During the 5th Global Alumni meet on 21.12.2024, several Alumni from the Golden and silver batches as well as many others visited the Department of English and Cultural Studies.

उर्दू के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की 150 वीं पुण्यतिथि पर आज हरियाणा उर्दू अकादमी की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया

पंचकूला/चंडीगढ़:

 उर्दू के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की 150 वीं पुण्यतिथि पर आज हरियाणा उर्दू अकादमी की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया


उर्दू के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की 150 वीं पुण्यतिथि पर आज हरियाणा उर्दू अकादमी की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसे आज के महान शायर एवं विचारक डाॅ.शीन काफ़ निज़ाम, उत्तरप्रदेश उर्दू अकादमी के पूर्व अध्यक्ष जनाब नवाज़ देवबंदी, प्रख्यात नाटककार

डाॅ. आत्मजीत, पूर्व आई.ए.एस. जनाब आर.के.तनेजा, कद्दावर शायर श्री महेन्द्र प्रताप चांद, डाॅ. के.के.ऋषि, केन्द्रीय साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री माधव कौशिक ने सम्बोधित किया।


संगोष्ठी की अध्यक्षता हरियाणा के डी.जी.पी. एवं चर्चित लेखक डाॅ. के.पी.सिंह ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ. सोनिया खुल्लर ने शिरकत की।
इस अवसर पर अकादमी की ओर से प्रकाशित पुस्तिका मिर्ज़ा ग़ालिब और हरियाणा के महान शायर स्वर्गीय सुरेन्द्र पंडित सोज़ के काव्य संकल्प ‘ज़ख्म कोई हो’ का लोकार्पण किया गया।


जनाब शीन काफ़ निज़ाम ने अपने विद्वता पूर्ण शोध पत्र में ग़ालिब को महान कालजयी शायर बताते हुए अपने समय का महान सृजनकर्ता बताया। इस अवसर पर मौजूद अन्य चर्चित शायरों एवं लेखकों में विचारक एवं सूफ़ी विद्वान प्रो. हरबंस सिंह चर्चित कवयित्रि सुमेधा कटारिया, अंगेज़ी पत्रकार अजय भारद्वाज, इतिहासकार एम.एल.जुनेजा, शायर शम्स तबरेज़ी आदि शामिल थे।

शेर जो पढे़ गए

अभी तो हाथ ही काटे गये है सपनों के ज़मीं पे टूट के ख्वाबों के सर भी आयेंगे।

(माधव कौशिक)

ख़ता से बाज़ रहूं यह तो ठीक है, लेकिन दयारे-रहम, सुना है, ख़ता से आगे है।

(डाॅ. के.के.ऋषि)

चहता है मन, सजदे में, जोड कर-कर कर दूँ तुम्हारे समक्ष पूर्ण समर्पण

(सुमेधा कटारिया)

छीन गई जब ज़िन्दगी से दर्द की मीरास भी ‘चांद’! म्ुझ को अपनी महरूमी का अन्दाज़ा हुआ

(महेन्द्र प्रताप ‘चाँद’)

बाप और बेटा पहले आयें तो फिर पोता आता है आने की तरतीब है लेकिन जाने की तरतीब नहीं

(डाॅ. नवाज़ देवबंदी)

दरख़्तों पर सभी फल हैं सलामत परिंदा क्यूँ कोई ठहरा नहीं है (शीन काफ़ निज़ाम)

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