किसानों को ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना को अपनाना चाहिए।
पंचकूला 1 जून – उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि किसान धान की फसल लगाने की बजाए भूजल संरक्षण के लिए मक्का, तिलहन, दलहन इत्यादि फसलों को लगाएं ताकि लोगों को भविष्य में स्वच्छ पेयजल की किल्लत से न जूझना पड़े। इसलिए किसानों को ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना को अपनाना चाहिए। यह योजना किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी है और सरकार की ओर से प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। उपायुक्त ने बताया कि किसानों को स्वैच्छा सेे धान की फसल को त्यागकर दूसरी मकका, दलहनी व तलहनी फसलों की पैदावार करके 7000 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि का लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी का संकट गहरा है, उन क्षेत्रों में यह योजना क्रियान्वित की गई है। इस योजना से वातावरण के संतुलन व पेयजल के साथ सिंचाई हेतु भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
उन्होंने कहा कि पानी का कुशल प्रबंधन ही आने वाली फसलों को पानी युक्त भूमि विरासत में दे पाए, इसके लिए कम पानी में फसलों को लेना सबसे बड़ी पहल है। इसके लिए फव्वारा, टपका सिंचाई योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। उन्होंने बताया कि जिला में पानी का संकट और न गहराए, इसलिए किसानों को मेरा पानी मेरी विरासत योजना को अपनाना चाहिए और स्वेच्छा से जल बचाने की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए। उपायुक्त ने बताया कि यह जिन क्षेत्रों में भूजल स्तर 40 मीटर व उससे अधिक है, वहां के किसानों को पचास प्रतिशत वैकल्पिक फसलें लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि किसान मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां व फल की खेती लगा सके। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक फसल उगाने पर ड्रिप सिंचाई के अंतर्गत 85 प्रतिशत अनुदान राशि की भी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि धान की जगह मक्का, बाजरा, कपास व दाल उगाने पर फसल का बीमा भी सरकारी खर्च पर किया जाएगा और न्यूनतम सर्मथन मूल्य पर सरकारी खरीद भी सुनिश्चित की जाएगी।
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