*Prime land freed from encroachments in Manimajra by MC Chandigarh*

वन के बिना जीवन की कल्पना नहीं- डा. टीपी सिंह

-हरित क्षेत्र मानव जीवन को बनायेगा खुशहाल- एचएसवीपी प्रशासक धर्मवीर सिंह

-मुख्य वक्ता के रूप में भावना शेखर ने बताया प्रकृति और साहित्य का रिश्ता

-कोई ऐसी वनस्पति नहीं जो औषधि नहीं-डा. सांत्वना

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पंचकूला, 21 मार्च- हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की पहल पर स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से  जल संसांधन प्राधिकरण हरियाणा के सानिध्य में आज ईन्द्रधनुष आडिटोरियम के ‘‘कान्फ्रेन्स हाल’’ में विश्व जल दिवस के  उपलक्ष्य में ‘‘जल संवाद’’ विषय पर  दो दिवसीय विमर्श का आयोजन किया गया।


हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के हरि के अरण्य हरियाणा के सपने को साकार करने के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक श्री अजीत बालाजी जोशी के मार्गदर्शन में आज आयोजित इस विमर्श में ‘‘जल संवाद’’ विषय को आधार बनाया गया।


आज वानिकी दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करते हुए वन विभाग हरियाणा के सचिव डा. टीपी सिंह ने कहा कि वन के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि  हम सभी को  समस्त प्राणी जगत के कल्याण के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करना होगा। हम सभी को ज्ञात है कि वृक्षों से ही आॅक्सीजन है, वृक्षों से समस्त प्राणी जगत का कल्याण है। वन ही वर्षा ऋतु की आहट है। जलवायु परिवर्तन के खतरों से निजात पाने का पौधारोपण करना और रोपे गये पौधों को संवारकर वृक्ष बनाना ही एकमात्र विकल्प है।


इस अवसर पर विमर्श की अध्यक्षता करते हुए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के प्रशासक श्री धर्मवीर सिंह ने कहा कि धरती को हरित क्षेत्र बनाने से सभी के जीवन में खुशहाली आयेगी। उन्होंने कहा कि जब पर्यावरण संरक्षण जन-जन के जीवन में आत्मसात होगा तभी हरित क्षेत्र का सपना साकार होगा।


इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि  पुलिस महानिरीक्षक आईटीबीपी श्री ईश्वर सिंह दुहन ने कहा कि हम सब वन के महत्व से भलि-भांति परीचित हैं। वन सिर्फ मनुष्य के जीवन-यापन का साधन ही नहीं है बल्कि असंख्य जीव-जंतुओे का बसेरा भी है। हमें इस धरा को उसके असली गहने से सजाना-सवांरना होगा।  


मुख्य वक्ता श्रीमती भावना शेखर ने प्रकृति और साहित्य के अन्त संबन्धों के बारे में बताते हुए कहा कि कवियों ने प्रकृति के सम्मान में कितने काव्य, महाकाव्यों की रचना की। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज  का दर्पण है इसलिए हमें प्रकृति सरक्षण के लिए साहित्य को भी आधार बनाना होगा।


आयुष विभाग से डा. सान्त्वना ने कहा धरती पर विद्यमान कोई भी वृक्ष ऐसा नहीं है जो औषधि नहीं है । हमें धरती पर विद्यमान प्रत्येक जीव की सेहत को ठीक करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी धरती कितनी उदार है, वह हमें जीवन जीने के लिए बिना मांगे सब कुछ उपहार में प्रदान करती है। परन्तु हम स्वार्थ के वंशीभूत होकर धरती की सेहत को ही खराब कर रहे हैं और जब धरती ही बीमार होगी तो हम भला कैसे स्वस्थ रह पायेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा को हरि का अरण्य कहा गया है। हमें पौधारोपण कर फिर से इस उक्ति को चरितार्थ करना होगा। उन्होंने कहा कि वन हमारी संभ्यता व संस्कृति का रक्षक है। उन्होंने कहा कि आज के शिक्षकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।


इस अवसर पर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कार्यकारी अभियंता श्री अशोक राणा,  श्री उमेश, श्री चमन, श्रीमती रीता राय के साथ-साथ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारी, कर्मचारी व पंचकूला के स्कूल शिक्षा विभाग के  सैकड़ों की संख्या में शिक्षकों ने हिस्सेदारी निभायी।

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