आदर्श आचार संहिता के दौरान कैश, शराब, हथियार और अन्य चुनाव संबंधी सामग्री पर निगरानी रखने के लिए किया गया उड़न दस्ते व स्थैतिक निगरानी टीमों (एसएसटी ) का गठन- जिला निर्वाचन अधिकारी

फसल कटाई के लिए कृषि यंत्रों के उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित करें सरपंच : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण

सिरसा, 08 अक्तूबर।


                  उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं वाले संभावित गांवों पर हरसेक (सेटेलाइट) के माध्यम से निगरानी की जा रही है। इसलिए किसान खेतों में फसल के अवशेषों को न जलाएं बल्कि एसएमएस लगी कंबाइन का प्रयोग करें और फसल अवशेषों को मिट्टïी में ही मिलाएं ताकि भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़े। उन्होंने कहा कि प्राचीन व वैदिक काल में फसल अवशेषों को जलाया नहीं जाता था बल्कि उनका प्रयोग जैविक खाद के रुप में किया जाता था।

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                  उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण वीरवार को वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से सरपंचों से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान एसडीएम सिरसा जयवीर यादव, एसडीएम कालांवाली निर्मल नागर, एसडीएम डबवाली अश्वनी कुमार, उप निदेशक कृषि डा. बाबूलाल, सहायक कृषि अभियंता डीएस यादव आदि उपस्थित थे।

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                  उपायुक्त बिढ़ाण ने कहा कि सभी सरपंच ग्राम सभा का आयोजन कर ग्रामीणों को पराली न जलाने के बारे में जागरुक करें और पराली जलाने पर प्रशासनिक कार्रवाई के बारे में अवगत करवाएं। इसके अलावा जहां पर पराली की खपत होती है, ऐसे स्थान जैसे फैक्ट्री, पंचायती भूमि तथा गौशाला आदि का चयन किया जाए। उन्होंने सरपंचों को निर्देश दिए कि जिस पंचायत में सीएचसी है, वे ज्यादा से ज्यादा कृषि उपकरणों का उपयोग करें और 80 प्रतिशत छोटे किसानों को कृषि यंत्र आवंटन में प्राथमिकता दें। किसानों द्वारा कृषि उपकरणों के उपयोग की प्रतिदिन रिपोर्ट तैयार कर कृषि विभाग को भेजी जाए ताकि सही जानकारी को पोर्टल पर अपलोड किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरपंच गांवों में बैठक कर ग्रामीणों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान की गंभीरता से अवगत करवाएं और पराली जलाने से वातावरण प्रदूषित होने के बारे में बताएं।


                  उपायुक्त ने कहा कि पराली जलाने से न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है बल्कि उपजाऊ शक्ति बढ़ाने वाले मित्र कीट भी नष्टï हो जाते हैं और धीरे-धीरे भूमि बंजर बन जाती है। इसके अलावा पराली जलाने से श्वास संबंधी अनेक बीमारियां होने का अंदेशा बना रहता है। सरपंच जिला प्रशासन द्वारा पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश के लिए कृषि विभाग द्वारा गठित टीमों का सहयोग करें और ग्रामीणों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि कोई भी किसान अगर पराली जलाता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई व जुर्माना किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करें।


पराली न जलाने का प्रस्ताव पारित कर भिजवाएं सरपंच : उपायुक्त बिढ़ाण


                  उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने कहा कि सभी सरपंच ग्राम सभाओं की बैठक कर पराली न जलाने का प्रस्ताव पारित करें और प्रस्ताव को शुक्रवार तक उपायुक्त कार्यालय में भिजवाएं। इसके अलावा ग्राम सभा की बैठक में ग्रामीणों को पराली न जलाने की शपथ भी दिलवाएं। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच व दृढ संकल्प से ही हम जिला में पराली जलाने की घटनाओं पर शत प्रतिशत अंकुश लगा सकते हैं, इसलिए सरपंच अपना दायित्व गंभीरता से निभाएं और ग्रामीणों को पराली न जलाने के लिए जागरुक करें। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान व उसके प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताएं।


पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें अधिकारी : उपायुक्त बिढ़ाण


                  उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने कहा कि किसी भी गांवों में पराली जलाने की घटना न हो, इसके लिए कृषि अधिकारी गांव स्तर पर गठित नोडल अधिकारी से तालमेल स्थापित कर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें। इसके अलावा सरपंच व ग्राम सचिवों से मिलकर गांवों में जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों को पराली न जलाने के बारे में प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि किसान पराली का उपयोग पशुचारे के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए भी कर सकता है। जहां पराली का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जाता है वहीं पराली का उपयोग अन्य सामग्री बनाने में भी किया जाता है। कृषि अधिकारी गांवों में जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन कर किसानों एवं महिलाओं को पराली जलाने से होने वाले नुकसान व उसके प्रबंधन की जानकारी दें।