*Municipal Corporation conducts cleanliness drive in Sector 11 green belt*

श्रीमद् भगवद् गीता किसी जाति, धर्म विशेष का नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता का ग्रंथ : डा. संगीता नेहरा

सिरसा, 21 दिसंबर।


               आयुष विभाग की निदेशिका डा. संगीता नेहरा ने कहा कि गीता के माध्यम से हमें जीवन में निरंतर सकारात्मक रुप से आगे बढऩे की प्रेरणा मिलती है और जीवन में किसी भी परिस्थिति में सहनशील रहने का संदेश भी मिलता है। गीता हमें सक्रिय व निर्गुण बनाती है, धर्म की स्थापना तभी संभव है जब हम आत्मज्ञानी बनें। आत्मज्ञानी बने बिना हम केवल शरीर मात्र हैं, आत्मज्ञान व्यक्ति में सरलता लाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता हमें जीवन में निरंतर कुछ न कुछ नया सिखाती है और समाजहित के प्रति अपना दायित्व निभाने के लिए प्रेरित करती है।

For Detailed News-


                   डा. संगीता नेहरा मंगलवार को गीता महोत्सव 2020 के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी संत कुमार, जिला मौकिल शिक्षा अधिकारी आत्म प्रकाश, ब्रह्मïाकुमारी बहन बिंदु, आचार्य द्रोण प्रसाद कोइराला ने गीता का जीवन में महत्व पर प्रकाश डाला। इस वेबिनार में जिला के विभिन्न विद्यालयों से अध्यापक, विद्यार्थी भी ऑनलाइन जुड़े। इसके अलावा कनाडा से बहन भारती भी वेबिनार से ऑनलाइन जुड़े और गीता के सार पर आयोजित वेबिनार की सराहना की। इस वेबिनार का प्रसार यू-टï्यूब पर लाइव भी किया गया। वेबिनार का कुशल संचालन एपीसी शशी सचदेवा ने किया।


                   डा. संगीता नेहरा ने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता मनुष्य को कर्म का संदेश देता है। मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है, कई बार वह भटक जाता है, ऐसे में गीता मानव को निरंतर कर्म का संदेश देती है और जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता विश्व का एक महान ग्रंथ है। इस ग्रंथ में कहे गए एक-एक श्लोक में मानवता की सीख मिलती है। इसलिए अपने जीवन को सफल बनाने और सही मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में पवित्र ग्रंथ गीता के ज्ञान को धारण करना चाहिए।

https://propertyliquid.com


                   ब्रह्मïाकुमारी से बहन बिंदू ने कहा कि श्रीमद् भगवद् गीता में मित्रता का भी संदेश दिया गया है। यह हमें संतुलित रह कर जीवन जीना सिखाती है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में बताया है कि जो विद्या बिना सेवाभाव या प्रतिशोध की भावना के प्राप्त की जाती है, संकट के समय काम नहीं आती है। ज्ञान आत्मा का सहज गुण है, ज्ञान के लिए समर्पण व एकाग्रता की आवश्यकता होती है। स्वार्थवश प्राप्त किया गया ज्ञान कभी भी लाभप्रद नहीं होता। श्रीमद् भगवद् गीता में कहा गया है कि हमें गलत को गलत कहना चाहिए और अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज उठानी चाहिए।


                   पीजीटी संस्कृत द्रोण प्रसाद कोइराला ने कहा कि गीता किसी धर्म, जाति का शास्त्र नहीं, यह पूरी मानवता का शास्त्र है। गीता ज्ञान का अगाज समुद्र है तथा 21वीं शताब्दी में गीता की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन अपना कर्म समझ कर करना चाहिए, अभिमान या स्वार्थवश किया गया कार्य कभी भी फलदायी नहीं होता।


                   जिला शिक्षा अधिकारी संत कुमार व हरीओम भारद्वाज ने कार्यक्रम में शामिल सभी वक्ताओं का धन्यवाद व्यक्त करते जिला स्तरीय गीता महोत्सव के उपलक्ष्य में खंड स्तर पर आयोजित की गतिविधियों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।