करोना काल में महिलाओं का योगदान किसी से कम नहीं रहा।
पंचकूला, 24 मार्च- डॉक्टर से लेकर गांव की सरपंच तक देश की महिलाओं ने कोरोना से लड़ने में अपनी भूमिका पूरी तरह से निभाई है उल्लेखनीय है कि 24 मार्च को लॉकडाउन को आज 1 वर्ष पूरा हो गया है।
उपरोक्त शब्द गेल की डायरेक्टर व भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष बंतो कटारिया ने कहे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में करोना महामारी के दौरान सीमाओं पर तनाव, चक्रवातो और भूकंप जैसी कठिनाइयों के बावजूद भारत मजबूत होकर उभरा और सभी चुनौतियों का मुकाबला किया। महामारी के दौरान पूर्व में अन्य देशों को दवाओं और जांच किट उपलब्ध कराने की चिकित्सा कूटनीति और बाद में टीका नीति के कारण विश्व में भारत का कद और बढ़ गया तथा दूसरे देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने में वंदे मातरम मिशन भी पूरा किया।
बंतो कटारिया ने कहा कि कोरोना वायरस संकट से सफलता पाने में वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों के लगभग 70 प्रतिशत का योगदान महिलाओं का है, जिसमें भारत भी शामिल है। भारत में 100,000 आशा वर्कर कार्यकर्ता हैं, 1.3 मिलीयन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा 1.2 मिलियन आंगनबाड़ी सहायिका महिलाएं हैं जो प्रतिदिन लोगों के घर तक राशन पहुंचाने व बच्चों की देखभाल के लिए आवश्यक दवाएं भेजने का कार्य करती हैं !
बंतो कटरिया ने बताया की कोरोना महामारी के दौरान पुणे की वायरोलॉजिस्ट मीनल भोसले महिला डॉक्टर ने भारत की पहली कोरोना वायरस टेस्टिंग किट बनाई थी।
कोरोना महामारी के दौरान देश व प्रदेश की महिलाओं ने लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रकार के जागरूक अभियान चलाए। लोगों को एक दूसरे से दूरी और मास्क पहनने के बारे में जागरूक किया गया। राज्य में जिस गति से कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी, उतनी ही तेजी से लोग कोरोना संक्रमण से मुक्त भी हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले साल आज ही के दिन से पूरे देश में अचानक लाॅकडाउन करना पड़ा था। देश में करोना संक्रमण की दूसरी लहर छाने की आशंका गहरा रही है, जिस तरह से देखा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण से लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाना अति आवश्यक है और सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क का अधिक से अधिक उपयोग करना जरूरी है।