जब महिलाएं बिना दबाव के निर्णय लेने में सक्षम होगी तभी वास्तव में सशक्त होंगी-राकेश कुमार आर्या

*सार्थक गवर्नमेंट स्कूल में एन.सी.सी. कैंप के दोरान यौन अपराधों से बालकों को संरक्षण का अधिकार विषय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित*

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पंचकूला जनवरी 10: सार्थक गवर्नमेंट इंटीग्रेटेड मॉडल संस्कृति विद्यालय में यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण व शिक्षा का अधिकार आदि विषय को लेकर जागरूकता सैमिनार का आयोजन किया गया, जिसमे ज़िला बाल अधिकार इकाई की क़ानून एवं परिविक्षा अधिकारी निधि मलिक ने बच्चों को सरकार द्वारा चलाई जा रही स्कीमों का ब्यौरा दिया तथा बाल अधिकारों के प्रति जागरूक किया।

उन्होंने विद्यालय के  बच्चों से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बताया और बाल अधिकारों के संरक्षण बारे जागरूकता लाने को कहा । शिविर के दोरान पोक्सो एक्ट 2012 के बारे में भी विस्तार से बताया गया।  बच्चों से दुर्व्यवहार करने वाले अक्सर बच्चों के जान पहचान या नजदीकी रिश्तेदार पाए जाते है। बदनामी के डर से ऐसी घटनाए अक्सर परिवारों में दबा दी जाती है और कई बार डरा धमकाकर बच्चों को चुप कराया जाता है।

उन्होंने बताया कि ऐसे हादसों से बच्चे के जीवन, मानसिकता और व्यक्तित्व पर गहरा असर पड़ता है। पहले भारत के कानून में बच्चों के साथ होने वाले ऐसे अपराध के लिए कोई दण्ड का प्रावधान नहीं था। इससे कानूनी कार्रवाई प्रतिबंधित रहती हैं। बहुत गहन अध्ययन के बाद ऐसे मामलों की गंभीरता समझते हुए 2012 में यौन शोषण के रोकथाम के लिए भारत में एक विशेष कानून लाया गया। इस कानून को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 बनाया गया।

निधि मलिक ने बताया कि इस कानून को आम भाषा में पोक्सो एक्ट कहा जाता है। इस कानून को हमारे देश में 14 नवम्बर 2012 को बाल दिवस के अवसर पर लागू किया गया। इस कानून के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के सभी बच्चे चाहे लड़का हो या लड़की जिनके साथ हिंसा/शोषण/अपराध हुआ हो या करने का प्रयास किया गया हो, ऐसे अपराध कानून के दायरे में आता है। इस कानून में कई तरह के अपराधों को शामिल किया गया है जैसे बलात्कार, बच्चों को यौन संतुष्टि के लिए इस्तेमाल करना या उकसाना, बच्चों को अश्लील चित्र व लेखन दिखाना, उनके साथ अश्लील बात करना, बच्चों के शरीर को या यौन अंगो को गलत इरादे से छूना बच्चों का पीछा करना इत्यादि ।

उन्होंने बताया कि इस कानून में ऐसे अपराधों के लिए अपराधियों को उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सजा व जुर्माना का प्रावधान है। पीड़ित बच्चे को मुआवजा व गरीब बच्चे को आर्थिक सहायता दी जाती है। इस एक्ट के द्वारा भारतीय यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य नाबालिगों को यौन शोषण से बचाना है। यह कानून लड़के व लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने बताया की इस अधिनियम के तहत बच्चे के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करने वाले व गलत इशारे करने पर भी व्यक्ति को कड़ी सजा का प्रावधान है।बच्चो को यह भी बताया गया कि किस तरह आज बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए अश्लील तस्वीरें वह वीडियो एक दूसरे को भेंजते है व साइबर क्राइम में भी फँस जाते हैं जिससे की बच्चों को दूर रहने व सजग रहने के लिए कहा गया। उन्होंने स्पॉन्सरशिप, फोस्टर केयर व अडॉपशन स्कीमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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