मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-सह-सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पंचकूला, ने जिला पंचकूला के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया

हरियाणा राज्य स्तरीय महिला पुरस्कारों के लिए आवेदन आमंत्रित : उपायुक्त अनीश यादव

सिरसा, 01 सितंबर।

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उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाओं से हरियाणा राज्य स्तरीय महिला पुरस्कारों के लिए 18 अक्टूबर तक आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इन पुरस्कारों के बारे में अधिक जानकारी के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की वेबसाइट पर संपर्क किया जा सकता है।

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उपायुक्त ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाओं को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को प्रदान किया जाते हैं। इन पुरस्कारों में इंदिरा गांधी महिला शक्ति पुरस्कार के तहत एक लाख 50 हजार रुपये एवं प्रशस्ति पत्र, कल्पना चावला शौर्य पुरस्कार के तहत एक लाख रुपये एवं प्रशस्ति पत्र, बहन शन्नों देवी पंचायती राज पुरस्कार के तहत एक लाख रुपये एवं प्रशस्ति पत्र, लाईफ टाईम अचीवर्स पुरस्कार के तहत 51 हजार रुपये एवं प्रशस्ति पत्र, एएनएम, महिला एपीएचडब्लू (दो पुरस्कारों) के तहत 21 हजार रुपये व प्रशस्ति पत्र, महिला खिलाड़ी पुरस्कार के तहत 21 हजार रुपये एवं प्रशस्ति पत्र, साक्षरी महिला समूह सदस्य के (दो पुरस्कार) के तहत 21 हजार रुपये एवं प्रशस्ति पत्र एवं सरकारी कर्मचारी के (दो पुरस्कार) के तहत 21 हजार रुपये व प्रशस्ति पत्र व सामाजिक कार्यकर्ता (दो पुरस्कार) के तहत 21 हजार रुपये व प्रशस्ति पत्र तथा महिला उद्यमी के (दो पुरस्कार) के तहत 21 हजार रुपये व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-सह-सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पंचकूला, ने जिला पंचकूला के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया

किसानों के अनुभव से ही शोध कार्यों को मिलती है नई दिशा : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

सिरसा, 01 सितंबर।

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चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं गुरु जंभेश्वर हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने किसानों से आह्वान किया कि उन्हें अपनी आमदनी में इजाफा करने के लिए किसानों को उत्पादों के मूल्य संवर्धन के प्रति जागरूक होना होगा।


वे कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा में आयोजित एक किसान गोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन विस्तार शिक्षा निदेशालय एवं कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। मुख्यातिथि ने कहा कि किसान व वैज्ञानिक का अटूट रिश्ता है और वे दोनों एक-दूसरे के प्रेरणास्त्रोत भी हैं। कृषि वैज्ञानिक द्वारा विकसित की गई तकनीक का सही आकलन केवल किसान ही कर सकता है और उसी अनुसार उसमें संशोधन किया जाता है ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके। किसानों के अनुभव से ही शोध कार्यों को एक नई दिशा मिलती है। विश्वविद्यालय के साथ जुड़कर किसान ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं। युवा व किसान चुनौतियों में अवसर खोजकर समाज में बदलाव ला सकते हैं। प्रदेश व केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए नित्त नई कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रही हैं ताकि किसानों का अधिक से अधिक फायदा हो सके। इसके अलावा किसानों को भी अपनी फसलों से अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए परंपरागत खेती की बजाय समन्वित खेती पर ध्यान देना होगा। साथ ही फसल विविधीकरण को अपनाना आज के समय की मांग है जिससे न केवल आमदनी बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी होगा। किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए किसान उत्पादक समूह बनाकर काम करना होगा ताकि स्वयं की एक मार्केट स्थापित कर सीधे ग्राहकों से जुड़ा जा सके और अधिक लाभ हासिल किया जा सके। किसान दुध व उसके उत्पाद तैयार करने के अलावा गेहूं, बाजरा व अन्य फसलों के उत्पाद बनाने का विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं और स्वरोजगार स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय लगातार किसानों के हित के लिए निरंतर इस तरह के प्रशिक्षण प्रदान करता रहता है। इस दौरान बीटी नरमा की उन्नत खेती पुस्तक का भी विमोचन किया गया।

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किसानों के लिए सदैव तत्पर हैं वैज्ञानिक :


विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे किसानों के साथ मिलकर समय-समय पर उनकी समस्या के निदान के लिए जुटे रहें। अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने कहा कि किसानों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह व कीटनाशकों को लेकर की गई सिफारिशों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान डॉ. अनिल यादव, डॉ. ओमेंद्र सांगवान, डॉ. करमल मलिक, डॉ. अनिल जाखड़ व डॉ. मनमोहन सिंह ने कपास की फसल की अधिक पैदावार हासिल करने के लिए अपनाई जाने वाली सस्य क्रियाओं, बीमारियों व कीटों के प्रति जागरूक करते हुए अपने व्याख्यान दिए।  कार्यक्रम में कुलपति के ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कृषि विज्ञान केंद्र के इंचार्ज डॉ. देवेंद्र जाखड़, डॉ. सुनील बैनीवाल, डॉ. अनिल मेहता, डॉ. ओमप्रकाश कांबोज, डॉ. सुनील ढांडा  सहित अनेक वैज्ञानिक, क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने हिस्सा लिया।