*MC Chandigarh celebrated Teej with Safaimitras: Mayor Honors Women Workforce at Rani Laxmi Bai Bhawan*

स्वरोजगार हेतू मशरूम की खेती पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का समापन

पंचकूला दिसंबर 26: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला की संयोजिका डॉ श्रीदेवी तलाप्रागडा के मार्गदर्शन में केन्द्र द्वारा स्वरोजगार हेतू मशरूम की खेती पर पांच दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसका आज विधिवत् समापन हुआ। यह प्रशिक्षण 20 दिसम्बर को शुरू हुआ था।

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यह प्रशिक्षण अनूसूचित व अनुसूचित जनजाति परिवार के 60 युवक व युवतियों को प्रदान किया गया। कार्यक्रम के निदेशक डॉ रविंद्र चौहान व डॉक्टर गजेंद्र सिंह ने युवक व युवतियों को इस कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया l इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने के उपरांत युवक व युवतियां मशरूम की खेती का व्यवसाय अपनाकर अपनी आजीविका कमा सकते हैं l मशरूम का उत्पादन ग्रामीण युवाओं के लिए एक अच्छा व्यवसाय साबित हो रहा है l

मशरूम सेहत के लिए लाभदायक है इसलिए इसकी मांग बढ़ रही है पर आपूर्ति उतनी नहीं हो रही है l ऐसे में मशरूम की खेती आज के समय के लिए फायदे का व्यवसाय है l इसका उत्पादन ग्रामीण युवाओं के लिए एक अच्छा व्यवसाय साबित हो रहा है l मशरूम एक पौष्टिक आहार है इसमें एसिड, खनिज- लवण, विटामिन जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं l मशरूम में फोलिक एसिड और लावनिक तत्व पाए जाते हैं जो खून में रेडसैल बनाते हैं l डॉक्टर और डाइटिशियन मोटापा, हार्ट डिजीज और डायबिटीज के रोगियों को इसका सेवन करने की सलाह देते हैं l मशरूम की खेती को छोटी जगह और कम लागत में शुरू किया जा सकता है और लागत की तुलना में मुनाफा कई गुना ज्यादा होता है l

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बेरोजगार युवकों के लिए स्वरोजगार के नजरिए से भी यह सेक्टर फायदेमंद साबित हो सकता है।

किसानों को संबोधित करते हुए डॉ रविंद्र चौहान पौध रोग विशेषज ने कहा कि खुंबी की खेती कृषि का वह नया क्षेत्र है जिसे खेती प्रणाली में आने से समेकित किया जा सकता है भूमि की खेती के लिए भूमि की बहुत कम भूमि की आवश्यकता् होती है तथा कृषि अपशिष्ट इसका प्रमुख निवेश है। प॔चकूला जिले में मशरूम की खेती की अपार संभावनाएं हैं खासतौर पर मोरनी एरिया में मशरूम की खेती बहुत ही उपयुक्त है।

केंद्र के मत्स्य वैज्ञानिक डॉक्टर गजेंद्र सिंह ने कृषि विविधीकरण के तहत मत्स्य पालन अपनाने पर भी जोर दिया और किसानों को सीधे बाजार से जुड़ने की सलाह दी । प्रशिक्षण के अन्त में प्रतिभागियों को मशरूम उगाने के लिए कम्पोस्ट के बैग मुफ्त बाँटे गये ताकि वे अपना काम शुरू कर सके।