपने स्वागत सम्बोधन में कृषि विकास और कृषि उत्थान में कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला द्वारा चलाई जा रही विभिन गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि गाजर घास को कचरा प्रबधन के तहत वर्मीकम्पोस्ट में बदला जा सकता है और छोटे स्तर पर व्यवसाय शुरू किया जा सकता है।

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डॉ पुनिया  ने गाजर घास को एक जटिल समस्या बताते हुए कहा कि यह खरपतवार एक साधारण खरपतवार नहीं है। इसका फसलों कि पैदावार में कमी के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य और पशु स्वास्थ्य पर बहुत ही गहरा और नकारात्मक असर पड़ता है। सस्य वैज्ञानिक डॉ वंदना ने अपने सम्बोधन में बताया कि इसकी रोकथाम के लिए अभियान स्तर पर सभी ग्रामवासियों के सहयोग से कांग्रेस घास/ गाजर घास उन्मूलन प्रोग्राम चलने की जरुरत है।


डॉ टोडरमल ने बताया की इसकी रोकथाम का सही समय इस पर फूल आने की अवस्था से पहले है। फूल आने से पहले 300 मिलीलीटर ळसलचीवेंजम दवाई और 30 ग्राम यूरिया प्रति टंकी के हिसाब से स्प्रे करना चाहिए। उन्होंने बताया की गाजर घास से अनेकों प्रकार के त्वचा रोग, अस्थमा, बुखार और सांस की बीमारियां और पशुओं के दूध में कड़वाहट के साथ-साथ अनेक प्रकार की बीमारियां होती हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रैक्टिकल के तौर पर स्प्रे प्रदर्शन करवाया गया, जिसमें किसानों को दवाई का घोल बनाने कि विधि, स्प्रे करते समय सावधानियों के बारे में बताया गया।
इस मौके पर कृषि वैज्ञानिक डॉ गुरनाम सिंह, डॉ रविंदर, डॉ राजेश और डॉ गजेंदर सिंह भी उपस्थित रहे।