हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने शहीद मदन लाल ढींगरा की प्रतिमा पर किये श्रद्धासुमन अर्पित
-श्री गुप्ता ने सेक्टर-4 के सामुदायिक केंद्र का शहीद मदन लाल ढींगरा के नाम पर किया नामकरण
-‘अमर शहीद मदन लाल ढींगरा’ का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य-गुप्ता
– वे उन सभी वीर सैनिको को भी सलाम करते है जो दुर्गंम परिस्थितियों में देश की सीमाओं की करते है रक्षा
पंचकूला, 17 अगस्त- हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता ने शहीद मदन लाल ढींगरा की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किये और सेक्टर-4 के सामुदायिक केंद्र का शहीद मदन लाल ढींगरा के नाम पर नामकरण किया।
इस अवसर पर नगर निगम महापौर कुलभूषण गोयल और नगर निगम आयुक्त धर्मवीर सिंह भी उपस्थित थे।
उनके शहीदी दिवस पर बोलते हुये श्री गुप्ता ने कहा कि वे वीर क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा, जिन्होंने जवानी में देश के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये, वे शहीद को नमन करते है। उन्होंने कहा कि वे अभिनव भारत मंडल के सदस्य होने के साथ ही इंडिया हाउस नाम के संगठन से भी जुड़े थे, जो भारतीय विद्यार्थियों के लिए राजनीतिक गतिविधियों का आधार था। मदन लाल ढींगरा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान् क्रान्तिकारी थे। भारत को आजाद करवाने के लिए भारत-माता के कितने शूरवीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहूति दी।
उन्हीं महान् शूरवीरों में ‘अमर शहीद मदन लाल ढींगरा’ का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य है। अमर शहीद मदन लाल ढींगरा महान् देशभक्त, धर्मनिष्ठ क्रांतिकारी थे। उन्होंने भारत माँ की आजादी के लिए जीवन-पर्यन्त अनेक प्रकार के कष्ट सहन किए, परन्तु अपने मार्ग से विचलित न हुए और भारत को आजाद करवाने के लिये हंसते-हंसते फाँसी पर लटक गये। श्री गुप्ता ने बताया कि उनका शहीद मदन लाल ढींगरा का जन्म सन् 1883 में पंजाब में एक संपन्न हिंदू परिवार में हुआ था। मदन लाल को भारतीय स्वतंत्रता सम्बन्धी क्रान्ति के आरोप में जब लाहौर के एक विद्यालय से निकाल दिया गया, तो परिवार ने मदन लाल से नाता तोड़ लिया। मदन लाल को एक लिपिक के रूप में, एक तांगा-चालक के रूप में और एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पड़ा। वहाँ उन्होंने एक यूनियन (संघ) बनाने का प्रयास किया परंतु वहां से भी उन्हें निकाल दिया गया। कुछ दिन उन्होंने मुम्बई में भी काम किया। अपनी बड़े भाई से विचार विमर्श कर वे सन् 1906 में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैड गये, जहां यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में यांत्रिक प्रौद्योगिकी में प्रवेश लिया। इसके लिए उन्हें उनके बड़े भाई एवं इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से आर्थिक सहायता लेनी पड़ी।
श्री गुप्ता ने बताया कि वे विनायक दामोदर सावरकर और श्याम जी कृष्ण वर्मा जैसे कट्टर देशभक्तों के सान्निध्य में लंदन आये और हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया। मदन लाल ढींगरा ’अभिनव भारत मंडल’ के सदस्य होने के साथ ही ’इंडिया हाउस’ नाम के संगठन से भी जुड़ गए जो भारतीय विद्यार्थियों के लिए राजनीतिक गतिविधियों का आधार था। इस दौरान सावरकर और ढींगरा के अतिरिक्त ब्रिटेन में पढ़ने वाले अन्य बहुत से भारतीय छात्र भारत में खुदीराम बोस, कनानी दत्त, सतिंदर पाल और कांशीराम जैसे देशभक्तों को फाँसी दिए जाने की घटनाओं से तिलमिला उठे। श्री गुप्ता ने बताया कि श्री ढींगरा ’इंडियन नेशनल एसोसिएशन’ लंदन में आयोजित वार्षिक दिवस समारोह में अंग्रेजों को सबक सिखाने के उद्देश्य से गए थे। अंग्रेजों के लिए भारतीयों से जासूसी कराने वाले ब्रिटिश अधिकारी सर कर्जन वाइली ने जैसे ही हाल में प्रवेश किया तो ढींगरा ने रिवाल्वर से उस पर चार गोलियां दाग दीं, कर्जन को बचाने की कोशिश करने वाला पारसी डॉक्टर कोवासी ललकाका भी ढींगरा की गोलियों से मारा गया।
उन्होंने बताया कि कर्जन वाइली को गोली मारने के बाद मदन लाल ढींगरा ने अपने पिस्तौल से अपनी हत्या करने का प्रयास किया परंतु उन्हें पकड लिया गया। 23 जुलाई को ढींगरा के प्रकरण की सुनवाई पुराने बेली कोर्ट, लंदन में हुई। उनको मृत्युदण्ड दिया गया और 17 अगस्त सन् 1909 को फाँसी दें दी गयी। इस महान् क्रांतिकारी के रक्त से राष्ट्रभक्ति के जो बीज उत्पन्न हुए उनका हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
श्री गुप्ता ने कहा कि वे उन सभी वीर सैनिको को भी सलाम करते है जो आज दुर्गंम परिस्थितियों में देश की सीमाओं की रक्षा के लिये तपती गर्मी और माईनस टैम्प्रेचर में पहरा दें रहे है ताकि हमारे देश के लोग चैन की नींद सो सके।
इस अवसर पर जिला महामंत्री परमजीत कौर, प्रसिद्ध शिक्षाविद एमएम जुनेजा, पार्षद ओमवती पूनिया, सुरेश वर्मा, सुनित सिंघला, रितु गोयल, सलीम खान, अक्षयदीप चैधरी, नगर निगम के एससी विजय कुमार, एक्शन प्रमोद कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।