जिला में नई आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी बनाने व मुरम्मत पर 94 लाख से अधिक खर्च : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण
उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने बताया कि आयुर्वेद विश्व का प्राचीनतम चिकित्सा विज्ञान है, जो कि पूर्णरूप से प्राकृतिक सिद्धान्तों पर आधारित है। आयुर्वेद केवल चिकित्सा विज्ञान ही नहीं बल्कि स्वयं में पूर्ण जीवन शास्त्र है। हमारी प्राचीन संस्कृति व सभ्यता में आयुर्वेद का विशेष महत्व है। आज आयुर्वेद गंभीर से गंभीर बीमारी के ईलाज में कारगर साबित हो रही है। प्रदेश सरकार द्वारा आयुर्वेद व योग को बढ़ावा देने के लिए न केवल ग्राम स्तर पर व्यायामशालाएं बनाई जा रही है बल्कि समय-समय पर आमजन को योग के प्रति जागरुक व प्रेरित किया जा रहा है। आज की भागदौड़ भरी जीवन शैली में स्वस्थ शरीर का होना बहुत जरुरी है इसलिए नियमित व्यायाम, पोष्टिïक भोजन के साथ-साथ आयुर्वेद का महत्व और बढ़ जाता है। विशेषकर कोरोना काल में हमें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में शुद्ध आहार के साथ-साथ अपनी दिनचर्या में योग को भी अपनाना चाहिए।
उपायुक्त बिढ़ाण ने बताया कि आयुष विभाग द्वारा आर्युवेद को बढ़ावा देने के लिए जिला में आयुष डिस्पेंसरियां खोली जा रही है जिनके माध्यम से लोगों को आयुर्वेद से जोड़ा जा रहा है। प्रदेश सरकार के प्रथम व द्वितीय कार्यकाल के पहले वर्ष के दौरान जिला में 94 लाख 86 हजार 546 रुपये की लागत के 12 प्रोजेक्ट पूर्ण हो चुके हैं तथा 64 लाख 90 हजार रुपये की लागत के 5 प्रोजेक्टों पर कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा विभाग द्वारा 20 लाख 93 हजार 115 रुपये की लागत से 13 राजकीय आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों को आयुष हैल्थ वैलनेस केंद्रों के रुप में अपग्रेड का कार्य प्रगति पर है।
जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा. गिरीश चौधरी ने बताया कि 16 लाख 72 हजार 280 रुपये की लागत से नागरिक अस्पताल सिरसा में आयुष विंग का विस्तार किया गया। इसके अलावा 12 लाख 25 हजार रुपये की लागत से गांव भरोखां में, 13 लाख 43 हजार 930 रुपये की लागत से गांव फतेहपुर वैदवाला में, 12 लाख 43 हजार रुपये की लागत से गांव गदली राजपुताना में, 13 लाख 8 हजार रुपये की लागत से गांव मंगाला में, 12 लाख 72 हजार 336 रुपये की लागत से गांव शेखुपुरिया में राजकीय आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी का निर्माण किया जा चुका है। इसी प्रकार 3 लाख 21 हजार रुपये की लागत से गांव कागदाना, 2 लाख रुपये की लागत से गांव नरेलखेड़ा, 2 लाख रुपये की लागत से गांव मिठी सुरेरां, 2 लाख एक हजार रुपये की लागत से गांव मोडियाखेड़ा, 3 लाख रुपये की लागत से गांव अलीकां तथा 2 लाख रुपये की लागत से गांव बप्प में राजकीय आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी भवनों की मुरम्मत करवाई गई है।
उन्होंने बताया कि गांव ढुकड़ा में 12 लाख 25 हजार रुपये की लागत से राजकीय आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी का निर्माण किया जा रहा है जिसका 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। इसी प्रकार गांव अबूबशहर में 13 लाख 8 हजार रुपये की लागत से (70 प्रतिशत कार्य पूर्ण), गांव सिकंदरपुर में 14 लाख 98 हजार रुपये की लागत से (80 प्रतिशत कार्य पूर्ण), गांव साहुवाला द्वितीय में 12 लाख 25 हजार रुपये की लागत से (60 प्रतिशत कार्य पूर्ण) तथा गांव जंडवाला बिश्रोइयां में 12 लाख 34 हजार रुपये की लागत से (60 प्रतिशत कार्य पूर्ण) राजकीय आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसे जल्द ही पूर्ण कर लिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त गांव बप्पा में 99 हजार 567 रुपये की लागत से राजकीय आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी में हैल्थ वैलनेस केंद्र को अपग्रेड किया जा रहा है। इसी प्रकार 99 हजार 890 रुपये की लागत से गांव ढुकड़ा, 99 हजार 678 रुपये की लागत से गांव फतेहपुर वैदवाला, एक लाख रुपये की लागत से गांव कागदाना, 99 हजार 789 रुपये की लागत से गांव मंगाला में, 99 हजार 450 रुपये की लागत से गांव फुलकां में, 99 हजार 340 रुपये की लागत से गांव अलीकां में, 2 लाख 99 हजार 120 रुपये की लागत से गांव आनंदगढ़ में, 99 हजार 250 रुपये की लागत से गांव गदली राजपुताना में, 2 लाख 98 हजार 720 रुपये की लागत से गांव जमाल, एक लाख रुपये की लागत से गांव जोधकां, 2 लाख 98 हजार 765 रुपये की लागत से मि_ïी सुरेरां व 2 लाख 99 हजार 546 रुपये की लागत से गांव नरेलखेड़ा में आयुष हैल्थ वैलनेस केंद्रों के अपग्रेड का कार्य प्रगति पर है।