सरकार पशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रतिबद्ध- श्याम सिंह राणा

रायपुररानी (जिला पंचकूला) स्थित सौलर प्लंाट का निरीक्षण किया।

पंचकूला,15 जनवरी- हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (एच.ई.आर.सी) के चेयरमैन दीपेन्द्र सिंह ढेसी ने आज गांव बदौर, तहसील रायपुररानी (जिला पंचकूला) स्थित सौलर प्लंाट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने में आने वाली चुनौतियों और उनका व्यवहारिक तौर पर कैसे निदान हो, इनका बारिकी से जायजा लिया।


एच.ई.आर.सी के चेयरमैन ढेसी ने गांव बदौर में सात वर्ष पहले जे.एन.एल सौलर मिशन के तहत लगे एक मैगावाट सौलर प्लांट के संचालक से इस विषय में पूछा कि आपको किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंन बताया कि सूर्य अस्त होने से आधा घंटा पहले बिजली उत्पादन बिल्कुल बन्द हो जाता हैं। आज से सात साल पहले जहां एक वाट सौलर ऊर्जा पैदा करने के लिए करीब 200 रूपये का खर्च आता था जो अब घट कर मात्र 20 रूपये रह गया है। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा को स्टोरेज करने में अभी भी दिक्कत हैं। लेकिन फिर भी एक वर्ष में इस प्लांट से 10 लाख 39 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन करके करीब 1 करोड़ 86 लाख रूपये की बिजली बेचते हैं।


एच.ई.आर.सी के चेयरमैन दीपेन्द्र सिंह ढेसी ने किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महा अभियान योजना (कुसुम) को कैसे सफलतापूर्वक लागू करना है इस बारे में उनके साथ गए बिजली निगम, हरेड़ा और एच.ई.आर.सी के निदेशक (तकनीकी) विरेन्द्र सिह से जानकारी ली। उन्होंने बताया कि सौलर ऊर्जा का 3 रूपये 11 पैसे पर यूनिट के हिसाब से दर तय है। उन्होंने कहा कि राज्यस्थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटका और गुजरात में लगे सौलर ऊर्जा प्लांटों का अध्ययन करके रिपोर्ट दें। इसके अलावा एच.ई.आर.सी. के चेयरमैन को सौलर प्लांट संचालक ने तकनीकी तौर पर बिजली निगम से आने वाली कुछ दिक्कतों के बारे में बताया जिस पर चेयरमैन ढेसी ने साथ गए निगम के अधिकारियों को तत्काल दूर करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर चेयरमैन ढेसी ने पूरे सौलर प्लांट का निरीक्षण करने के साथ-साथ बिजली कैसे ग्रिड में भेजी जाती है, उसके लिए लगे मीटरों का भी जायजा लिया। चेयरमैन ने पूछा कि एक मैगावाट प्लांट लगाने के बाद कितने बेरोजगार युवको को रोजगार मिलता है, और इसके लिए जमीन की औसतन क्या कीमत थी। प्लांट संचालक ने बताया कि करीब 10 से 12 युवकों को रोजगार प्राप्त होता है और जमीन की संभावित कीमत उस समय यहां करीब 15 से 20 लाख रूपये प्रति एकड़ थी। प्लांट संचालक ने बताया कि आज भी बैटरी स्टोरेज को लेकर दिक्कत आती है। जिस पर चेयरमैन ढेसी ने कहा कि सौर ऊर्जा को बढावा देने के लिए नीतियां व्यवहारिक बनाई जाएंगी। हरेडा के प्रोजेक्ट अधिकारी बिरथल ने आश्वस्त किया इन व्यवहारिक समस्याओं को दूर करने के लिए गहनता से काम चल रहा है और उन्होंने जानकारी दी कि इस समय प्रदेश में 88.9 मैगावाट बिजली इस तरह के सौलर प्लांटों से उत्पादन किया जा रहा है।


इस अवसर पर एसडीएम धीरज चहल, कार्यकारी अभियंता संजीव सिवाच, एच.ई.आर.सी के उप निदेशक (मीडिया) प्रदीप मलिक सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे।

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