*27 दिसम्बर को जिला के बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतों की जाएगी सुनवाई*

उच्च न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिवों को निर्देश दिया कि वे कोविड संक्रमण के संकट के कारण उत्पन्न होने वाली शिकायतों पर त्वरित जानकारी और कार्रवाई के लिए नोडल एजेन्सियों का हिस्सा बनें।

पचंकूला अप्रैल, 24 : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की एक खण्डपीठ जिसमें न्यायमूर्ति श्री राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति श्री करमजीत सिंह शामिल थे, ने ऋषि बनाम हरियाणा राज्य अन्य नामक केस में आवेदन का निस्तारण किया।

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पीठ द्वारा पारित अंतिम आदेशों में यह निर्देश दिया गया कि प्रत्येक जिले में सचिव, कानूनी सेवा प्राधिकरण, कोविड संक्रमण की स्थिति से उत्पन्न शिकायतों के निपटान के लिए गठित समिति/नोडल एजेन्सियों के सदस्य होंगे, जिसमें उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, नगर काउन्सिल/निगम के प्रतिनिधि और सिविल सर्जन शामिल होंगे।


आदेश पारित करते समय पीठ ने निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो तो समिति की बैठक दैनिक आधार पर इलैक्ट्रोनिक माध्यमों से आयोजित की जायेगी। पीठ द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि समिति के सदस्यों में से किसी के द्वारा हेल्पलाईन नंबर पर काॅल आने पर प्रशासन द्वारा तुरन्त प्रतिक्रिया दी जाए।


अतिरिक्त महाधिवक्ता, पंजाब ने कहा कि राज्य को इस तरह की समिति के गठन पर और जनता की शिकायतों पर विचार करने के लिए हर जिले में एक विशेष नंबर निर्दिष्ट करने में कोई आपत्ति नहीं है। हालाॅकि, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया हैं कि एक निर्दिष्ट हेल्पलाईन नंबर 104 पहले ही जारी किया जा चुका है जो जनता की सभी प्रकार की शिकायतों का निवारण करता है।


यू0टी0 चण्डीगढ़ के मौजूदा वकील ने कहा कि यू0टी0 चण्डीगढ़ में एक युद्ध कक्ष स्वरूप पहले से ही चालू है जो लोगों की शिकायतों पर विचार कर रहा है तथा एक फोन नंबर भी कार्यात्मक है।
पीठ के संज्ञान में यह भी लाया गया कि कुछ निजी अस्पताल अत्यधिक शुल्क ले रहे हैं और जनता को भगा रहे हैं। तदानुसार सभी 3 राज्यों ने आश्वासन दिया है कि इस तरह की शिकायत पर तुरन्त गौर किया जाएगा और यदि आवश्यकता पड़ी तो ऐसे निजी अस्पताल और चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ दण्डात्मक कदम उठाए जाएंगे।


तीनों राज्यों द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि नामित हेल्पलाइन नंबर पर काॅल आने की स्थिति में शिकायतांे का त्वरित निवारण होगा। इसके अलावा, इस तरह के काॅल में भाग लेने के लिए अधिक कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी और आस-पास के क्षेत्र में पी0सी0आर0/बीट्स को भी सक्रिय किया जाएगा। राज्यों ने यह भी आश्वासन दिया है कि मौजूदा महामारी की स्थिति में जनता में विश्वास पैदा करने के लिए और जनता को जागरूक करने के लिए नामित हेल्पलाईन नंबरों का व्यापक प्रचार इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया पर किया जाएगा।

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पीठ ने राज्यों को नगर निकायों/स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियेां को यह सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देशित किया है कि आम जनता के लिए मास्क शिष्टाचार का पालन किया जाए। सार्वजनिक और निजी संस्थानों के प्रमुख कर्मचारियों को उचित तरीके से मास्क पहनने के लिए जागरूक करेंगे। पीठ द्वारा यह भी निर्देश दिया गया कि जो व्यक्ति मास्क पहनकर नहीं आते हैं और जो लापरवाही से मास्क पहनते हैं अर्थात अपना मुॅह और नाक खुला रखते है, ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जाए।

पीठ ने सभी तीन राज्यों को दिए गए आश्वासन के आधार पर तथा यदि आवश्यक हो, तो याचिका को पुनर्जीवित करने के लिए एमिकस क्यूरी की स्वतंत्रता के साथ याचिका का निपटारा किया। राज्यों को एक सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री में एक छोटे हलफनामें के माध्यम से हर जिले में दिन के घटनाक्रम के बारे में स्थिति रिपोर्ट दर्ज करने का भी निर्देश दिया गया है।