हरियाणा भर में आयोजित तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत में 3 लाख से अधिक मामलों का निपटारा
पंचकूला सितंबर 13: हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (हालसा) ने श्रीमती न्यायमूर्ति लिसा गिल, न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, हालसा के दूरदर्शी मार्गदर्शन में आज वर्ष की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह लोक अदालत जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से हरियाणा के सभी 22 जिलों और 35 उप-मंडलों में आयोजित की गई।
राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन, श्रीमती न्यायमूर्ति लिसा गिल, न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, हालसा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हरियाणा राज्य भर में लोक अदालतों की कार्यवाही की निगरानी की। न्यायमूर्ति लिसा गिल ने हरियाणा के सभी जिलों और उप-मंडलों में गठित पीठों के साथ बातचीत की और निपटारे के लिए उठाए जा रहे मामलों की प्रगति की समीक्षा की।
सहानुभूति के साथ न्याय प्रदान करने के एक उल्लेखनीय उदाहरण के रूप में, आज जिला नूंह में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत ने नरेश और चंदा के बीच लंबे समय से लंबित और जटिल वैवाहिक विवाद को सफलतापूर्वक सुलझा लिया। इस जोड़े का विवाह 22.11.2015 को हुआ था, हालाँकि, वैवाहिक मतभेदों के कारण वे दिनांक 06.11.2020 को अलग हो गए। इसके बाद, पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक याचिका दायर की और, 25.01.2024 को उनके पक्ष में तलाक का एक पक्षीय फैसला पारित किया गया। चंदा, जो अपनी शादी को छोड़ने को तैयार नहीं थी, ने एक पक्षीय फैसले को रद्द करने के लिए एक आवेदन दिया। बाद में मामले को सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत में भेज दिया गया। लोक अदालत की कार्यवाही के दौरान, दोनों पक्षों को अत्यंत संवेदनशीलता के साथ परामर्श दिया गया और सुलह की दिशा में निर्देशित किया गया। नरेश ने तलाक का मामला वापिस लेने पर सहमति व्यक्त की, और नरेश और चंदा दोनों ने आपसी सहमति से सद्भाव, सम्मान और साहचर्य के प्रति नई प्रतिबद्धता के साथ अपने वैवाहिक जीवन को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया। राष्ट्रीय लोक अदालतों की प्रभावशीलता को उजागर करने वाला एक और दिल को छूने वाला मामला फरीदाबाद में सुलझाया गया। यह मामला मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत मुआवजे के दावे से संबंधित था, जो लगभग तीन दशकों से लंबित था। याचिकाकर्ता, श्री हीरा सिंह और श्रीमती गंगा देवी, होडल, जिला फरीदाबाद के निवासी, ने 09.02.1997 को एक दुखद सड़क दुर्घटना में अपने युवा बेटे सुंदर सिंह, जो एक कॉलेज छात्र थे, को खो दिया था। अधिनियम की धारा 166 के तहत दावा दायर करने के बावजूद, उन्हें 5,00,000 की उनकी मांग के मुकाबले 12 प्रतिशत ब्याज के साथ केवल 1,00,000 दिए गए। असंतुष्ट होकर, उन्होंने माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष मामले को आगे बढ़ाया, जिसने मई 2025 में मामले को नए सिरे से निर्णय के लिए वापस भेज दिया। फरीदाबाद में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान, लोक अदालत बैंच के समर्पित प्रयासों से, इस मामले का अंततः समाधान हो गया। याचिकाकर्ताओं को पूर्ण एवं अंतिम समझौते के रूप में 10,00,000 (मात्र दस लाख रुपये) का उचित एवं बढ़ा हुआ मुआवजा प्रदान किया गया। आज की लोक अदालत में, जिसमें पूर्व लोक अदालत बैठकें भी शामिल हैं, 3 लाख से अधिक मामलों का निपटारा हुआ, जो सुलभ और शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए हालसा और न्यायपालिका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विभिन्न न्यायालयों में वाद-पूर्व और लंबित दोनों प्रकार के मामलों की सुनवाई के लिए कुल 181 लोक अदालत बैंचों का गठन किया गया था, जिनमें व्यवहारिक विवाद, वैवाहिक मामले, मोटर दुर्घटना दावे, बैंक उगाही, चेक बाउंस, वाहन चालान, समझौता योग्य आपराधिक मामलें और स्थायी लोक अदालतों (सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएँ) के समक्ष जैसे व्यापक मामले शामिल थे। 05 लाख से अधिक मामले निपटारे के लिए लोक अदालत में रखे गये थे। राष्ट्रीय लोक अदालतों के आयोजन का उद्देश्य जनता को बिना किसी देरी या लंबी मुकदमेबाजी के विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए एक लागत प्रभावी और कुशल मंच प्रदान करना है। लोक अदालतों में पारित निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होते हैं और वादकारियों को निपटाए गए मामलों में अदालती शुल्क की वापसी का भी लाभ मिलता है।