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हरियाणा में हिन्दी साहित्य की समृद्ध परम्परा है: जे.पी. पाण्डेय

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पंचकूला, 14 सितम्बर- हरियाणा में साहित्य की समृद्ध परम्परा का प्रमाण आज कृति पुरस्कार समारोह में पुरस्कृत हरियाणा लेखकों की रचनाधर्मिता से और सशक्त हुआ है। हरियाणा में सरकार द्वारा हिन्दी भाषा व साहित्य के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाएं वास्तव में अनुकरणीय हैं। 

उक्त विचार श्री जे.पी. पाण्डेय निदेशक, स्कूल शिक्षा, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पंचकूला में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि यह पहली बार हो रहा है जब भारत सरकार के वरिष्ठ नेता एवं मंत्रालय के अधिकारी हिन्दी में अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं। 

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. लालचन्द गुप्त ‘मंगल’ ने कहा मैं बहुत सालों से हरियाणा साहित्य अकादमी से जुड़ा हूँ। ये पहला आयोजन है कि जो इस धरातल पर हो रहा है। हरियाणा में हिन्दी में खूब काम हो रहा है। देहरादून में विश्वभाषा केन्द्र के 2017 के सर्वे में कहा गया है कि दुनिया में हिन्दी प्रथम स्थान पर बोली जाती है।इस अवसर पर अकादमी द्वारा 
*इन लेखकों को कृति पुरस्कार से किया गया पुरस्कृत*
 सर्वश्री हरभगवान चावला, सिरसा (इसी आकाश में), विकेश निझावन, अम्बाला शहर (छुअन तथा अन्य कहानियाँ), उषा अग्रवाल, मुम्बई (बर्फ के कालीन पर नन्हें पांव), बलराम सैनी, अम्बाला (ढह गई दीवार), वेदप्रकाश नागपाल, चंडीगढ़ (मेरा ज़िन्दगी नामा), बी.डी. कालिया, पंचकूला (साहित्य प्रपात), लहणा सिंह अत्री, फफड़ाना, करनाल (चल दिखादयूँ अजब नजारा), राममेहर सिंह, जीन्द (हरियाणवी रागिनी साहित्यिक विश्लेषण), सुशील ‘हसरत’ नरेलवी चण्डीगढ़ (तसव्वुर के आईने से), जगवीर सिंह, भिवानी (धर्म एवं दर्शन), सतीश चन्द्र अग्रवाल, पंचकूला ( सुसंस्कार निर्माण (प्रज्ञा प्रसंग), आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट, भिवानी (‘खोया हुआ विश्वास’), विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’, भिवानी (‘लोक साहित्यकार: जयलाल दास’), सूबेसिंह मौर्य, जीरकपुर (‘सुन्दरकाण्ड का सौंदर्य एवं मानव हित’), प्रदीप नील, हिसार (‘जाट कहवै, सुण जाटणी’), अनिल कुमार पृथ्वीपुत्र, भिवानी (‘अमर जवान सतसई’), अजय सिंह राणा, चंडीगढ़ (तेरा नाम इश्क़), जसविंदर शर्मा, पंचकूला (जलती हुई नदी), जितेन्द्र कुमार, चण्डीगढ़ (व्यंग्य बाणों का तूणीर), रिसाल जांगड़ा, कैथल (घुँघरू बचपन के), संतोष गर्ग, पंचकूला (सनातन वार्ता), हरिपाल गौड़, रोहतक (सांग-सुधा), ज्ञानी देवी, करनाल (दरद नै ए दवा बणा), शर्मीला, हिसार (तीन टुकड़ा सूरज), विजय ‘विभोर’, रोहतक (फिर वही पहली रात), लाजपत राय गर्ग, पंचकूला (पल जो यूँ गुज़रे), पंकज शर्मा, अम्बाला शहर (मुफ्त बातों के मुफ्तलाल), बलजीत सिंह, हिसार (काले पानी का सफेद सच), महेन्द्र सिंह ‘सागर’, भिवानी (बाल उड़ान), रामबीर सिंह, सोनीपत (‘लोककला सिरमौर: निहालचंद शिवचरण’) तथा इसके अतिरिक्त 10 कहानी विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया।

कार्यक्रम के अन्त में अकादमी निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में सभी लेखकों को उत्कृष्ट लेखन के लिए प्रेरित किया तथा युवा लेखकों के लिए अकादमी द्वारा आरम्भ की गई नयी योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. विजेन्द्र कुमार द्वारा किया गया।

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