सुश्री अपर्णा भारद्वाज, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) और सचिव अब इन, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण

भारतीय दर्षन की एक विलक्षण विभूति थे डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’

For Detailed

पंचकूला, 9 फरवरी- भारतीय अध्यात्म, धर्म, दर्शन, संस्कृति और उर्दू अदब के प्रकांड विद्धान डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’ हमारे बीच नहीं रहे। डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’ गत कुछ दिन से कुरूक्षेत्र के एक नर्सिग होम में उपचाराधीन थे जहां उन्होंने आज अंतिम सांस ली। 94 वर्षीय डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’ गत 40 वर्षों से रामचरितमानस के प्रचार-प्रसार में संलग्न रहे हैं उन्हें रामचरितमानस का अनुपम व्याख्याता माना जाता है। डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’ वर्ष 1963 में कुरूक्षेत्र विश्वविधालय, कुरूक्षेत्र के दर्शनशास्त्र विभाग से जुडे़ तथा वहीं से 1988 में विभागाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत हुए।
डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’ की स्मृति में अकादमी परिसर , सेक्टर 14 में हुई शोक सभा में उर्दू अकादमी के निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने कहा कि उर्दू अदब में उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा को हरियाणा उर्दू अकादमी के शिखर सम्मान ‘फख्रे हरियाणा’ से गत वर्ष   अकादमी अध्यक्ष मुख्यमंत्री हरियाणा द्वारा अलंकृत किया गया। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’ की ‘संस्कृति दर्शन’ पुस्तक अपने विषय के सन्दर्भ ग्रंथ के रूप में लोकप्रिय है। इस पुस्तक में सामाजिक मूल्यों एवं सामाजिक प्रतिमानों के साथ-साथ संस्कृति में धर्म के महत्व की विलक्षण व्याख्या की गई है। हिंदी प्रेमी, समाज सेवी एवं साहित्य मनीषी डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’ गत कई वर्षों से विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान, कुरूक्षेत्र में शोध निदेशक के रूप में अपनी बहुमूल्य सेवाएं प्रदान कर रहे थे। डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा ‘नाज़िम’ के निधन से भारत के साहित्यक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र की अपूर्णीय क्षति हुई है। प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा का नाम अमेरिका के विद्वान प्रो. कार्ल एच.पौटर द्वारा तैयार भारतीय दर्शन के विश्वकोश तथा दार्शनिकों की अन्तर्राष्ट्रीय निर्देशिका में सम्मिलित है। हरियाणा उर्दू अकादमी के अध्यक्ष  मुख्यमंत्री हरियाणा एवं समस्त अकादमी परिवार उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

s://propertyliquid.com