कृषि विभाग द्वारा विश्व मृदा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
– कृषि वैज्ञानिकों से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने व अच्छी पैदावार के तरीकों की दी जानकारी
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा विश्व मृदा दिवस पर स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मृदा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के तरीकों की जानकारी दी। कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक (कपास) डा. रामप्रताप सिहाग ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस अवसर पर सीनियर कोऑर्डिनेटर डा. देवेंद्र जाखड़, भूमि संरक्षण अधिकारी डा. महाबीर, उपमंडल कृषि अधिकारी डा. सतबीर, उपमंडल कृषि अधिकारी डा. जितेंद्र, वैज्ञानिक डा. प्रिंस ने भाग लिया।
संयुक्त निदेशक (कपास) डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि वे किसान धान की पराली में आग न लगाएं और भूमि की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए उसे खाद के रुप में प्रयोग करें। उन्होंने कपास में गुलाबी सुंडी से बचाव के तरीकों केे बारे में किसानों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा तथा भविष्य में भी इस प्रकार के प्रशिक्षण कैंप आयोजित किए जाएंगे ताकि किसानों को कपास फसल से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
सीनियर कोऑर्डिनेटर डा. देवेंद्र जाखड़ ने किसानों को कहा कि वे बायोगैस प्लांट लगाए, गोबर की खाद खेत में डाली जाए, जिससे भूमि की उर्वरता शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज विश्व में पृथ्वी की 8.7 प्रतिशत भूमि लवणीय होने की वजह से भूमि खराब हो चुकी है और विश्व में इस वजह से 13 मिलियन डॉलर की उत्पादन में नुकसान होता है। आज सिरसा के कुछ गांव भूमि लवणीय होने की वजह से खराब हो गई है।
भूमि परीक्षण अधिकारी डा. महाबीर ने किसानों को मिट्टी का सैंपल लेने का तरीका बताते हुए किसानों को सॉयल हैल्थ कार्ड बनाने बारे जागरूक किया। डा. सतबीर ने किसानों को विभागीय योजनओं बारे विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने विभाग की सभी स्कीमों का लाभ लेने के लिए सरल पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एमएफएमबी पोर्टल पर सभी किसान पंजीकरण करवाएं या विभागीय पोर्टल एग्रीहरियाणाडॉटजीओवीडॉटइन पर भी पंजीकरण करवा सकते हैं।
तकनीकी सहायक डा. जोगेन्द्र राणा ने बताया कि किसान भाई धान के अवशेषों में आग न लगाए। धान के अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बढ़ाएं ताकि पर्यावरण स्वच्छ व शुद्ध रहे और बच्चों व बुजर्गों को वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके। किसान धान की पराली की गांठे बनाकर एक हजार रुपये प्रति एकड़ के अनुदान के लिए विभागीय पोर्टल पर पंजीकरण करवाकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। डा. प्रिन्स ने किसानों को फूलों की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी ताकि किसान भाई फूलों की खेती करके आमदनी बढ़ा सके।