*Prime land freed from encroachments in Manimajra by MC Chandigarh*

कृषि विज्ञान केंद्र ने गांव टोडा में एकीकृत कृषि प्रणाली पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया आयोजन

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पंचकूला, 2 नवंबर- हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र पंचकूला ने गांव टोडा ब्लॉक बरवाला में एकीकृत कृषि प्रणाली पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। ये प्रशिक्षण प्रोग्राम पंचकूला जिले में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत एकीकृत कृषि प्रणाली परियोजना के तहत लगाए जा रहे हैं, जिनकी प्रभारी कृषि विज्ञानं केंद्र की समन्यवक श्रीमती श्रीदेवी तल्लप्रगडा जी हैं।


आज के बदलते कृषि युग में एकीकृत कृषि प्रणाली को समय की जरुरत बताते हुए उन्होंने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल करने के लिए और खेती में रिस्क कम करने के लिए एकल कृषि को छोड़कर सामनावित कृषि प्रणाली को अपनाना बहुत ही  आवश्यक है। वर्तमान में, किसान मुख्य रूप से फसल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो कि किसानों की आय और रोजगार में उच्च स्तर की अनिश्चितता के अधीन है।


इस प्रतियोगिता में एक खेत की आय बढ़ाने के लिए उपयुक्त रणनीति विकसित करना अनिवार्य है। विभिन्न कृषि उद्यमों जैसे फसल, पशुपालन, मत्स्य पालन, वानिकी आदि के एकीकरण से कृषि अर्थव्यवस्था में काफी संभावनाएं हैं। ये उद्यम न केवल किसानों की आय के पूरक हैं बल्कि पारिवारिक श्रम रोजगार बढ़ाने में भी मदद करते हैं। एकीकृत खेती में जुड़ी गतिविधियों से अंडा, दूध, मशरूम, सब्जियां, शहद और रेशमकीट कोकून जैसे उत्पादों के माध्यम से  किसान की आय स्थिर एवं दोगनी की जा सकती है।

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 कृषि विज्ञानं केंद्र के कृषि अर्थशस्त्री डॉ गुरनाम सिंह ने अपने वक्तव्य में किसानो से खेती बाड़ी का पूरा लेखा जोखा रखने की सलाह देते हुए बताया कि हम कृषि लागत को कम करके जो भी संसाधन हमारे पास उपलब्ध हैं उनका सही इस्तेमाल करके ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि दो या दो से अधिक कृषि उद्यम अपनाकर सालाना आय सुनिश्चित की जा सकती है।


बागवानी विशेषज्ञ डॉ राजेश लाठर ने परम्परागत खेती के साथ साथ फूलों, फलों और औषधिय पौधों की खेती करने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पंचकूला जिला बागवानी के लिए हर तरह से अनुकूल है और किसान बागवानी को एक बहुत ही अच्छे विकल्प के तौर पर ले सकते हैं। इस प्रोग्राम में किसानो को जैविक खाद का महत्व बताया और बीज उपचार के लिए परियोजना के तहत एक एकड़ के लिए जैविक खाद वितरित किया गया।