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वेद विद्या से होती है अमृतत्व की प्राप्ति : आचार्य चंद्र देव 

आर्य समाज, से. 7-बी का 64 वां वार्षिक उत्सव  शुरू

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चण्डीगढ़ : आर्य समाज सेक्टर 7-बी चंडीगढ़ का 64वां वार्षिक उत्सव आज शुरू हो गया है। इसका शुभारंभ प्रातः यज्ञ ब्रह्मा आचार्य चंद्र देव द्वारा किया गया। यज्ञ सहयोगी डॉ जगदीश शास्त्री रहे। सायं कालीन कार्यक्रम में भक्ति भाव से परिपूर्ण भजन गीत और वैदिक व्याख्यान हुआ। आचार्य चंद्रदेव ने प्रवचन के दौरान कहा कि शिक्षा अर्थात विद्या से सभ्यता, धर्मात्मा, जितेंद्रियता आदि गुण उत्पन्न होते हैं। गुरु का कार्य शिष्यों को वेदोक्त ढंग से ज्ञानवान बनाना है। वेद ही ईश्वरीय वाणी है। यह गुणों से भरपूर होने के कारण सर्वोत्तम है। प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षा पद्धति होने के कारण ही श्रीराम जी मर्यादा पुरुषोत्तम और श्रीकृष्ण जी आदर्श पुरुष बने। उन्होंने बताया कि महाभारत के पश्चात शिक्षा में विकृति आई और उसको दूर करने के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती ने वेदों की शिक्षा की ओर प्रेरित किया। वेदोक्त ग्रंथ ही हमें ईश्वर की ओर प्रेरित करके मुक्ति दे सकते हैं। आज की शिक्षा केवल नौकरी प्राप्त करने तक ही सीमित है । वेद विद्या से अमृतत्व की प्राप्ति होती है। मनुष्य जन्म प्रभु प्राप्ति के लिए मिला हुआ है। वेदव्यास ने महाभारत में लिखा है कि मनुष्य योनि ही सर्वश्रेष्ठ योनि है इसलिए इस योनि में व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है। वेद भी मनुर्भव का संदेश देता है। शिक्षा वही है जो मनुष्य को मनुष्य बनाती है। गुरु मिट्टी के कच्चे घड़े को अंदर से सहारा देता हुआ बाहर से थपथपाता है। इसी प्रकार गुरु भी अंदर से मजबूती प्रदान करते हुए बाहर से भय दिखाता है। गुरु के अंदर अमृतमय स्नेह भरा होता है। आचार्य विजयपाल शास्त्रीने भजन प्रस्तुत किये। इस मौके पर काफी संख्या में लोग मौजूद थे।  

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