जब महिलाएं बिना दबाव के निर्णय लेने में सक्षम होगी तभी वास्तव में सशक्त होंगी-राकेश कुमार आर्या

आंगनवाड़ी वर्करों के माध्यम से बच्चा गोद लेने के कानूनी मापदंड व विभाग की अन्य स्कीम को किया साँझा

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पंचकूला, 30 नवंबर- महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी बलजीत कौर के मार्गदर्शन मे जिला बाल संरक्षण इकाई में कार्यरत कानून एवं परिवीक्षा अधिकारी निधि मलिक ने पंचकुला जिले के ब्लॉक बरवाला की आंगनवाड़ी सर्कल बरवाला, कोट व बतौर के आंगनवाड़ी वर्करों के लिए एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया।


 श्रीमती निधि मलिक ने आंगनवाड़ी वर्करों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चागोद लेने के लिए राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त दत्तक एजेंसियों के माध्यम से ही गोद लें। बच्चा गोद लेने के लिए किसी बिचैलिएया दलाल की कोई  भूमिका नहीं है। गोद लेने के लिए सीधे किसी व्यक्ति, गैरकानूनी संस्था, मेटरनिटी होम, अस्पताल व नर्सिंग होम में संपर्क ना करें। बच्चों की देखभाल व संरक्षण के लिए केयरिंग (cara-nic-in) वेबसाइट पर दिए गए निर्देशों की पालना करें। इस साइट पर डाटा अपलोड करवा कर, ही बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया को पूर्ण किया जा सकता है।


उन्होंने बताया कि आज समाज में कुछ लोग लड़के की चाहत मंे ज्यादा संतान होने पर, उन्हें गोद देने की इच्छा रखते हैं लेकिन कानूनी जानकारी ना होने के कारण बिना सरकारी प्रक्रिया के बच्चों को गोद दंे देते हैं जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बेटियां ज्यादा होने पर गर्भपात अथवा उन्हें मारने जैसे अपराध करते हैं जो गलत है व गैरकानूनी है। इससे बेहतर है, बच्ची को सरकारी  माध्यम से किसी को गोद दे दिया जाए। ऐसा करने पर दंपत्ति के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होगी और बच्चे की जान भी बच जाएगी। उन्होंने कहा कि बच्चा गोद लेने अथवा देने के लिए  महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला बाल संरक्षण इकाई से संपर्क किया जा सकता है अथवा ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।


उन्होंने बताया कि एडॉप्शन रेगुलेशन 2022 के नियम के मुताबिक दंपत्ति तभी बच्चा गोद ले सकता है जब उसके  विवाह को 2 साल हो गए हो। बिना विवाह के साथ रहने वाले दंपत्ति बच्चा गोद नहीं ले सकते । बच्चा गोद लेने के लिए माता-पिता दोनों की सहमति जरूरी है। एक अकेली महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है परंतु एक अविवाहित या अकेले पुरुष को बालिका के दत्तक ग्रहण की अनुमति नहीं है। दत्तक ग्रहण करने वाले संभावित माता-पिता के पास अच्छी परवरिश के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन होने चाहिए। दत्तक ग्रहण करने वाले माता-पिता का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिए और उन्हें कोई संक्रामक या गंभीर रोग या मानसिक या  शारीरिक स्थिति ऐसी नहीं होनी चाहिए जो उसे बच्चे की देखभाल से रोक सके। उन्होंने बताया कि दूसरे बच्चे के दत्तक ग्रहण की अनुमति तभी दी जा सकती है जब प्रथम बच्चे के लिए कानूनी रूप दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया गया है परंतु यह भाई बहन के मामले में लागू नहीं है।


कानूनन एवं परिवीक्षा अधिकारी ने आंगनवाड़ी वर्करों को विभाग द्वारा चलाई जाने वाली स्पॉन्सरशिप व फॉस्टरकेयर स्कीम के बारे में भी अवगत कराया। स्पॉन्सरशिप स्कीम के तहत यदि कोई बच्चा, जिसके पिता या माता पिता दोनों की मृत्य हो चुकी है तो वो स्कीम का लाभ ले सकते है। बच्चा अपने दादा दादी, नाना नानी अथवा किसी रिश्तेदार के पास रहता है तो भी वह स्कीम कि लाभ लें सकता है। एक परिवार के दो बच्चे जिनकी आयु 18 वर्ष से कम है स्कीम का लाभ लंे सकते है । बच्चे  का स्कूल में जाना अनिवार्य है व परिवार की सालाना आमदनी ग्रामीण क्षेत्रों में 72000 रुपये व शहरी में सालाना आमदनी 96000 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिये। इस स्कीम का लाभ ऐसे बच्चो को भी दिया जाता है जिनके माता पिता कोई नाइलाज बीमारी से ग्रसित हो।


यह कार्यक्रम बरवाला ब्लॉक की सीडीपीओ कुसुम एडिशनल जिला बाल संरक्षण अधिकारी की देखरेख में किया गया। इस अवसर पर सुपरवाइजर मनीषा व सुपरवाइजर बिमला के साथ  सभी आंगनवाड़ी वर्कर उपस्थित रही।

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