कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला ने गांव चपलाना मे किसान प्रशिक्षण व धान खेत दिवस का आयोजन किया
-धान फसल में बीमारियों की रोकथाम हेतु प्रयोग होने वाले रसायनों के बारे अवगत किया गया
पंचकूला सितंबर 19: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला ने गांव चपलाना मे किसान प्रशिक्षण व धान खेत दिवस का आयोजन किया तथा धान फसल में बीमारियों की रोकथाम हेतु प्रयोग होने वाले रसायनों के बारे अवगत किया ताकि इन दवाइयों के प्रभाव से रोगों की समुचित रोकथाम की जा सके |
आयोजन में शामिल डॉक्टर गजेनदर सिंह ने मछली पालन करने की सलाह दी । कृषि विज्ञान केंद्र दारा धान में रोगों की रोकथाम के लिए ओ.एफ.टी लगाने के लिए किसानों को जरूरी रसायनों का वितरण किया था।कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए पौध रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रविंद्र चौहान ने किसानों को धान में लगने वाले कीड़ों व बीमारियों के लक्षणों से अवगत करवाया | उन्होंने कहा कि अगर रोगों की बात करें तो धान मे शीथ बलाइट को शीथमार दवा की 450 मि.ली. दवा प्रति एकड़ काफी उचित है | उन्होंने यह भी बताया कि अब धान में अधिक पानी खड़े ना होने दें | इस समय धान में फाल्स स्मट ( पीली डोडि) नामक रोग के आने की संभावना है अतः टिल्ट ( प्रॉपिकॉनाजोल) की 200 मि.ली. दवा का प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें | ब्राउन प्लांट हूपर की रोकथाम के लिए ओशीन नामक दवा की 150 -200 मि ली मात्रा को प्रति एकड़ 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। धान में गोभ की सुंडी का भी प्रकोप आने की संभावना है जिसकी रोकथाम के लिए टकूमी नामक दवा की 50 मि ली मात्रा प्रति एकड़ छिङकाव करें। टमाटर में रोगों की रोकथाम के लिए मैनकोजब या मेटालेक्सिल या कवच नामक दवा का प्रयोग कर सकते हैं। अदरक में भी रोगों की रोकथाम के लिए इहीं दवाओं की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिङकाव कर सकते हैं।
इस अवसर पर गांव के प्रगतिशील किसान गुलाब सिंह, मुलतान सिंह,पवन , वीरेन्द्र सिंह सहित लगभग 20 प्रगतिशील किसान उपस्थित थे |