अब तक मंडियों में 99356 मीट्रिक टन धान में से 94815 मीट्रिक टन धान का हुआ उठान

किसान पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति हों सचेत : उपायुक्त प्रदीप कुमार

सिरसा, 4 नवंबर।

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  उपायुक्त प्रदीप कुमार ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश आज समय की सबसे बड़ी जरूरत है। पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए हम सभी को अपना सहयोग देना होगा। किसानों को पराली जलाने से उठने वाले धुंए व आग से होने वाले नुकसान को समझते हुए अभी से सचेत होना होगा। पराली जलाकर जहां हम पर्यावरण को दूषित करते हैं, वहीं इससे भूमि की उर्वरा शक्ति को धीरे-धीरे खत्म करने की ओर ले जाते हैं। इसलिए किसान जागरूक हों और पराली को जलाने की बजाए इसका विभिन्न माध्यमों से इसका प्रबंधन करें।


उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं को लेकर सर्वोच्च न्यायालय सख्त है और इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हुए हैं। इन्हीं निर्देशों की अनुपालना में प्रदेश सरकार गंभीरता से जीरो बर्निंग लक्ष्य को लेकर इस दिशा में कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार के आदेशों के तहत प्रशासन की ओर से पूरा प्रयास है कि जिला में कोई पराली जलाने की घटना न हो। इसके लिए प्रशासन की ओर से तमाम आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। जहां गांव स्तर पर पराली जलाने की घटनाओं पर निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं, वहीं हरसेक के माध्यम से सेटेलाइट द्वारा पैनी नजर रखी जा रही है। नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जहां भी पराली जलाने की घटना बारे सूचना मिले तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की जाए।

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पराली जलाने से होने वाले नुकसान :


उपायुक्त प्रदीप कुमार ने बताया कि पराली जलाने से निकलने वाली जहरीली गैस वातावरण को दूषित करती है। इसके साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष जलने के साथ ही भूमि में स्थित मित्र कीट-पतंगे भी कर जाते हैं। राजमार्गों के साथ लगते खेत में फसल अवशेष जलाने से उठने वाले धुंए के कारण दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। फसल अवशेष के जलाने से उठने वाला धुंआ श्वास, त्वचा तथा आंख की बीमारी होने का खतरा पैदा करता है।


पराली नहीं जलाने से होने वाले फायदे :


उपायुक्त ने बताया कि जहां पराली जलाने से अनेकों नुकसान हैं, वहीं इसका प्रबंधन करने से इससे भी अधिक फायदे है। पराली प्रबंधन के लिए विभिन्न प्रकार की आधुनिक तकनीक के कृषि उपकरण उपलब्ध है, जिनमें एक स्ट्राबेलर मशीन भी है। इस मशीन से पराली की गांठे बनाकर किसी भी उद्योग या फैक्ट्री में बेच सकते हैं। इसके अलावा कृषि उपकरणों द्वारा ही फसल अवशेषों को मिट्टी में ही मिलाकर भूमि की उर्वरा शक्ति को बढाया जा सकता है।


कोई भी पराली जलाने की घटना न होने पर पंचायत होगी पुरस्कृत :


उपायुक्त ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगे और किसान पराली प्रबंधन की ओर अग्रसर हों इसके लिए प्रदेश सरकार पराली न जलाने वाली पंचायतों को पुरस्कृत करेगी। उन्होंने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं वाले संभावित गांव जो रैड जोन में आते हैं, यदि इन गांवों में फसल अवशेष जलाने का कोई भी मामला सामने नहीं आता है, तो उन गांवों की पंचायतों को तीन से दस लाख रुपये की राशि से पुरस्कृत किया जाएगा।


 पराली प्रबंधन के लिए मिलेंगे प्रति एकड़ पर एक हजार रुपये या 50 रुपये प्रति क्विंटल :


  उपायुक्त प्रदीप कुमार ने बताया कि जो किसान अपने धान की पराली का कृषि यंत्र द्वारा पराली प्रबंधन करवाएगा तो उस किसान को प्रति एकड़ अधिकतम एक हजार रुपये या 50 रुपये प्रति क्ंिवटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए किसान को विभागीय पोर्टल एग्रीहरियाणासीआरएमडॉटकॉम पर अपना पूर्ण विवरण देकर पंजीकरण करवाना होगा। उन्होंने बताया कि किसान यदि औद्योगिक ईकाई में गांठों को बेचता है तो उसे संबंधित औद्योगिक ईकाई से बिल प्राप्त करना होगा। इसके अलावा यदि पंचायत द्वारा उपलब्ध करवाई गई भूमि पर गांठों को एकत्रित करता है तो ग्राम पंचायत एंव विभागीय कर्मचारियों द्वारा उसे सत्यापित प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा जिसे किसान द्वारा उक्त पोर्टल पर अपलोड करना होगा ताकि किसान को पराली प्रबंधन बारे प्रोत्साहन राशि दी जा सके।