*Chandigarh Shines in Swachh Survekshan 2024–25; Enters the Super Swachh League Cities*

स्वर्णप्राशन बच्चों के लिए एक आयुर्वेदिक प्रतिरक्षा बूस्टर

पंचकूला 8 मार्च –

For Detailed


स्वर्णप्राशन, एक आयुर्वेदिक परंपरा है, जिसमें बच्चों को शुद्ध सोने से संसाधित औषधि दी जाती हैं। यह शिशु अवस्था ( 6माह) से किशोरावस्था (16 वर्ष) तक के बच्चों को दिया जाता है और इसे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, बौद्धिक क्षमता और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की सलाहकार डॉ पूजा सिंह ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पारंपरिक रूप से, स्वर्णप्राशन आयुर्वेदिक संस्कारों का एक हिस्सा रहा है, जिसका उद्देश्य जीवनभर अच्छे स्वास्थ्य, पाचन, शारीरिक शक्ति, मानसिक विकास और दीर्घायु को बनाए रखना है।

उन्होंने बताया कि हाल के शोध के अनुसार, स्वर्णप्राशन में प्रतिरक्षा को बढ़ाने वाले (इम्यूनोमॉडुलेटरी) गुण होते हैं, जो बच्चों को विभिन्न संक्रमणों से बचाने में मदद करते हैं। क्लीनिकल अध्ययनों में पाया गया है कि यह बौद्धिक क्षमता, शारीरिक विकास स्तर जैसे सामान्य स्वास्थ्य मार्करों के सुधार में इसकी भूमिका पर फोकस करते हैं।

एक अन्य अध्ययन के अनुसार जिन बच्चों को स्वर्णप्राशन दिया गया, उन्होंने प्रतिरक्षा, संज्ञानात्मक क्षमताओं और शारीरिक विकास में सुधार का अनुभव किया। क्लिनिकल परीक्षणों से यह भी सुझाव मिला है कि स्वर्णप्राशन संक्रमण की आवृत्ति को कम कर सकता है और समग्र स्वास्थ्य रखरखाव में योगदान दे सकता है।

 उन्होंने बताया कि स्वर्णप्राशन बच्चों में रोगों के उपचार के साथ-साथ स्वास्थ्य को बनाए रखने पर भी केंद्रित है।
इस पारंपरिक स्वास्थ्य परंपरा को बढ़ावा देने के लिए, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, पंचकूला के कौमारभृत्य विभाग द्वारा प्रत्येक पुष्य नक्षत्र पर निःशुल्क मासिक स्वर्णप्राशन शिविर का आयोजन किया जा रहा है।

आगामी शिविर 10 मार्च 2025 को आयोजित किया जाएगा, इसके बाद अगला शिविर 6 अप्रैल 2025 को होगा।
जो माता-पिता अपने बच्चों के लिए इस आयुर्वेदिक प्रक्रिया को अपनाना चाहते हैं, वे इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, पंचकूला के कौमार भृत्य विभाग से संपर्क करें।

https://propertyliquid.com