उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि जिला में धान फसल की कटाई की ज्यादातर कटाई कम्बाईन हारवेस्टर से की जाती है। जिसके फलस्वरूप फसल का कुछ अवशेष बच जाते हैं।
पंचकूला 10 अक्तूबर- उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि जिला में धान फसल की कटाई की ज्यादातर कटाई कम्बाईन हारवेस्टर से की जाती है। जिसके फलस्वरूप फसल का कुछ अवशेष बच जाते हैं। इस फसल अवशेष को प्रायः किसानों द्वारा जला दिया जाता हैं। फसल अवशेष जलाने से भूमि में मौजूद आवश्यक कार्बन तत्व, सूक्ष्म पोषक तत्व व जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। आग लगाने से उत्पन्न धुऐं से लोगांे में दिल व फेंफड़ों की बीमारियों की सम्भावना बनी रहती है जिससे अस्थमा इत्यादि बीमारी हो जाती है। आग से पर्यावरण में मौजूद आॅक्सीजन की कमी भी जो जाती है। प्रायः कई बार देखने में आया है कि आग से जान व माल का भारी नुकसान भी हो जाता हैं।
उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेष को किसान पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष के निपटान हेतू व भूमि की शक्ति बनाऐं रखने हेतू विभिन्न प्रकार के कृषि यन्त्रों स्ट्रा रीपर, स्ट्रा बेलर, रीपर बाईण्डर एण्ड जीरो ड्रील, हैपी सीडर, मल्चर, रिवर्सीबल प्लाॅ, स्ट्रा चोपर, स्ट्रा श्रेडर इत्यादि पर सबसिडी दी जाती है। इन कृषि यन्त्रों के प्रयोग से किसान फसल अवशेषों को जमीन में गलाकर उर्वरा शक्ति बढाने के अलावा अन्य उचित प्रयोग कर सकते हैं। स्ट्रा बेलर मशीन से गाठें बना कर व गाठों को बिक्री करके किसान अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी और पर्यावरण भी दूषित नहीं होगा।
उपायुक्त ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए न्यायालय व ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी दिशा निर्देशानुसार यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाए पाए जाते हैं तो उनसे जुर्माने के रूप में 15000/-रू तक की राशि वसूली जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष न जलाने के बारे में कृषि विभाग द्वारा खण्ड बरवाला व रायपुरानी में एक विशेष अभियान चलाया गया जिसमें किसानों को जागरूक एवं प्रेरित किया गया।