*Prime land freed from encroachments in Manimajra by MC Chandigarh*

*विधान सभा अध्यक्ष ने संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी महाराज के 36 वें मूर्ति स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप की शिरकत*

*रविदास भवन में छात्रावास के भवन निर्माण के लिए सभा को  अपने  स्वैच्छिक कोष से 22 लाख रुपये देने की घोषणा की*
*-सामाजिक कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं-विधानसभा अध्यक्ष*

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पंचकूला, 26 अक्तूबर-  हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञान चन्द गुप्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा संतों-महापुरूषों और गुरूओं की जयंती राज्य स्तर पर धूम-धाम से मनाई जाती है ताकि हमारी युवा पीढी उनके जीवन से प्रेरणा लेकर देश व प्रदेश के नव निर्माण में अपना अहम योगदान दे सके। श्री गुप्ता कल देर सायं गुरु रविदास मंदिर सेक्टर -15 में श्री गुरु रविदास सभा सेक्टर- 15 पंचकूला की ओर से संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी महाराज के 36वें मूर्ति स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने गुरू रविदास सभा पंचकूला को छात्रावास के निर्माण के लिए अपने स्वैछिक कोष से 22 लाख रूपए देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यों के लिए उनके पास धन की कोई कमी नहीं है।  उन्होंने कहा कि संत रविदास सच्चे अर्थों में समाज सुधारक संत थे, जिन्हें पंजाब में रविदास और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान में रैदास जबकि महाराष्ट्र में लोग उन्हें रोहिदास व बंगाल में रूईदास के नाम से जानते हैं। उन्होंने बताया कि कहा जाता है कि माघ मास की पूर्णिमा को जब रविदास जी ने जन्म लिया वह रविवार का दिन था जिसके कारण उनका नाम रविदास रखा गया। संत शिरोमणि कवि रविदास का जम्न 1376 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के गोबर्धनपुर गांव में हुआ। रविदास जी चर्मकार कुल से होने के कारण जूते बनाते थे, ऐसा करने में उन्हें बहुत खुशी मिलती थी और वे पूरी लग्न व परिश्रम से अपना कार्य करते थे, इस दृष्टि से हम उन्हें सच्चे अर्थों में कर्मयोगी कह सकते हैं।  उन्होंने बताया कि संत रविदास का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में मुगलां का शासन था, चारों ओर अत्याचार, गरीबी, भ्रष्टाचार व अशिक्षा का बोलबाला था। उस समय मुस्लिम शासकों द्वारा प्रयास किया जाता था कि अधिकांश हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया जाए। संत रविदास की ख्याति लगातार बढ रही थी जिसके चलते उनके लाखों भक्त थे, जिनमें हर जाति के लोग शामिल थे। संत रविदास बहुत ही दयालु और दानवीर थे। संत रविदास ने अपने दोहों व पदों के माध्यम से समाज में जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया अैर मानवतावादी मूल्यों की नींव रखी। उन्होंने बताया कि संत रविदास जी ने लिखा भी है-‘रैदास जन्म के कारने होत न कोई नीच, नर कूं नीच कर डारि है, ओछे करम की नीच’ यानि कोई भी व्यक्ति सिर्फ अपने कर्म से नीच होता है। कोई भी व्यक्ति जन्म के हिसाब से कभी नीच नहीं होता।  श्री गुप्ता ने बताया कि संत रविदास जी के लगभग 40 पद सिख धर्म के पवित्र ‘धर्मग्रंथ साहिब’ में सम्मिलित किए गए हैं। स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधारा के महान् संत हैं। संत रविदास उनके शिष्य थे तथा वे संत कबीर के समकालीन व गुरूभाई थे। स्वयं कबीरदास जी ने ‘संतन में रविदास’ कहकर उन्हें मान्यता दी है। राजस्थान की कृष्णभक्त कवयित्री मीराबाई उनकी शिष्या थीं। उन्होंने बताया कि वाराणसी में संत रविदास का भव्य मंदिर और मठ है। जहां सभी जाति के लोग दर्शन करने आते हैं। वाराणसी में श्री गुरू रविदास पार्क है जो नगवा में उनके यादगार के रूप में बनाया गया है।इस अवसर पर करनाल के  जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा,  पार्षद हरेंद्र मलिक, जय कौशिक, राकेश बाल्मिकी, ओमवती पुनिया, जिला के एस सी मोर्चा के अध्यक्ष श्री अमरीक सिंह, नेहरू युवा केन्द्र पंचकूला के उपनिदेशक श्री प्रदीप , गुरु रविदास सभा सेक्टर 15 के अध्यक्ष केएल बराड़, प्रशासक कैप्टेन हरीराम, सेवानिवृत सेशन जज श्री वी पी चैधरी, के. एस कटारिया,  अर्जुन सिंह सिरोही व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित उपस्थित थे।

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