Paras Health Panchkula Intensifies Fight Against Rising Neurological Disorders on World Brain Day, Urges Early Detection and Awareness

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस: कोविड-19 महामारी दौरान खुदकुशी सबसे बड़ी चिंता: डा. कृति आनंद

भारत में हर वर्ष सुसाइड के कारण 135000 मौतें होती हैं : डा. कृति आनंद

चंडीगढ़, 9 सितंबर: विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (10 सितंबर) के मौके पारस अस्पताल का उद्देश्य है कि आत्महत्या की प्रवृति रोकने के लिए विश्व भर के लोगों को एकजुट किया जाए तथा ‘कार्रवाई के माध्यम से आशा की किरण जगाना’ थीम के तहत अधिक जिंदगियां बचाई जाएं।

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पारस अस्पताल के डाक्टरों ने आत्महत्या रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कौंसिल (एनसीएसपी) की मुहिम- ‘जिंदगियां’ बचाने के लिए 5 काम करो की हिमायत करते हुए लोगों को अपील की है कि 10 सितंबर को लोगों के जीवन की रक्षा के लिए 5 काम करने के लिए 5 मिनट निकालो। चेतावनी के संकेत जानें, यह जानो कि मदद कैसे की जाए, आत्म देखभाल का अभ्यास करें, पहुंच बनाओ तथा इसका प्रचार करो।

पारस अस्पताल के मानसिक रोगों के विभाग के कंस्लटेंट डा. कृति आनंद ने कहा कि कोविड 19 महामारी के दौर में आत्महत्याएं लोगों की जिंदगी के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि यह मौतों का बड़ा कारण बन रही है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष आत्महत्याओं के कारण दुनिया भर में 8 लाख मौतें हो जाती हैं, जबकि भारत में करीब 1 लाख 35000 लोग खुदकुशी के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। यह दुनिया भर की कुल मौतों का 18 प्रतिशत है।

उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति को सुसाइड का ख्याल आना इस बात का संकेत है कि वह मानसिक रोग से पीडि़त हैं तथा उसको तुरंत इसका इलाज करवाना चाहिए। सुसाइड क्यों होते हैं इस बारे समाज में चेतना पैदा करनी चाहिए। माहिर डाक्टर ने बताया कि बहुत सारे लोगों का विश्वास है कि सुसाइड करने वाले लोग स्वार्थी होते हैं तथा सरल तरीका अपनाते हैं पर सच्चाई यह है कि ऐसे लोग मानसिक रोग से बहुत ज्यादा पीडि़त होते हैं तथा वह बेकार, निराश व असहाय महसूस करने लग जाते हैं।

डा. कृति आनंद ने बताया कि इसके अलावा बहुत सारे लोगों में मौखिक या व्यवहारिक चेतावनी के संकेत ज्यादातर आत्महत्याओं से पहले मिल जाते है। इसलिए इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सुसाइड से व्यापक कलंक जुड़ा होने के कारण बहुत सारे लोग इस बारे खुलकर बात नहीं करते।

डाक्टरों ने कहा कि यदि किसी भी व्यक्ति में इस तरह के विचार पैदा होते हैं या महसूस होते हैं तो उनको तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इसके इलाज के लिए सलाह-मश्वरा, अनुवर्ती फोन कॉलस तथा दवाई वगैरह की जरूरत भी होती है।

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डा. कृति आनंद ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति मरने की इच्छा या खुद को मारने की बात कर रहा है, बोझ होने की बात कर रहा है, निराश है या जीने का कोई कारण नहीं है, असहनीय भावनात्मक या शारीरिक दर्द महसूस कर रहा है, अपने दोस्तों-मित्रों तथा परिवार से अपने आपको अलग-थलग करता है, तो यह भी उसके सुसाइड की तरफ जाने का गंभीर संकेत है, ऐसे व्यक्ति को तुरंत सलाह-मश्वरे की जरूरत है।