सरकार ने कृषि कानून के माध्यम से किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए दिए प्रभावी विकल्प : शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर
शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि कृषि कानूनों के माध्यम से सरकार ने किसानों को मंडी के साथ-साथ अन्य जगह अपनी फसल बेचने के प्रभावी विकल्प दिए हैं। इसके साथ-साथ किसानों के हितों के लिए केंद्र सरकार हर स्तर पर किसानों से वार्ता को तैयार है। उन्होंने कहा कि किसान भी अपना हित समझते हुए संयम से सरकार की बातों का सुनें और अपने सुझाव सामने रखे।
वे शनिवार को वरिष्ठï भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक मक्खन लाल सिंगला के कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष भाजपा आदित्य देवीलाल, वरिष्ठï भाजपा नेता जगदीश चोपड़ा, पूर्व चेयरमैन पवन बेनिवाल, रेणू शर्मा, गुरदेव सिंह राही, प्रदीप रातुसरिया, श्याम बजाज, जिला महामंत्री अमन चोपड़ा, रामचंद्र कंबोज, मंडल अध्यक्ष सुनिल बहल, कपिल सोनी, जिला सचिव सुनिल बामणिया, नारायण सिंह, सागर बजाज, बलकौर सिंह, सुरेश पंवार, मीरा देवी, जसविंद्र पाल पिंकी आदि मौजूद थे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कृषि कानून सही मायने में किसानों के हितों के लिए बनाए गए हैं और इनमें किसानों के हित के सभी विकल्प मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानून में कॉंट्रेक्ट फार्मिंग व अन्य प्रावधानों को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। इसलिए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष द्वारा किसानों को भ्रमित किया जा रहा है जबकि अपने शासन काल के दौरान उन्होंने किसान हित में एक भी बड़ा फैसला नहीं लिया। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक रुप से सुदृढ करने के लिए पहले भी कार्य किए गए हैं और भविष्य में भी कार्य जारी रहेंगे।
उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा भ्रम पैदा किया जा रहा है कि कांट्रेक्ट फार्मिंग जैसे प्रावधानों से किसानों की जमीन छीन ली जाएगी, जोकि एकदम गलत है। इस प्रावधान से तो कृषि की मार्केटिंग हो पाएगी और किसानों को अधिक मुनाफा होगा। कृषि कानूनों के माध्यम से सरकार चाहती है कि किसानों को पूर्व निर्धारित फसल के दाम मिले, खेती में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो और कम से कम जोखिम हो। उन्होंने कहा कि एमएसपी खत्म होने का बातें भी सिर्फ भ्रम है। इसी प्रकार से मंडियों की व्यवस्था भी पहले की ही तरह बनी रहेगी। किसानों को सिर्फ यह विकल्प दिया गया है कि वे अपनी फसल मंडी में भी बेच सकता है और बाहर भी। सरकार ने किसानों को अपने मुल्यों पर फसल बेचने का अधिकार दिया गया है। जब बहुत सारे खरीददार होंगे तो किसानों को फसलों का रेट भी अधिक मिलेगा।
शिक्षा मंत्री ने फसल भंडारण के कानूनों में बदलाव को भी सही बताते हुए कहा कि इस कानून को लेकर भी भ्रम फैलाया जा रहा है। स्टॉक लिमिट के कारण से काला बाजारी बढ़ जाएगी, यह भी गलत है। कानून में ऐसा प्रावधान किया गया है कि यदि किसी फसल के दाम निर्धारित स्तर से बढ़ते हैं तो स्टॉकिस्ट को एक सीमा के बाद अपना स्टॉक बेचना ही होगा।