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पुरस्कार लेने पहुंची थीमक्का ने आशीर्वाद स्वरूप राष्ट्रपति के माथे को हाथ लगाया

नई दिल्ली: 

पद्म पुरस्कारों के वितरण समारोह में राष्ट्रपति भवन का कड़ा प्रोटोकाल भी कर्नाटक में हजारों पौधे लगाने के लिये पद्म श्री से सम्मानित 106 साल की सालूमरदा थीमक्का को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आशीर्वाद देने से नहीं रोक सका.

पुरस्कार लेने पहुंची थीमक्का ने आशीर्वाद स्वरूप राष्ट्रपति के माथे को हाथ लगाया. 

थीमक्का ने बरगद के 400 पेड़ों समेत 8000 से ज्यादा पेड़ लगाएं हैं और यही वजह है कि उन्हें ‘वृक्ष माता’ की उपाधि मिली है.

उन्हें राष्ट्रपति भवन में शनिवार को अन्य विजेताओं के साथ पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 

कड़े प्रोटोकाल के तहत आयोजित होने वाले समारोह में हल्के हरे रंग की साड़ी पहने थीमक्का ने अपने मुस्कुराते चेहरे के साथ माथे पर ‘त्रिपुण्ड्र’ लगा रखा था.

जब थीमक्का से 33 साल छोटे राष्ट्रपति ने पुरस्कार देते वक्त उनसे चेहरा कैमरे की तरफ करने को कहा तो उन्होंने राष्ट्रपति का माथा छू लिया और आशीर्वाद दिया. 

थीमक्का के इस सहज कदम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य मेहमानों के चेहरे पर मुस्कान आ गई और समारोह कक्ष उत्साहपूर्वक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. 

थीमक्का की कहानी धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानी है. जब वह उम्र के चौथे दशक में थीं तो बच्चा न होने की वजह से खुदकुशी करने की सोच रही थीं, लेकिन अपने पति के सहयोग से उन्होंने पौधरोपण में जीवन का संतोष तलाश लिया. 

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इस बार सर्दी ने रिकॉर्ड सारे तोडे- मौसम विशेषज्ञ

दिल्ली:

इस साल सर्दी में बार-बार बदल रहे मौसम से दिल्ली वासी ही हैरान-परेशान नहीं हैं, बल्कि मौसम विशेषज्ञ भी इसे सामान्य नहीं मान रहे हैं।

उनकी नजर में इस बार दिल्ली की सर्दी असामान्य है। इस बार जितने रिकॉर्ड टूटे हैं, उतने पहले कभी नहीं टूटे। इसके पीछे जलवायु परिवर्तन का असर भी बताया जा रहा है।

सर्दी के बाद गर्मी के मौसम में भी ऐसी ही हालत रह सकती है। आमतौर पर सर्दी का मौसम नवंबर से फरवरी तक माना जाता है, लेकिन इस बार सर्दी मार्च के तीसरे सप्ताह में भी प्रभावी है।

इस बार तो कई बार ऐसी स्थिति आई जब दिल्ली को शिमला से भी ठंडा बताया गया। सात फरवरी को बड़े स्तर पर हुई ओलावृष्टि ने तो सभी को हैरत में डाल दिया था।

एक मार्च को 118 वर्षों में सबसे अधिक ठंड पड़ने वाली तिथि के रूप में दर्ज किया गया। इस बार पश्चिमी विक्षोभ भी एक के बाद एक आते रहे तो बारिश ने भी पिछले तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए।

कोहरा भी इस बार नहीं के बराबर ही नजर आया।

भारतीय मौसम विभाग के विशेषज्ञ बताते हैं कि सामान्यतया फरवरी से पश्चिमी विक्षोभ धीरे-धीरे ऊपरी अक्षांश की ओर जाना शुरू हो जाते हैं।

इससे भारतीय क्षेत्र प्रभावित नहीं होता। इस बार पश्चिमी विक्षोभ दक्षिण की तरफ ज्यादा रहे हैं यानी भारतीय क्षेत्र पर ही प्रभावी हो रहे हैं।

एक तथ्य यह भी सामने आ रहा है कि जनवरी में पश्चिमी विक्षोभ की अधिकता के पीछे भी यही कारण था लेकिन वर्तमान में यह स्थिति न होने के बावजूद पश्चिमी विक्षोभ प्रभावी साबित हो रहे हैं।

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किर्ति आज़ाद के लिए दरभंगा सीट बनी चुनौती

दरभंगाः 

महागठबंधन में सीटों का फॉर्मूला तय होने की बात कही जा रही है. हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सीटों पर उम्मीदवारी की पेंच महागठबंधन से लेकर एनडीएतक फंसी है. महागठबंधन में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस 11 सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ेगी.

सूत्रों की माने तो 21+11+5+2+1 का फॉर्मूला अपनाया गया है. यानी की आरजेडी 21, कांग्रेस 11, आरएलएसपी 5, हम 2 और वीआईपी को 1 सीट मिलेगी. लेकिन उम्मीदवारी को लेकर कई सीटों पर गणित उलझ रही है. जिसमें अब दरभंगा और मधुबनी सीट को लेकर भी पेंच फंसती नजर आ रही है.

हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले कीर्ति आजाद के लिए यह अच्छी खबर नहीं है. लेकिन दरभंगा सीट पर कांग्रेस की ओर से ताल ठोकने वाले कीर्ति आजाद से यह सीट छिन सकती है.

कीर्ति आजाद कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले ही दरभंगा सीट पर लड़ने का दावा कर रहे थे. वहीं, कांग्रेस में आने के बाद भी वह दरभंगा सीट से ही लड़ने का दावा कर रहे थे. लेकिन अब इस सीट पर पेंच फंसती दिख रही है.

वहीं, दरभंगा सीट के अलावा मधुबनी सीट से चुनाव लड़ने वाले अब्दुल बारी सिद्दीकि के लिए भी अच्छी खबर नहीं है.

माना जा रहा है कि दरभंगा सीट आरजेडी के पाले में जा सकती है और अब्दुल बारी सिद्दीकि मधुबनी के स्थान पर दरभंगा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में कीर्ति आजाद के खाते में कौन सी सीट होगी यह भी बड़ा सवाल उठ रहा है.

दरअसल, कांग्रेस विधायक भावना झा के एक बयान के बाद दरभंगा और मधुबनी सीट पर पेंच फंसने के कयास बिहार की राजनीति में शुरू हो गए.

दरभंगा के बेनीपट्टी से विधायक भावना झा ने मधुबनी सीट पर शकील अहमद के लिए मांगा है. उन्होंने कहा कि सिद्दीकि साहब दरभंगा सीट से चुनाव लड़ें तो बेहतर होगा.

वहीं, दरभंगा सीट पर कीर्ति आजाद की दावेदारी को लेकर कहा कि वह बड़े नेता हैं. वह बड़े चेहरे हैं पूरे बिहार में कहीं से भी चुनाव लड़ेंगे तो वह जीत जाएंगे.

लेकिन दरभंगा सीट पर सिद्दीकि साहब को मिलेगा तो बेहतर होगा. क्योंकि मधुबनी सीट पर शकील अहमद की मजबूत पकड़ हैं.

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मायावती सपा संरक्षक मुलायम सिंह के लिए मैनपुरी आकर जनता से वोट मांगेंगी

लखनऊ:

बसपा प्रमुख मायावती सपा संरक्षक मुलायम सिंह के लिए मैनपुरी आकर जनता से वोट मांगेंगी।

वे 19 अप्रैल को यहां जनसभा को सम्बोधित करेंगी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मौजूद रहेंगे। दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है।

इनकी 11 संयुक्त रैलियां होंगी। शुरुआत होली के बाद होगी।

मायावती अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव के लिए भी कन्नौज में 25 अप्रैल को जनसभा करेंगी।

सपा-बसपा की संयुक्त रैली 1 मई को फिरोजाबाद में, 8 मई को आजमगढ़ में, 13 मई को गोरखपुर में और 16 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में होगी।

सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने उम्मीद जताई है कि इन रैलियों से गठबंधन को काफी फायदा मिलेगा।

गठबंधन की ओर से 7 अप्रैल को देवबंद में संयुक्त रैली की जाएगी। इसमें अखिलेश और मायावती के साथ रालोद के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह भी मौजूद रहेंगे।

वहीं, 8 अप्रैल को मेरठ लोकसभा सीट के लिए अखिलेश-मायावती संयुक्त प्रचार करेंगे। 

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भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची आज जारी कर सकती है

आज भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है।

इसे लेकर दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की आज अहम बैठक है।

इसके बाद उम्मीदवारों के नामों का एलान हो सकता है। कुल 180 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो सकती है। इसे लेकर दिल्ली में सियासी हलचल बढ़ गई है।

भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक आज शाम को पार्टी कार्यालय में होगी।

इस बैठक में 11 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के मतदान वाली सीटों के उम्मीदवारों पर अंतिम
फैसला लिया जा सकता है।

चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पहले चरण में बीस राज्यों की 90 सीटों पर मतदान होना है।

भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक समिति की बैठक में सबसे पहले पश्चिमी उत्तरप्रदेश की सीटों पर फैसला लिया जा सकता है।

इनमें नोएडा, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बागपत, बिजनौर, कैराना, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और मेरठ शामिल हैं। 


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शर्मिला टैगोर को चुनावी दंगल में उतारने की चर्चा

लोकसभा क्षेत्र के इस बार भी हॉट सीट बनने की संभावना है।

“शर्मिला टैगोर को चुनावी दंगल में उतारने की चर्चा काफी गर्म है”।

राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए है, इस कारण कांग्रेस के पास इस क्षेत्र में कद्दावर नेता का अकाल सा पड़ गया है।

गत चुनाव में कांग्रेस को तीसरे नंबर रहते हुए करारी हार का सामना करना पड़ा था।

इस कारण कांग्रेस की ओर से इस बार मोहम्मद मंसूर अली खान पटौदी की पत्नी एवं सिने तारिका शर्मिला टैगोर को चुनावी दंगल में उतारने की चर्चा काफी गर्म है।

उनको चुनाव में मैदान उतारने के पीछे तर्क दिए जा रहे है कि वह मुस्लिम समुदाय के साथ हिंदुओं के भी वोट हासिल कर सकती है।

इसके अलावा उनके पंजाबी समाज के भी अच्छे खासे वोट लेने की संभावना है।

दरअसल उनके फिल्म स्टार बेटे सैफ अली खान की पत्नी एवं विख्यात फिल्म हीरोइन करीना कपूर खान पंजाबी समाज की है।

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मुलायम को अखिलेश ने फिर किया नजरअंदाज, अपर्णा को चुनाव से दूर रखेंगे

लखनऊ :

लोकसभा चुनावों की तैयारियों के बीच समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की चौथी लिस्ट को जारी कर दिया है. इस लिस्ट में समाजवादी पार्टी की हाई प्रोफाइल सीट कैराना और संभल लोकसभा सीट के उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है. इस लिस्ट के आने के बाद इस बात की सुगबुगाहट तेज हो गई है कि अखिलेश यादव, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की कोई भी बात नहीं मान रहे हैं. ऐसा इसलिए कहा जा क्योंकि मुलायम सिंह यादव ने संभल लोकसभा सीट से अपर्णा यादव के लिए टिकट मांगा था. 

यह भी कहा जा रहा था कि इस बार इस सीट से यादव परिवार का सदस्य मैदान होगा. सूत्रो के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ वक्त पहले मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव से अपर्णा यादव के लिए सिफारिश की थी. सभी सिफारिशों को खारिज करते हुए अखिलेश यादव ने संभल लोकसभा सीट से पार्टी के पूर्व सांसद शफिकुर्रहमान बर्क को प्रत्याशी घोषित किया है. 

नई लिस्ट आने के बाद समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की संख्या 15 हो गई है. पार्टी की ओर से जारी की गई लिस्ट के मुताबिक, मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव, बदायूं से धर्मेंद्र यादव, इटावा से कमलेश कठेरिया, रोबर्टसगंज से भिलाल कोल, बहराइच से शब्बीर बाल्मीकि, कन्नौज से डिंपल यादव, लखीमपुर खीरी से पूर्वी वर्मा, हरदोई से उषा वर्मा, हाथरस से रामजी लाल सुमन और मिर्जापुर से राजेंद्र एस विंद चुनावी मैदान में होंगे.


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प्रियंका गांधी वाड्रा प्रयागराज से लोकसभा चुनाव 2019 का प्रचार अभियान शुरू करेंगी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के, पूर्वी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र प्रयागराज से लोकसभा चुनाव 2019 का प्रचार अभियान शुरू करने की संभावना है।

जनता से सीधा संवाद स्थापित करने के लिए वह नदी के रास्ते प्रयागराज से वाराणसी जा सकती हैं ।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी को पहले शुक्रवार यानी आज ही यहां पहुंचना था लेकिन अब वह संभवत: 18 मार्च से चुनाव प्रचार अभियान शुरू करेंगी ।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज बब्बर ने पहले कहा था कि प्रियंका शुक्रवार को यहां पहुंचेंगी। लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रियंका का कार्यक्रम स्थगित हो गया है ।

चुनाव आयोग को सौंपे पत्र में कांग्रेस महासचिव की प्रयागराज से वाराणसी की यात्रा 18 मार्च से 20 मार्च के बीच होने के मद्देनजर अनुमति मांगी गयी है ।

कांग्रेस नेता ने यह भी जानकारी दी कि प्रियंका नदी मार्ग से मोटरबोट के जरिए जाएंगी और सौ किलोमीटर का सफर तय करेंगी ।

नदी तटों पर उनके स्वागत के कार्यक्रम भी प्रस्तावित हैं, जिसके लिए आदर्श आचार संहिता के अनुरूप चुनाव आयोग से अनुमति आवश्यक है ।

आम तौर पर नदी तट के इन इलाकों तक सड़क मार्ग से जाना मुश्किल है । 17 मार्च को प्रियंका के राज्य की राजधानी पहुंचने की उम्मीद है ।

अगले दिन वह प्रयागराज जाएंगी और कांग्रेस के प्रचार अभियान का शंखनाद करेंगी ।

पिछले 30 साल में राज्य सरकारों ने उनकी अनदेखी की है ।

कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने बताया कि चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गयी है और मंजूरी की प्रतीक्षा है।

उन्होंने बताया कि प्रियंका के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए बैठकों का दौर कल से ही जारी है। जल्द ही विस्तृत कार्यक्रम तैयार कर लिया जाएगा ।

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मायावती ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की किसी संभावना से इंकार

समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव ने बुधवार को बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की मेरठ में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर से मुलाकात के कुछ ही घंटे बाद अखिलेश ने मायावती से भेंट की।

सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि यह मुलाकात आगामी लोकसभा चुनाव 2019 के लिए होने वाली रैलियों, सभाओं और बैठकों के सिलसिले में थी।

उन्होंने बताया कि चुनाव करीब आ रहे हैं। होली के बाद चुनाव प्रचार की पूर्णतया शुरूआत कर दी जाएगी।

चौधरी ने बताया कि गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए दो सीटें छोडी हैं और ईमानदारी से पूरा समर्थन किया जाएगा।

उधर सपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका की भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर के साथ मुलाकात बसपा सुप्रीमो मायावती के फैसले की प्रतिक्रिया है।

उल्लेखनीय है कि मायावती ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की किसी संभावना से इंकार कर दिया है।

उन्होंने कहा कि लेकिन मायावती किसी दबाव में नहीं आने वाली हैं यह गठबंधन दबाव में नहीं आएगा इसने (गठबंधन) पहले ही कांग्रेस को दो सीटें दे दी हैं।

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मायावती : बीएसपी – कांग्रेस के साथ कहीं भी गठबंधन नहीं करेगी

मायावती ने अपनी रणनीति साफ राखी है, की वह किसी भी प्रकार के गठबंधन में स्व्यम को छोटा सांझीदार नहीं बनाने देगी। इसीलिए वह किसी भी बड़े दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।

हाँ यह अवश्य ही उनके दिमाग में है कि चुनावों के पश्चात मोदी विरोधी किसी भी गठबंधन को आवश्यकता हुई तो वह अपनी शर्तों पर संजीवनी का काम कर सकतीं हैं।

मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी कांग्रेस के साथ न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि देश में कहीं भी गठबंधन नहीं करेगी। लखनऊ में बीएसपी की अखिल भारतीय बैठक में मंगलवार को लोकसभा चुनाव की तैयारियों और पार्टी प्रत्याशियों के चयन पर चर्चा की गई।

इस बैठक में एक बार फिर स्पष्ट किया गया कि बीएसपी किसी भी राज्य में कांग्रेस पार्टी के साथ कोई चुनावी समझौता नहीं करेगी।

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के काफी समय पहले ही बीएसपी ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लिया था।इस गठबंधन में कांग्रेस पार्टी को शामिल नहीं किया गया।

हालांकि सीट बंटवारे के समय इस गठबंधन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की सीटों पर अपने प्रत्यार्शी नहीं उतारे थे. इस गठबंधन ने यूपी की 80 में से कुल 76 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

गौरतलब है कि बीएसपी ने हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी के साथ चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।

लेकिन चुनाव बाद तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़) में बीएसपी ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है।