प्रदेश में बढेगी रेस्टोरेशन अपाॅच्र्युनिटीज असेसमेंट मैथोडोलाॅजी- आलोक निगम
पंचकूला 10 जुलाई- हरियाणा में अवक्रमित परिदृश्यों (लेंडस्केप) की बहाली हेतु अवसरों की पहचान करने के उद्देश्य से ‘रेस्टोरेशन अपॉच्र्यूनिटीज असेसमेंट मैथडोलॉजी’ (आरओएएम) पर आधारित परियोजना की शुरुआत की गई है। इस योजना का उद्देश्य फोरेस्ट लेंडस्केप रेस्टोरेशन (एफएलआर) पर देश व प्रदेश में क्षमता बढ़ाना है।
वन एवं वन्य प्राणी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आलोक निगम ने अपने संबोधन में कहा कि आईयूसीएन साढ़े तीन साल के पायलट फेज में भारत में भूमि बहाली के लिए समन्वय, योजना, निगरानी और रिपोर्टिंग के साथ केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिर्वतन मंत्रालय का सहयोग करेगा। भूमि बहाली की सर्वोत्तम प्रथाएं विकसित करने और उनमें सामंजस्य स्थापित करने तथा निगरानी प्रोटोकॉल और क्षमता निर्माण करने के लिए, आईयूसीएन और पर्यावरण, वन और जलवायु परिर्वतन मंत्रालय ने इस पायलट फेज में हरियाणा राज्य की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि आरओएएम परिदृश्य में सभी हितधारकों को एक साथ आने और अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को सांझा करने के लिए एक सांझा मंच उपलब्ध करवाएगा। उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि हरियाणा मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है जो तेजी से शहरीकरण के दौर से गुजर रहा है और स्थानीय समुदायों, गांवों के युवाओं और स्कूली बच्चों की भागीदारी से पहले से ही अवक्रमित वनों के पुनर्वास के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
आईयूसीएन के कंट्री डायरेक्टर डॉ. विवेक सक्सेना ने आरओएएम परियोजना के क्रियान्वयन में सहायता के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिर्वतन मंत्रालय का आभार व्यक्त किया जिसमें जीआईएस मैपिंग का उपयोग करके बहाली अवसरों की मौजूदगी की पहचान करने हेतु आरओएएम के क्रियान्वयन पर राज्यों में भूमि बहाली और क्षमता निर्माण पर रिपोर्टिंग करना तथा राज्यों को और अधिक प्रभावी योजना बनाने की अनुमति देना शामिल है, जहां बहाली हस्तक्षेप किए जा सकते हैं।
राष्टरीय वनीकरण तथा पारिस्थितिकी विकास बोर्ड के महानिरीक्षक श्री पंकज अस्थाना ने भारत के बॉन चैलेंज टारगेट और एफएलआर हासिल करने के बारे में मंत्रालय के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हुए कहा कि मंत्रालय आरओएएम पद्धति को लागू करने में आईयूसीएन की सहायता कर रहा है और पांच राज्यों में उनके साथ काम करने के लिए तत्पर है। हरियाणा को इस पायलट फेज के दौरान अरावली रेंज में अवक्रमण और राज्य में घटते वनों तथा भूमि के अवक्रमण के लिए चुना गया है। इससे भूमि अवक्रमण तटस्थता के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता के लिए विभिन्न हस्तक्षेपों को लागू करने का एक शानदार अवसर मिलेगा।
हरियाणा की प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. अमरिंदर कौर ने अपने भाषण में राज्य में अवक्रमणित भूमि की बहाली के लिए राज्य में की जा रही पहलों को रेखांकित किया, जिसमें अरावली और शिवालिक में देशी प्रजातियों के बीजारोपण के लिए ड्रोन का उपयोग शामिल है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का वन विभाग वनों से परे क्षेत्रों में काम कर रहा है और अगले 4-5 वर्षों में राज्य में वन और वृक्षों के आवरण को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है और इस दिशा में 1.2 करोड़ पौधे लगाए गए हैं।
बैठक में हरियाणा राज्य के नोडल अधिकारी मुख्य संरक्षक वन टी. पी. सिंह, आईओआरए इकोलॉजिकल सॉल्यूशंस के संस्थापक और सीईओ स्वप्न मेहरा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।