उपायुक्त महावीर कौशिक ने अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत जिला में दर्ज 38 मामलों की करी समीक्षा
-अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की जांच में तेजी लाने के दिये निर्देश-उपायुक्त
-पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाकर आर्थिक सहायता प्रदान करना करें सुनिश्चित-उपायुक्त
पंचकूला, 7 अप्रैल- उपायुक्त महावीर कौशिक ने आज जिला सचिवालय के सभागार में जिला स्तरीय सर्तकता एवं निगरानी कमेटी की बैठक की अध्यक्षता की तथा अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत जिला में दर्ज 38 मामलों की जांच में विभिन्न विभागों के अधिकारियों को तेजी लाने के निर्देश दिये।
श्री महावीर कौशिक ने निर्देश दिये कि पीड़ितों को जल्द न्याय मिले और माननीय न्यायलय में उनके मामलों की प्राथमिकता के आधार पर पैरवी की जाये ताकि उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिले सके।
उपायुक्त ने अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989, संशोधित 2016 के तहत दर्ज कुल 38 मामलों की एक एक कर समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिये कि सभी मामलों में पीड़ित पक्ष को दी जाने वाली वित्तीय सहायता शीघ्र अतिशीघ्र उनके खातों में जमा करवाई जाये। उन्होंने पुलिस विभाग को भी निर्देश दिये कि अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में त्वरित कार्रवाही करते हुये न्यायालय में चालान प्रस्तुत किये जायंे और एफआईआर दर्ज होते ही इसकी एक प्रति जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय में तुरंत भिजवाना सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि पीडित व्यक्तियों को शीघ्र न्याय दिलवाने के लिये जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय, पुलिस विभाग तथा जिला न्यायवादी कार्यालय आपस में सामंजस्य स्थापित करते हुये पीड़ित को तय समय सीमा में केस की पैरवी कर उन्हें न्याय दिलवाने का कार्य करें।
बैठक में डीएसब्ल्यूओ श्रीमती दीपिका ने बताया गया कि अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 संशोधित 2016 के अंतर्गत गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों द्वारा पीड़ित अनुसूचित जाति के व्यक्तियों पर होने वाले अत्याचारों जैसे भूमि का अनाधिकृत कब्जा, कत्ल, डकैती, बलात्कार, आगजनी तथा नरसंहार आदि से पीड़ित व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। पीड़ित व्यक्ति द्वारा संबंधित थाने में अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) के तहत एफआईआर दर्ज हो, ऐसा व्यक्ति इस योजना के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने का पात्र है। उन्होंने बताया कि एफआईआर दर्ज होने पर कुल राशि का 25 प्रतिशत और चालान प्रस्तुत होने पर 50 प्रतिशत राशि और बाकि राशि कोर्ट के फैसले पर पीड़ित को देने का प्रावधान है।
उपायुक्त ने एडीए को सभी मामलों की प्राथमिकता के आधार पर पैरवी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये ताकि पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।
बैठक में उपायुक्त ने जिला स्तरीय सर्तकता एवं निगरानी कमेटी के गैर सरकारी सदस्यों के सुझाव भी सुने।
बैठक में एसीपी किशोरी लाल, एडीए मोनिका बूरा, एपीओ शशि भूषण, जिला मत्स्य अधिकारी राजन कुमार, समिति के गैर सरकारी सदस्य सुदेश बिडला, अशोक शर्मा, गौतम राणा, मीनू राणा व अन्य संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।