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हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष  सरदार उद्यम सिंह के शहीदी दिवस पर शहीद को देंगे श्रद्धांजलि

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पंचकूला, 28 जून- हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता सरदार उद्यम सिंह के शहीदी दिवस पर सेक्टर-6 के मनसा देवी सामुदायिक केंद्र में 31 जुलाई को सरदार उद्यम सिंह की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि देंगे।


भारत माता के वीर सपूत सरदार उद्यम सिंह का नाम भारतवर्ष के इतिहास में धु्रव तारे की माफिक चमकता रहेगा और शहीद द्वारा दी गई कुर्बानी को देश सदा याद रखेंगा।


शहीद उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब प्रांत के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में एक कंबोज परिवार में हुआ था। सन 1901 में उधमसिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। उधमसिंह के बचपन का नाम शेर सिंह कंबोज और उनके भाई का नाम मुक्तासिंह कंबोज था, जिन्हें अनाथालय में उधमसिंह और साधुसिंह के रूप में नए नाम मिले।


अनाथालय में उधमसिंह कंबोज की जिंदगी चल ही रही थी कि 1917 में उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया। वह पूरी तरह अनाथ हो गए। 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शमिल हो गए। उधमसिंह अनाथ हो गए थे परंतु इसके बावजूद वह विचलित नहीं हुए और देश की आजादी तथा जनरल डायर को मारने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहे। वीर उधमसिंह जलियावाला बाग की घटना से काफी विचलित हो गये। उन्होनंे जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक थी जहां माइकल ओश्डायर भी वक्ताओं में से एक था। उधम सिंह उस दिन समय से ही बैठक स्थल पर पहुँच गए। अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा ली। इसके लिए उन्होंने किताब के पृष्ठों को रिवॉल्वर के आकार में उस तरह से काट लिया था, जिससे डायर की जान लेने वाला हथियार आसानी से छिपाया जा सके। बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओश्डायर पर गोलियां दाग दीं। दो गोलियां माइकल ओश्डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी। उन पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। शहीद भगत सिंह सरदार उद्यम सिंह के प्रेरणा स्त्रोत रहे। उद्यम सिंह सदैव भगत सिंह की फोटो अपने पास रखते थे। ऐसे शहीद कभी मरते नहीं है अमर हो जाते है और युवाओं के लिये एक मिसाल बन जाते हैं।

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