आदर्श आचार संहिता के दौरान कैश, शराब, हथियार और अन्य चुनाव संबंधी सामग्री पर निगरानी रखने के लिए किया गया उड़न दस्ते व स्थैतिक निगरानी टीमों (एसएसटी ) का गठन- जिला निर्वाचन अधिकारी

उपायुक्त मुकेश कुुमार आहूजा ने बताया कि फसल अवशेष न जलाने के लिए किसानों को सचेत एवं जागरूक करने हेतू कृषि विभाग किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है

पंचकूला 7 अक्तूबर- उपायुक्त मुकेश कुुमार आहूजा ने बताया कि फसल अवशेष न जलाने के लिए किसानों को सचेत एवं जागरूक करने हेतू कृषि विभाग किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए न्यायालय के दिशा निर्देशानुसार यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाता है तो उस पर जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान किया गया हैं। यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाए पाए जाते हैं तो उससे जुर्माने के रूप में 2500/-रू से 15000/-रू तक का जुर्माना वसूला जाएगा।

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उपायुक्त ने बताया कि खण्ड बरवाला व रायपुरानी के किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। यह अभियान 10 अक्तुबर तक चलेगा और इस दौरान गोष्ठी व छोटी बैठकें आयोजित कर किसानों को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलाने पर जिला के 6 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है जिसमें 4 रायपुररानी व 2 बरवाला के किसान शामिल है।

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उपायुक्त ने बताया कि धान फसल की ज्यादातर कटाई कम्बाईन हारवेस्टर से की जाती है। जिसके फलस्वरूप फसल का कुछ अवशेष बच जाते हैं। इस फसल अवशेष प्रायः किसान जला दिया जाता हैं। फसल अवशेष जलाने से भूमि में मौजूद आवश्यक कार्बन तत्व, सूक्ष्म पोषक तत्व व जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। आग लगाने से उत्पन्न धुऐं से दिल व फेंफड़ों की बीमारियों की सम्भावना बनी रहती है जिससे अस्थमा इत्यादि बिमारी हो जाती है। आग से पर्यावरण में मौजूद आॅक्सीजन की कमी भी जो जाती है। प्रायः कई बार देखने में आया है कि आग से जान व माल का भारी नुकसान भी हो जाता हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को किसान पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसलिए किसानों को फसल अवशेष जलाने के दुष्प्रभावों को देखते हुए किसानों को फसल अवशेष न जलाने की अपील की जाती है।