Paras Health Introduces Panchkula’s First Robotic Surgery System with Da Vinci Xi

प्रोनिंग प्रक्रिया कोविड-19 मरीजों के लिए संजीवनी-उपायुक्त

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प्रोनिंग और वैंटीलेशन की बेहतर व्यवस्था ने बचाई कई जिंदगियां

पंचकूला 30 मई- उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी सतर्कता से कार्य कर रहा है। डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ समेत स्वास्थ्य विभाग का तमाम अमला इस महामारी से लगातार सक्रिय होकर लगे हुए है। ऐसे में प्रोनिंग प्रक्रिया कोविड-19 मरीजों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए संजीवनी साबित हो रही है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पेट के बल लेटकर ऑक्सीजन की मात्रा में सुधार लाया जा सकता है।


उपायुक्त ने बताया कि प्रोनिंग व्यक्ति के शरीर की पोजिशन को सुरक्षित तरीके से परिवर्तित करने की एक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति जमीन की तरफ मुंह करके पेट के बल लेटता है। चिकित्सा के क्षेत्र में प्रोनिंग शरीर की एक स्वीकृत अवस्था है, जो सांस लेने की प्रक्रिया को आरामदायक बनाती है और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाती है। सांस लेने में तकलीफ वाले कोविड-19 मरीजों, खास तौर पर होम आइसोलेशन वाले कोविड मरीजों के लिए प्रोनिंग की प्रक्रिया काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।


उपायुक्त ने बताया कि प्रोनिंग प्रक्रिया अर्थात् पेट के बल लेटने से वैंटीलेशन को बढ़ावा मिलता है और श्वसन कोशिकाओं को खोलकर आसानी से सांस लेने में मदद मिलती है। इसकी आवश्यकता केवल उसी स्थिति में है, जब मरीज को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो रही हो और उसका एसपीओ 2 का स्तर 94 से नीचे चला गया हो। होम आइसोलेशन के दौरान इस प्रक्रिया को अपनाकर शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। होम आइसोलेशन के दौरान तापमान, ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर जैसे अन्य लक्षणों के अलावा एसपीओ 2 को नियमित रूप से मॉनिटर करना बेहद महत्वपूर्ण है। ऑक्सीजन सर्कुलेशन की कमी मरीज की हालत और ज्यादा बिगडने का कारण बन सकती है। उचित समय पर प्रोनिंग और वैंटीलेशन की बेहतर व्यवस्था से कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

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उन्होंने बताया कि प्रोनिंग प्रक्रिया के दौरान एक तकिया मरीज की गर्दन के नीचे रखें, एक या दो तकिये छाती और जांघ के ऊपरी हिस्से के बीच रखें तथा दो तकिये पैर की पिंडलियों के नीचे रखें। सेल्फ प्रोनिंग के लिए व्यक्ति को 4 से 5 तकियों की जरूरत होगी। लेटने की पोजिशन में नियमित रूप से बदलाव करते रहना होगा और किसी भी पोजिशन पर 30 मिनट से ज्यादा का समय न लगाएं। सबसे पहले 30 मिनट से 2 घंटे तक पेट के बल लेटें, 30 मिनट से 2 घंटे तक दाईं करवट से लेटें, 30 मिनट से 2 घंटे तक शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाएं और बैठ जाएं, 30 मिनट से 2 घंटे तक बाईं करवट से लेटें तथा फिर से पहले वाली पोजिशन पर वापस लौटें और पेट के बल लेटें।


उपायुक्त ने बताया कि गर्भावस्था, हृदय संबंधी प्रमुख बीमारियों, अस्थिर रीढ़, जांघ या कूल्हे की हड्डी फ्रैक्चर होने की स्थिति में और भोजन के बाद करीब एक घंटे तक प्रोनिंग न करें। इसके अलावा, प्रोनिंग केवल तब तक करें जब तक आप इसे आसानी से कर पा रहे हों।