IGNOU extends Fresh Admission (except for Semester-based and Certificate Programme) & Re-Registration up to 30 th September, 2025

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता ने रानी लक्ष्मीबाई के शहीदी दिवस पर सेक्टर 25 स्थित सामुदायिक केन्द्र का रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर किया नामकरण

-रानी लक्ष्मी बाई देश की महिलाओं के लिए आदर्श-ज्ञानचंद गुप्ता

– रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य से चकित होकर अंग्रेजों ने भी की थी उनकी प्रशंसा-विधानसभा अध्यक्ष

For Detailed News

पंचकूला, 18 जून- हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता ने आज रानी लक्ष्मीबाई के शहीदी दिवस पर सेक्टर 25 स्थित सामुदायिक केन्द्र का रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर नामकरण किया। इसके उपरांत श्री गुप्ता ने रानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।


इस अवसर पर पंचकूला के महापौर कुलभूषण गोयल और पंचकूला नगर निगम के आयुक्त धर्मवीर सिंह भी उपस्थित थे।
‘शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा’ से अपना संबोधन शुरू करते हुए हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई उन वीरांगनाओं में से हैं जिन्होंने अंग्रेजों के आगे सर नहीं झुकाया और अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा दिये। उन्होंने कहा कि शहीदों को सच्च्ची श्रद्धांजलि देने और युवाओं को उनके बलिदानों से प्रेरणा देने के लिए पंचकूला के सभी सामुदायिक केन्द्रों का नाम शहीदों के नाम पर रखने का निर्णय लिया है।


उन्होंने कहा कि जब भी महिलाओं के सशक्तिकरण की बात होती है तो महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की चर्चा जरूर होती है। रानी लक्ष्मीबाई  ना सिर्फ एक महान नाम है बल्कि वह सभी महिलाओं के लिए आदर्श हैं। देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य से चकित अंग्रेजों ने भी उनकी प्रशंसा की थी और वह आज अपनी वीरता के किस्सों को लेकर किवंदती बन चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि 22 मई, 1857 को क्रांतिकारियों को कालपी छोड़कर ग्वालियर जाना पड़ा। 17 जून को फिर युद्ध हुआ। रानी के भयंकर प्रहारों से अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा। रानीलक्ष्मी बाई ने बड़े अदम्य साहस के साथ विजय प्राप्त की, लेकिन 18 जून को ह्यूरोज स्वयं युद्धभूमि में आ डटा। रानी लक्ष्मीबाई ने दामोदर राव को रामचंद्र देशमुख को सौंप दिया और अपने सैनिकों को लेकर अंग्रजी सेना से युद्ध किया। सोनरेखा नाले को रानी का घोड़ा पार नहीं कर सका। इसी दौरान एक अंग्रेजी सैनिक ने पीछे से रानी पर तलवार से ऐसा जोरदार प्रहार किया कि उनके सिर का दाहिना भाग कट गया और आंख बाहर निकल आई। घायल होते हुए भी उन्होंने उस अंग्रेज सैनिक को तलवार के एक ही वार से ढेर कर दिया और शहीदी प्राप्त की। 18 जून, 1858 को बाबा गंगादास की कुटिया में जहां रानी लक्ष्मीबाई ने प्राणांत किया वहीं चिता बनाकर उनका अंतिम संस्कार किया गया।


उन्होंने कहा कि आज वे उन भारतीय सेना के वीर सैनिकों को भी नमन् करते हैं जो माईनस डिग्री टैंपरेचर और तपती गर्मी में भी देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं और जिनकी बदौलत हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी कोे भगत सिंह, सुखदेव राजगरू, मदन लाल ढींगरा, करतार सिंह सराभा जैसे शहीद नौजवानों जिन्होंने 18 से 24 वर्ष की आयु में शहादत दी उनकी शहादत के बारे में भी बताना चाहिए कि किस तरह लाखों बलिदानों के बाद हमें आजादी मिली है और आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं।


इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने रानी लक्ष्मीबाई पर आधारित एक कविता-‘बुंदेले हरबोलों के मूंह से हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मदाईनी वो तो झांसी वाली रानी थी’ सुनाकर उपस्थित लोगों में देशभक्ति की भावना को जागृत किया।

https://propertyliquid.com/


इस अवसर पर नगर निगम के संयुक्त आयुक्त संयम गर्ग, बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष उमेश सूद, मंडल अध्यक्ष राकेश अग्रवाल, मंडल महामंत्री सिद्धार्थ राणा, अरविंद सहगल, पार्षद अक्षयदीप चैधरी, ओमवती पुनिया, संदीप सोही, प्रसिद्ध साहित्यकार एमएम जुनेजा तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।