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लेखकों के योगदान से समाज में होता नई चेतना का संचार 

लेखक को समाज की उत्थान के लिए लेखनी चलाते रहना चाहिए- राज्‍यपाल बंडारू दत्तात्रेय

कोरोना काल में धन नहीं बल्कि मानवीय संवेदनाएं काम आई- प्रो. कुठियाला

राज्‍यपाल ने शिक्षा के क्षेत्र में आए नूतन बदलाव पर आधारित परिषद् के दो पुस्‍तकों का किया विमोचन

पंचकुला। 10 जून

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लेखक समाज का मार्गदर्शक होता हैं और उसे हमेशा समाज की उत्थान के लिए अपनी लेखनी चलाते रहना चाहिए। लेखक को सदैव लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रयासरत रहना चाहिए ताकि समाज में नई चेतना का संचार हो सके। पुस्तकें हमारी अभिभावक, मित्र और मार्गदर्शक होती हैं, इनका हमारे जीवन में न केवल विशेष स्थान होता है बल्कि ये हमारे व्यक्तित्व का निर्माण भी करती है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि ‘बुद्धि यस्य बलम् तस्य’ अर्थात जिनके पास बुद्धि होती है वही सबसे बलवान व्यक्ति होता है। बुद्धि का विकास, ज्ञान से होता है और ज्ञान की वृद्धि केवल दो प्रकार से ही हो सकती है। पहला, सभ्रांत लोगों के संग रहने से और दूसरा अच्छी पुस्तकों के पठन से। यह उद्गार हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने शुक्रवार को हरियाणा निवास में हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दो पुस्तकों ‘Managing Education Post Covid: Challenges & Opportunities’ और ‘कोरोना काल में शिक्षा व्‍यवस्‍था चुनौतियां एवं संभावनाएं’ के विमोचन करने उपरान्त अपने सम्बोघन में व्यक्त किए।

समारोह में राज्‍यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि कोविड महामारी के संकट ने हमें शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के लिए भी प्रेरित किया है। कोविड से उत्पन्न हुई बाधाओं को दूर करने के लिए दुनिया के अनेक शिक्षण संस्थानों ने नई खोज शुरू कर दी थी। इन दोनों पुस्तकों का सृजन इसी का परिणाम है। राज्यपाल ने कहा कि परिषद् द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में कोविड के समय शिक्षा प्रबन्ध व डिजीटल शिक्षा प्रणाली की सार्थकता के बारे में लेखों को छापा गया है। ये पुस्तकें हरियाणा की ही नहीं बल्कि पूरे देश की शिक्षण संस्थाओं के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हमने प्रतिकुलता में अनुकूलता बनाए रखना सीखा है। इसी के चलते शिक्षण संस्थाओं में डिजीटल माध्यमों से अपनी शिक्षा को जारी रखा और विद्यार्थी भी जुडे़ रहे। शिक्षक वर्ग ने नए डिजीटल माध्यमों को अपनाकर शिक्षा के क्षेत्र में नई शुरूआत की। इस काल में लोगों ने नए विचार, आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर नए अविष्कार हुए हैं। श्री दत्तात्रेय ने साहित्य से जुड़ी हस्तियों को बधाई देते हुए कहा कि इस काम में हमने आपदा में अवसर ढूंढे हैं और अपनी रचनाओं का सृजन किया है। आज पुस्तकों का प्रकाशन होना उनकी सृजन शक्ति का ही परिणाम है। 

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इस अवसर पर पुस्तकों के संपादक एवं हरियाणा राज्‍य उच्‍च शिक्षा परिषद् के अध्‍यक्ष प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि कोरोना काल में धन नहीं बल्कि मानवीय संवेदनाएं काम आई और इन संवेदनाओं के चलते विश्व ने भारत से सीखा है। इस दौर में शिक्षा की सामूहिक चेतना परिवर्तित हुई है। शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल माध्यमों का हमने सीखने और सिखाने पर प्रयोग किया है जो शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। प्रो कुठियाला ने कहा कि आज कोरोना संकट के दौर में ऑनलाइन शिक्षा के जरिये शिक्षा के स्वरूप में बदलाव हो रहा है। कोरोना जैसी विषम परिस्थिति से शीघ्र निकलने के लिए शिक्षकों ने कई नये अभिनव प्रयोग किए है। कार्यक्रम में पुस्‍तकों का परिचय प्रो. राजीव कुमार ने दिया और प्रदेश के आमंत्रित लेखकों ने अपने अनुभव व्‍यक्‍त किया। कार्यक्रम के अंत में परिषद के परामर्शदाता केके अग्निहोत्री ने सभी आगतों का धन्‍यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन परिषद् में सहायक प्राध्‍यापक डॉ. अमरेन्‍द्र कुमार आर्य ने किया। इस अवसर पर दोनों पुस्‍तकों में निबंध लिखने वाले लेखकगण एवं शहर के वरिष्‍ठ पत्रकार उपस्‍थित थे।