कोविड में माता-पिता को खोने वाले बच्चों की पालनहार बनी मनोहर सरकार
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना
– कोविड में माता-पिता को खोने वाले बच्चों की पालनहार बनी मनोहर सरकार
हरियाणा प्रदेश की मनोहर लाल सरकार कोविड महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों की पालनहार बनी है। प्रदेश सरकार ने ऐसे अनाथ बच्चों की हर तरह की मदद के लिए प्रदेशभर में मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों को 18 वर्ष तक 2500 रुपये मासिक आर्थिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है, जिससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होगी।
डीसी अनीश यादव ने बताया कि योजना के तहत बाल सेवा संस्थान मेें रहने वाले बच्चों के आवर्ती जमा खाते खोले जाएंगे, जिसमें 18 वर्ष की आयु तक 15 सौ रुपए जमा करवाने का प्रावधान किया गया है। इन बच्चों को सरकार ने अन्य खर्चो के लिए 12 हजार रुपये वार्षिक देने का निर्णय भी लिया है। किशोरियों को कस्तूरबा गांधी बाल विद्यालय में नि:शुल्क स्कूली शिक्षा दी जाएगी। इसके अतिरिक्त किशोरियों के खाते में 51 हजार रुपए जमा किए जाएंगे तथा विवाह के समय ब्याज सहित शगुन दिया जाएगा। बच्चों के माता-पिता अथवा उनमें से किसी एक के कोरोना के कारण निधन होने से जो बच्चे अनाथ हो गए हैं। ऐसे बच्चों के लालन-पालन पर बुरा असर पडऩा स्वाभाविक है। ऐसे अनाथ बच्चों की सहायता के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत सरकार उनकी देखभाल करेगी।
क्या है मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना :
डीसी ने कहा कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा में नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय/निजी स्कूल में डे-स्कालर के रूप में दाखिला तथा निजी स्कूल में दाखिला के लिए पीएम केयर्स से आरटीई के तहत फीस, वर्दी, पाठ्यक्रमों व नोटबुक की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसी प्रकार 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा के दौरान किसी भी आवासीय विद्यालय जैसे सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय, इत्यादि में दाखिला, निजी स्कूल में दाखिले के लिए पीएम केयर से आरटीई के तहत फीस, वर्दी, पाठ्यक्रमों व नोटबुक की सुविधा दी जाएगी। इसके अतिरिक्त ऐसे सभी बच्चों को आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा के तहत 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जाएगा तथा 18 वर्ष की आयु तक के इन बच्चों के प्रीमियम की राशि का भुगतान पीएम केयर द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर पीएम केयर्स द्वारा 10 लाख रुपये का कोष, 18 वर्ष की आयु से अगले 5 वर्षों तक उच्च शिक्षा की अवधि के दौरान मासिक वित्तीय सहायता/छात्रवृत्ति तथा 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर बच्चे को व्यक्ति और व्यावसायिक उपयोग हेतु एकमुश्त राशि दी जाएगी।
श्री यादवने बताया कि योजना के तहत 18 वर्ष तक 2500 रुपये प्रति बच्चा प्रति महीना, बिना परिवार के बच्चों की देखभाल करने वाले बाल देखभाल संस्थान को 1500 रुपये प्रति बच्चा प्रतिमास 18 वर्ष तक की आयु तक, अन्य पूरा खर्चा बाल देखभाल संस्थान द्वारा वहन किया जाएगा। इसी प्रकार 18 वर्ष तक पढ़ाई के दौरान प्रतिवर्ष 12000 रुपये अन्य खर्चों के लिए भी सरकार द्वारा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 8वीं से 12वीं या व्यावसायिक पाठ्यक्रम में किसी भी कक्षा में पढऩे वाले बच्चों को टेबलेट की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।