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*नगराधीश ने 10 मई को अक्ष्य तृतीय के दिन जिले में सामूहिक बाल विवाह को रोकने के दिए निर्देश*

*नाबालिग लड़की से शादी करने वाले 18 साल से अधिक उम्र के पुरूष को 2 साल तक की कड़ी कैद या एक लाख रुपये का हो सकता है जुर्माना- नगराधीश*

*बाल विवाह की जानकारी होने पर तुरंत सूचना दे जिलावासी- नगराधीश*

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पंचकूला, 18 अप्रैल- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता में अक्ष्य तृतीय के अवसर पर बाल विवाह रोकने को लेकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक आयोजित की गई। उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों के संबंधित अधिकारियों को बाल विवाह रोकने को लेकर उचित दिशा निर्देश दिए। 

    लघु सचिवालय के सभागार में नगराधीश मन्नत राणा ने वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में भाग लिया। 

उन्होने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के चेयरमैन को बताया कि जिला में बाल विवाह को रोकने के लिए बाल विवाह निषेध अधिकारी द्वारा शिक्षा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पुलिस और आंगनवाॅडी सेंटर के साथ मिलकर 67 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके है।इसके अलावा 534 आंगनवाॅडी केंद्रों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए गए।

    उन्होंने बताया कि जिला में 15 वर्ष से 18 वर्ष तक के ड्राॅपआउट (आॅउट आॅफ स्कूल) 48 बच्चों की पहचान की गई, जिसमें 24 लड़के और 24 लड़कियां है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए एसीपी पंचकूला, बाल विवाह निषेध अधिकारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, सीडब्ल्यूसी चेयरमैन, श्रम विभाग के अधिकारियों की टीम गठित की गई है जो जिला में अक्ष्य तृतीय के अवसर पर बाल विवाह रोकने के लिए सक्रिय रहेगी। 

 इसके उपरांत नगराधीश मन्नत राणा ने लघु सचिवालय के सभागार में अक्ष्य तृतीय के दिन होने वाले सामूहिक बाल विवाह को रोकने के लिए बैठक की। नगराधीश ने 10 मई को अक्ष्य तृतीय के पवित्र दिन जिला में सामूहिक बाल विवाह को रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को इस संबंध में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नाबालिग लड़की से शादी करने वाले 18 साल से अधिक उम्र के पुरूष को 2 साल तक की कड़ी कैद या एक लाख रुपये का जुर्माना बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 के तहत हो सकता है।

 उन्होंने कहा कि अक्ष्य तृतीय के पवित्र दिन अनेक धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है और इस दिन सामूहिक बाल विवाह के आयोजनों की भी संभावना होती है। उन्होंने कहा कि 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के का विवाह करना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है। ऐसा कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, उसको बढ़ावा देता है या उसकी सहायता करता है, को 2 साल तक की कड़ी कैद या एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

 नगराधीश ने अपील की कि यदि किसी भी जिलावासी के आस पास के क्षेत्र में बाल विवाह का आयोजन करवाया जा रहा है तो वे तुरंत इसकी सूचना चाईल्ड हैल्पलाईन नंबर 1098, पुलिस हेल्पलाईन नंबर 112 और महिला एवं बाल विकास हैल्पलाईन नंबर 181 पर दें ताकि बाल विवाह को रूकवाया जा सके। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग को निर्देश दिए कि वे ग्राम और ब्लाॅक स्तर के साथ साथ शहरी और वार्ड स्तर, जिला व तहसील स्तर पर स्कूलों, झुग्गी-झोंपड़ियों व लेबर काॅलोनियों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करके लोगों को बाल विवाह न करने के बारे में प्रेरित करें। इसके अलावा पढ़ाई छोड़ने वाले स्कूली बच्चों की एक सूची तैयार करके उन पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों व लोगों को बाल विवाह से शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में भी जागरूक किया जाए। उन्होंने बताया कि बाल विवाह से जहां बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण पर बुरा असर पड़ता है वहीं बच्चों के उत्पीड़न व शोषण को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह से बच्चों की शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के अवसर समाप्त होते है और मातृत्व मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। 

     बैठक में एसीपी पंचकूला रमेश गुलिया, बाल विवाह निषेध अधिकारी सोनिया सब्रवाल, महिला एवं बाल विकास अधिकारी सविता नेहरा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी संध्या छिकारा, जिला बाल संरक्षण अधिकारी निधि मलिक, सीडब्ल्यूसी चेयरमैन ममता गोयल, सदस्य आशा सेठी, लेबर इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

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