During the 5th Global Alumni meet on 21.12.2024, several Alumni from the Golden and silver batches as well as many others visited the Department of English and Cultural Studies.

राजकीय महाविद्यालय कालका में प्लेसमेंट सेल और विज्ञान सोसायटी के संयोजन से  व्याख्यान का किया गया आयोजन *

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पंचकूला, 17 फरवरी- राजकीय महाविद्यालय कालका की प्राचार्या कामना के कुशल नेतृत्व में प्लेसमेंट सेल और विज्ञान सोसायटी के संयोजन से  व्याख्यान का आयोजन किया गया।


इस अवसर पर उच्चतर शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ अरुण जोशी ने विद्यार्थियों को विज्ञान के क्षेत्र में रोजगार  के अवसर व संभावनाएं विषय पर संबोधित किया । उन्होंने कहा कि बीएससी की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात कई तरह के कैरियर विकल्प है। विद्यार्थी एमएससी कर सकते हैं, एक रिसर्च फील्ड में जा सकते है और कई तरह की सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं भी दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि बी. एस. सी. की डिग्री हासिल कर लेने के बाद बीटेक  का कोर्स किया जा सकता है। बीटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद बड़ी-बड़ी तकनीकी कंपनियों जैसे कि टाटा मोटर्स, गूगल, इंफोसिस, फेसबुक, टीसीएस, और माइक्रोसॉफ्ट में व्यवसाय कर सकते हैं। कंप्यूटर साइंस में बीएससी या बीसीए कर लेने के बाद एथिकल हैकिंग में कई तरह के सर्टिफिकेट कोर्स जैसे एससीएनएस/सीईएच सीसीएनए कर सकते हैं।


 डॉ अरुण जोशी ने विद्यार्थियों को सफलता के गुर भी बताए। जीवन में वही सफल होता है जो लक्ष्य निर्धारित करके लगन व मेहनत के साथ कार्य करता है। विद्यार्थियों के लिए शिक्षण कार्य तपस्या की तरह होता है। उन्होंने सफलता के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ समर्पित प्रयास करने पर भी बल दिया। डॉक्टर अरुण जोशी ने विद्यार्थियों को एनपीटीईएल की जानकारी भी प्रदान की।


उन्होंने बताया कि एनपीटीईएल भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना है जो अभियांत्रिकी विज्ञान प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और मानविकी में वेब और वीडियो कोर्स प्रदान करती है। प्रस्तुत कार्यक्रम प्लेसमेंट सेल की प्रभारी प्रोफेसर सुनीता चैहान और सदस्या प्रोफेसर डॉक्टर बिंदु, विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर डॉ रामचंद्र, डॉक्टर गुरप्रीत, डॉ इंदु, प्रोफेसर डॉक्टर अजीत, प्रोफेसर डॉक्टर भूप सिंह, प्रोफेसर शबनम, प्रोफेसर डॉक्टर नीरू कंबोज के मार्गदर्शन और दिशा निर्देशन में किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में वरिष्ठ प्रोफेसर सुशील कुमार का भी योगदान रहा।

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