State-Level Workshop on AISHE Survey 2024–25 Concludes in Panchkula

सौम्य पालन पोषण : साहसी, देखभाल करने वाला मैत्रीपूर्ण रवैया विकसित विषय पर सेमिनार का हुआ आयोजन

पंचकुला, 30 मार्च-

For Detailed


हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा आजसौम्य पालन पोषण : साहसी, देखभाल करने वाला मैत्रीपूर्ण रवैया विकसित करना विषय पर सेमिनार आयोजित पिंजौर टाउनशिप स्थित सैंट विवेकानंद मिलेनियम स्कूल में पूर्व में स्थापित बाल सलाह परामर्श व कल्याण केन्द्र के तत्वाधान में अध्ययनरत विद्यार्थियों के माता-पिता एवं उनके अभिभावकों हेतु आज डॉ० भीमराव अंबेडकर ऑडिटोरियम में सौम्य पालन पोषण : साहसी, देखभाल करने वाला मैत्रीपूर्ण रवैया विकसित करना विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया जिसमें मुख्यवक्ता के रूप में पहुँचे मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने उपस्थित अभिभावकों एवं अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि सौम्य पालन-पोषण का ऐसा दृष्टिकोण होता है जो सहानुभूति, समझ व संवाद पर आधारित हो, जिसमें माता-पिता कठोर अनुशासन नहीं सकारात्मक संबंध विकसित करने की दिशा में प्रयासरत रहें और जिसमें बच्चों की भावनाओं, जरूरतों, इच्छाओं को समझकर उनका सम्मान करते हुए उनकी परवरिश की जाए । जिसमें बच्चों की आत्म-जागरूकता और उनके स्वयं के कार्यों की समझ को बढ़ाया जा रहा हो साथ ही उनकी सीमाएं भी तय की जाती हों । मलिक ने बताया कि साहस सिर्फ गलत बात का विरोध करना, सच का साथ देना, विपरीत हालात में डटे रहना, मुसीबत की घड़ी में अपनों के साथ खड़े रहना ही नहीं है बल्कि साहस धैर्य से सुनने, सहज प्रतिक्रिया देने, तारीफ करने, हौसला बढ़ाने, तालियां बजाने, पीठ थपथपाने और वाह-वाही लूटाने का भी होना चाहिए । उन्होंने अभिभावकों से तीन सवालों के जवाब ईमानदारी से हासिल करने को कहा कि सच्ची खुशी क्या है ? जीवन की सच्ची सफलता के मायने क्या है ? माता-पिता और बच्चों के मध्य ताउम्र सम्मानजनक मधुर संबंध कैसे कायम रह सकते हैं ? साथ ही बताया कि सौम्य परवरिश शैली को अपनाने में सामाजिक घरेलू दबाव, धैर्य की कमी तथा तुलना का दबाव जैसी चुनौतियां पेश आ सकती हैं । जरूरी है सहानुभूति का नजरियां, खुला सच्चा व स्वीकृतिपूर्ण संवाद और धैर्य रखते हुए सकारात्मक अनुशासन का उपयोग करना । अनिल मलिक ने बताया कि माता-पिता बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल बनाएं तथा सामाजिक तौर से भी उन्हें ऐसा वातावरण प्रदान करें जहां बच्चे अपनी भावनाएं स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकें । साहसी देखभाल करने वाला मैत्रीपूर्ण रवैया अपनाना और अनुशासनात्मक तरीके से विकसित करना बहुत ही जरूरी है । विशेष तौर से पहुंचे परामर्शदाता नीरज कुमार ने अभिभावकों से कहा कि एक और एक की ताकत को पहचानते हुए माता-पिता अपने बच्चों के साथ मधुर, मजबूत व सकारात्मक संबंधों को अपनाएं, ताकि बच्चे खुलकर संवाद कर सकें ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रिंसिपल पीयूष पुंज ने कहा कि निसंदेह मनोवैज्ञानिक खुली चर्चा से न सिर्फ प्रेरणा पैदा होती है बल्कि समस्या-समाधान के नए रास्ते भी खुलते हैं । आज अभिभावको की प्रतिक्रिया हौसला बढ़ाने वाली रही । कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति स्कूल मैनेजमेंट से कर्नल एन आर बरवाल, रेणु ठाकुर, स्कूल स्टॉफ, अभिभावकों के साथ साथ जिला बाल कल्याण परिषद पंचकूला का स्टाफ भी मौजूद रहा।।

https://propertyliquid.com