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सुखदर्शनपुर में गौ अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के कार्य शीघ्र होगा शुरू, सरकार ने आबंटित की भूमि- श्रवर्ण कुमार गर्ग*

*- प्रदेश की 558 पंजीकृत गउशालाओं को गौवंश के चारे के लिए दूसरी इंस्टालमेंट के रूप में 13 करोड़ 6 लाख 75 हजार 500 रुपये की राशि की जा चुकी है जारी*
*-अब साल में एक के बजाए दो बार जारी की जाती है यह ग्रांट, ताकि गउशालाओं में न रहे चारे की कमी*
*-गांय के गोबर से निर्मित पेंट, गमले और होली के रंग को भी किया प्रदर्शित*
*- होली पर गउशालाओं में गोबर से बनी लकड़ी और गोबर से बने रंग प्रयोग करने की करी अपील*

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पंचकूला, 15 मार्च- हरियाणा गौ सेवा आयोग के चेयरमैन श्री श्रवर्ण कुमार गर्ग ने बताया कि गौ सेवा आयोग के माध्यम से सुखदर्शनपुर में गौ अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा भूमि आबंटित कर दी गई हैं और शीघ्र ही यह केन्द्र स्थापित कर दिया जायेगा। इसके अलावा प्रदेश की 558 पंजीकृत गउशालाओं को गौवंश के चारे के लिए दूसरी इंस्टालमेंट के रूप में 13 करोड़ 6 लाख 75 हजार 500 रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।  श्री श्रवर्ण कुमार गर्ग आज पंचकूला के सेक्टर-22 स्थित हरियाणा गौ सेवा आयोग के कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस अवसर पर हरियाणा गौ सेवा आयोग के सचिव डाॅ. चिरंतन कादियान भी उपस्थित थे।  श्री गर्ग ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने गोपाष्टमी के पावन अवसर पर कामधेनु गौशाला पिंजौर में आयोजित कार्यक्रम में सुखदर्शनपुर में गौ अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने की घोषणा की थी और अब इसके लिए भूमि भी आबंटित कर दी गई है। इसके लिए वे मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का आभार प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि इस अनुसंधान केन्द्र में गौवंश नस्ल सुधार के साथ-साथ गांय के गोबर व मूत्र पर अनुसंधान करके विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाएंगे ताकि गउशालाओं को और स्वावलंबी बनाया जा सके।  उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने हरियाणा में गौ सेवा आयोग को एक नया जीवन दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले सरकार के कार्यकाल में गौ सेवा आयोग का गठन तो हुआ परंतु गौवंश के संवर्धन और संरक्षण पर कोई कार्य नहीं किया गया। वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही राज्य सरकार द्वारा हरियाणा गौ वंश संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 2015 लागू किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी अधिनियम के आधार पर राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय ‘काओ टास्क फोर्स’ का गठन किया गया, जिसने कार्य करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गौवंश के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप गौ हत्या पर अंकुश लगा है वहीं सड़कों पर लावारिस घूमने वाली गांयों की संख्या में भारी कमी आई है।  श्री गर्ग ने बताया कि प्रदेश में गउशालाओं को वर्ष में दो बार ग्रांट जारी की जाती है जबकि पूर्व में केवल एक बार ही ग्रांट दी जाती थी। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश की 558 पंजीकृत गौशालाओं को गौवंश के चारे के लिए लगभग 14 करोड़ रूपए की ग्रांट जारी की गई थी और अब 1 मार्च से अब तक दूसरी ग्रांट के रूप में 13 करोड़ 6 लाख 75 हजार 500 रुपये की राशि जारी की जा चुकी है, जिसमें पंचकूला की 12 गउशालाओं के लिए 15 लाख 39 हजार 100 रूपए की राशि शामिल है।  उन्होंने बताया कि यह राशि सीधे गउशालाओं के खाते में जमा करवाई गई है और राशि मिलने से गउशालाओं में गौवंश के प्रयाप्त चारे की व्यवस्था सुनिश्चित होगी। इस अवसर पर उन्होंने गांय के गोबर से निर्मित पेंट, गमले और होली के रंग को भी प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि गोबर से बनाया गया पेंट पूरी तरह प्राकृतिक है और इसमें किसी भी प्रकार के कैमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि वन विभाग ने गउशालाओं से गोबर से बने गमले खरीदने का निर्णय लिया है। गमलों में लगे पौधों को छह महीने तक जमीन में लगाया जाएगा। इन छह महीनों में यह गमले के साथ-साथ पौधों के लिए खाद का भी काम करेगा, जिससे पोलिथीन से पर्यावरण को होने वाले  नुकसान से बचाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि इस बार होली के पर्व पर गउ माता के गोबर से रंग तैयार किये गए है जो कैमिकल मुक्त है और इसके लगाने से त्वचा को कोई हानि नहीं होगी। इन रंगों में कई अन्य प्राकृतिक उत्पाद भी मिलाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सेंपल के रूप में कुछ गउशालाओं में यह रंग बनाए गए हैं और आने वाले दो-तीन वषों में प्रदेश की सभी गउशालाओं में यह हर्बल रंग तैया किए जाएंगे। इस अवसर पर उन्होंने लोगों से आहवान किया कि वे होली पर गउशालाओं में गोबर से बनी लकड़ी का होलिका दहन में प्रयोग करें और गोबर से बने रंग खरीदें।

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