*MC Commissioner terminates services of four MC employees caught drinking in Community Centre premises*

उर्दू अकादमी द्वारा पंचकूला के सेक्टर 1 स्थित रेड बिशप में त्रिभाषी कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन

– हरियाणा के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर ने मुख्यातिथि के रूप में की शिरकत

पंचकूला, 16 नबंवर – हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा पंचकूला के सेक्टर 1 स्थित रेड बिशप में आज  त्रिभाषी कवि सम्मेलन, मुशायरा एवं रूबरू कार्यक्रम- ‘शेर-ए-ऐहत्माम अजीम-उश-शान महफिल’ का आयोजन किया गया।

For Detailed News-


इस अवसर पर मुख्यमंत्री हरियाणा के प्रधान सचिव एवं सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की तथा परंपरागत दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष एवं निदेशक डाॅ. चंद्र त्रिखा भी उपस्थित थे।


त्रिभाषी कवि सम्मेलन में श्री उमाशंकर ने शायरों को शाॅल ओढ़ा कर सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने डाॅ मोहम्मद अयूब खान द्वारा उर्दू शायरी पर आधारित देवनागरी में लिखित पुस्तक ‘ग़ज़ल दर्पण’ तथा डाॅ. राम प्रताप द्वारा वाॅल पेंटिंग पर संग्रहित पुस्तक ‘द वैनिशिंग ट्रेज़र (The Vanishing Treasure) का विमोचन भी किया। श्री उमाशंकर ने कहा कि नज़म और ग़ज़ल दोनो फुरसत की विधाएं हैं। उन्होंने कहा कि शायरों के नज़में और गज़लें मोतियों की तरह होते हैं।


सम्मेलन में विभिन्न शायरों ने अपनी ग़ज़लों व नज़मों से माहौल को खुशनुमा बना दिया। शायर शम्स तबरेज़ी ने ‘कोई भी ख्वाब अब आंखों में कहां होता है, लोग कहते हैं जहां दिल है वहां होता है’ पेश की, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। इसके अलावा डॉक्टर मोहम्मद अयूब खान ने ‘हादसा ये भी हुआ दरों-दीवारों के दरमियाँ, टूट कर बिखरा था कोई सूने घर के दरमियाँ,’ पंजाब के एडीजीपी मोहम्मद फयाज़ फारूकी ने ‘पड़े है चोट कभी दिल पे बना कर खिलाफ, चराग ज़ोर पकड़ता है तब हवा के खिलाफ, डाॅ. के.के.़ ऋषि ने ‘दूर अब उनके ठिकाने हो गए हैं, फिर न मिलने के बहाने हो गए हैं’ प्रस्तुत की।

https://propertyliquid.com


इस अवसर पर हरियाणा हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित श्री ज्ञान प्रकाश विवेक ने ‘मुद्दत से मिली जीस्त मुझे ढूंढ रही है, लगता है मुझे भूल रही है’, डाॅ. नवाज़ बैदी ने ‘जूते सीधे कर दिये थे एक दिन उस्ताद के, उसका बदला ये मिला कि तकदीर सीधी हो गई’ और फख्र-ए-हरियाणा डाॅ. बी.डी. हमदम कालिया ने ‘अदाएं हुस्न रूमानी बहुत हैं, निगाहें शोंक में दीवानी बहुत हैं’ पेश कर मौज़ूद लोगों की वाहवाही लूटी।